मेरा देश मेरी जान
मेरा देश मेरी जान


आज फिर रहीम चाचा के घर सबसे पहले तिरंगा लहरा रहा था। ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा’सारे बच्चो के साथ मिल ज़ोर ज़ोर से गा रहे थे वो। बंटवारे के समय उनका परिवार पाकिस्तान चला गया पर वे न गए। यहीं बस गए,”मेरी रूह में मेरा वतन बसता हैबहुत कर्ज़ है इस मिट्टी के हम पर,न जाने एक ज़िन्दगी में कैसे अदा कर पाऊंगा। “वे हमेशा यही कहते।
पर शबीर, उनका बड़ा बेटा कुछ और ही राय रखता था इस बारे में। जब इराक जा रहा था तब बड़ी ज़िद की उसने चाचा से साथ चलने की,”अब्बू,ये वतन हमारा नही है न ही यहां के लोग हमारे है। हम यहाँ अल्पसंख्यक माने जाते है,न कोई हक मिला है न ही इज़्ज़त। जब भी कोई हमला होता है तो हमे ऐसे देखा जाता है जैसे हम ही आतंकवादी है। कुछ नही मिलने वाला अब्बु इस वतनपरस्ती से। चलिए, साथ चलिए हमारे। “पर चाचा न हिले,वे अकेले ही अपनी बकरियों के साथ सूरत में रहते।
वे हमेशा अपने आस पास के लोगो की मदद करते। शीला काकी के घर पानी न आता तो वे रहीम चाचा के घर से पानी भरती, निशा बहनजी भी जब बाहर जाती तो घर के चाबियाँ चाचा के हवाले होती यहाँ तक कि जब भी बिट्टू के पापा मम्मी मैटिनी शो देखने जाते बिट्टू चाचा के पास ही सोता। अपने मोहल्ले वे कोई भी झगड़ा न होने देते। ईद, होली या दीवालीसारे त्योहार सबके साथ मानते। “तू एक सच्चा भारतीय है रहीम। “शर्माजी हमेशा उनसे कहते।
तभी उन दिनों होटल ताज पर आतंकी हमला हुआ जिसमें मिश्राजी और सिंह अंकल का बेटा मारा गया। पूरे मोहल्ले में मातम छा गया। जब उनके शव आये तो सभी फूट फूट के रोने लगे। “सब्र रख मिश्रा अल्लाह की मर्ज़ी के आगे कुछ नही चलता,सब्र रख मेरे दोस्त। “चाचा उन्हें धीरज बंधा रहे थे। “चुप करिए आप,आप मुसलमानों की वजह से ही हम ये दिन देख रहे हैहमारी दया पर पलने वाले जानवर है आप लोगजो समय आने पर हमें ही काट लेते हैं। “चाचा को धक्का देते हुए मिश्रा का बड़ा बेटा बोला। “हां सही कहा,तुम लोगो के बेटे मरे तब जानो क्या होता है गम। “मिश्रा भी उन्हें दुत्कार कर बोला।
उस रात चाचा को नींद नही आईकैसे आती घाव जो लगा था गहरा। हमेशा अपने देश को अपना अभिमान मानने वाले को आज कई ज़ख्म दे दिये गए। सुबह वे न उठेपूरे दिन घर से बाहर न निकलेपर किसी न पूछा न जाकर देखा। दूसरे दिन जब बदबू आयी तब पता चला कि चाचा न रहेकिसी ने उनके ऊपर कपड़ा भी न डालान किसी ने उनके परिवार को बताया।
आज एम्बुलेंस आयी थीलावारिस लाश को ले जानेजिस देश को उन्होंने अपना सब कुछ माना उसी देश ने पल में लावारिस कर दिया। शायद धर्म इंसानियत से देशभक्ति से भी बड़ा होता है।