मेरा पहला प्यार
मेरा पहला प्यार


आईने के सामने खड़ी निधि खुद को दुल्हन के जोड़े में निहार रही थी। सुंदर नैन नक्श, गोरी, हिंदी साहित्य से एम.ए, घर के कामों में दक्ष और क्या खूबी चाहिए एक लड़की में। दुल्हन बनी निधि लाल जोड़े में खूब सुंदर लग रही थी पर न जाने क्यों उसकी आँखों में एक खालीपन सा था। उसने सोचा था कि पहले प्यार करेगी और फिर शादी। पर शायद विकलांग लड़कियों के नसीब में प्यार नहीं होता।
तभी बड़ी बुआ बोल पड़ी,"भगवान को लाख लाख शुकर है कि ई मॉडी को ब्यायो हो गयो, किस्मत तेज़ है मॉडी की नाइ ता ऐसी लंगड़ी खा कहाँ ऐसो घर बार मिलत है। तीर की तरह चुभ गया उनका ये बोलना। बचपन से यही सुनती आ रही है। शायद ही कोई उसे निधि बुलाता सब लंगड़ी ही कहते। न कोई उससे उसकी राय पूछता न ही उसकी पसंद या नापसंद किसी के लिए मायने रखती। जैसे उसने ही चाहा था कि वह अपाहिज पैदा हो।
शादी तय करने से पहले न सुनील से निधि को मिलवाया न ही कोई बातचीत हुई। होती भी कैसे सुनील गूंगे है। निधि की कितनी चाहत थी कि शादी के पहले घूमती फिरती अपने मंगेतर के साथ, घंटों फ़ोन पर बातें करती। पर किस्मत ने भी खूब खेल खेला उसके साथ। उसके प्यार करने की चाहत दिल में ही दफन हो गयी। अब बस समझौता ही था जैसे अभी तक करती आई थी अब आगे भी करना था। यह सोच उसने हॉल की तरफ कदम बढ़ा दिए।
जब स्टेज के पास पहुँची तो ऊपर चढ़ने में दिक्कत हो रही थी। पर न भैया न ही पापा पास आये। वह असमंजस में थी कि तभी सुनील नीचे आया और उसे गोद में उठा लिया। पूरा हाल तालियों से गूंज उठा और निधि शर्म से लाल ही गयी। सुनील उसे ही देखे जा रहा था और उसकी धड़कने तेज़ हो रही थी। यह सब उसने पहले कभी महसूस न किया था। वरमाला का समय हुआ तो अचानक लाइट बंद हो गयी। सभी चौंक गए। तभी एक लाइट सुनील पर आई और वो अपने घुटनों पर बैठा था। पीछे निधि अपनी फ़ोटो देख के आश्चर्य में थी। उसकी बचपन से लेकर बड़े होने तक कि सारी फ़ोटो स्क्रीन पर चल रही थी।
तभी डी. जे से आवाज़ आयी, "एक लड़का था दीवाना सा.. एक लड़की पर वो मरता था...चुपचुप के चोरी चोरी उसको देखा करता था... जब भी मिलता उससे तो कभी न पूछा करता कि प्यार ऐसे होता है...की प्यार ऐसे होता हैं। शायद कभी कह न पाऊँगा पर अपने दिल के एहसास बयाँ करना आता है मुझे। मैं उम्र भर तुम्हारा सहारा बन कर रहूंगा, क्या तुम मेरी आवाज बनोगी? पहली झलक में ही प्यार हो गया था तुमसे। निधि मेरी बन के रहोगी क्या?" और सुनील हाथ में अंगूठी ले उसके सामने बैठा था। निधि रो पड़ी। यह सब सपने जैसा लग रहा था। आज तक कभी किसी ने उसकी पसंद नहीं पूछी थी। भाभी ,सखियां सब उसे जवाब देने को कह रही थी। निधि ने आगे बड़ी और बोली,"हाँ। "
पूरा हाल सुनील और निधि से नाम से गूंज उठा। शायद प्यार ऐसा ही होता है। निधि को अपना पहला प्यार मिल चुका था। उसका हाथ थामे उसकी नज़रों में देखते हुए उसे शायद यही एहसास हो रहा था। हाँ शायद यही पहला प्यार होता है अद्भुत, अद्वितीय ।