Dr.Shweta Prakash Kukreja

Romance Inspirational

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Dr.Shweta Prakash Kukreja

Romance Inspirational

त्रिकोण का तीसरा कोण

त्रिकोण का तीसरा कोण

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निक्की,रोहन और शीना बचपन के साथी थे।घर भी एक ही बिल्डिंग में था और स्कूल भी एक सो सारा दिन एक साथ ही गुज़रता।छोटी बात हो या बड़ी सब छत पर बैठ कर साझा की जाती।बचपन ऐसे ही मौज मस्ती में बीत रहा था।अचानक उस दिन निक्की की फ्रॉक पर खून का दाग़ देख रोहन चिल्ला पड़ा," ऐ पागल खून निकल रहा है,कहाँ चोट लग गयी तुझे देख तो शीना!"

शीना भी सकपका गयी कि खून के दाग तो है पर निक्की को दर्द क्यों नहीं हुआ। दौड़ के वे तीनों निक्की के घर पहुँचे तो उसकी मम्मी ने रोहन को भगा दिया।

"निक्की घबराने की कोई बात नहीं है,ये हर लड़की के साथ होता है।शीना तुमको भी ऐसे ही होगा।"उसकी मम्मी समझा के चली गयी।निक्की ने शीना की गोद में सर रखा,"यार बड़ा दर्द हो रहा है पेट में!"

पर शीना को अचानक कुछ अलग महसूस हुआ।उसे निक्की बड़ी प्यारी लग रही थी।उसका मासूम चेहरा,उसके बिखरे बाल आज पता नहीं क्यों उसके चेहरे में शीना को एक खिंचाव से महसूस हो रहा था।

अब तो निक्की को देख उसकी धड़कने बढ़ जाती।अपने अंदर आते हुए बदलाव को शीना समझ ही नहीं पा रही थी।एक दिन जब तीनों छत पर थे तो अचानक रोहन बोला,"अर्रे शीना तेरी तो मूँछे आ रही है।"निक्की ने भी उसकी हाँ में हाँ मिला दी।शीना बोली,"हाँ तो अच्छा है न,मैं वैसे भी लड़की नहीं बनना चाहती।"कंधे उचकाती हुई वो बोली।

"देखो न ही तो मैं निक्की की तरह फ्रॉक पहनती हूँ और न ही मुझे पीरियड्स आते है।तो हुई न मैं लड़को जैसी।"

"हाँ ये तो सही कहा तूने।तू और लड़कियों जैसी नहीं है।"रोहन के बोलते ही तीनों ज़ोर से हँस पड़े।

पर सच में शीना में कुछ अलग बदलाव आ रहे थे।वह समझ ही नहीं पा रही थी।छाती पर उभार देख उसे खुद से नफरत हो रही थी।चेहरे पर आते बालों को देख माँ चिंतित होती और इन सब के बीच निक्की के प्रति उसका प्रेम बढ़ता जा रहा था।एक दिन निक्की ने उसे छत पर बुलाया।

"शीना मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूँ।मैं न रोहन को पसंद करने लगी हूँ।जब वो सामने आता है न तो कुछ कुछ होने लगता है।उफ्फ!मैंने कभी सोचा ही न था कि मैं ये सब रोहन के लिए महसूस करूँगी।शीना मेरी मदद करो न यार।पता तो कर न कि रोहन क्या महसूस करता है।"बोलते बोलते वो शर्म से लाल हो गयी और शीना से लिपट गयी।कुछ टूट गया शीना के अंदर जिसकी आवाज़ किसी को सुनाई न दी।आज दोस्ती उसके दिल में पल रहे प्यार पर भारी हो गयी थी।वो रात भर रोती रही।

"मैं लड़की नहीं बनना चाहती हूँ फिर क्यों मुझे ऐसा शरीर दिया है।और प्यार तो दिल से होता है न,फिर शरीर के हिसाब से सब कुछ क्यों देखा जाता है?"वह सवाल पर सवाल किए जा रही थी पर जवाब एक के भी न मिले उसे।


कुछ दिन बाद वैलेंटाइन्स डे पर रोहन ने निक्की को अपने भी दिल की बात बता दी।शीना के सामने दोनों ने एक दूसरे को गले लगा लिया।शीना वहाँ से जाने लगी तो निक्की ने उसका हाथ पकड़ लिया।एक त्रिकोणीय प्रेम कहानी शायद ऐसे ही दिखती है।

"तुम कहाँ चली?प्यार हुआ है हम दोनों को पर दोस्ती तो वैसे की वैसे ही है पगली।"निक्की और रोहन दोनों उसके गले लग गए।अचानक नीचे से बड़ा शोर सुनाई दिया।तीनों भाग के गए तो देखा शीना के घर के बाहर काफी सारे।लोग चिल्ला रहे थे और शीना की माँ बस रोये जा रही थी।

"ऐसे नहीं चलेगा,ये शरीफ लोगों की बिल्डिंग है।यहाँ ये सब नहीं चलेगा।उसको आप उसके समाज के लोगों में दे आये या फिर यहाँ से मकान खाली कर दे।"

"हाँ हाँ,हम सब अंधे नहीं है।ऐसे हमारे बच्चों पर बुरा असर पड़ेगा।खाली करो मकान।"

"क्या हुआ शर्मा अंकल,आप मम्मी से ऐसे क्यों बात कर रहे है?क्या हुआ मम्मी?"शीना अपनी मम्मी के पास आई पर वो बस रोती रहीं।

"अर्रे ये क्या बोलेगी मैं बताती हूँ तुझे।इतने सालों से तेरी माँ ने तुझे बताया ही नहीं कि तू लड़की नहीं है,एक हिजड़ा है हिजड़ा।"शर्मा अंकल चिल्लाये।

शीना धक रह गयी।लगा पैरों तले जमीन खींच ली किसी ने, उसका अस्तित्व रौंद दिया गया है।वो बस माँ को देख रही थी कि शायद वो कह दे कि ये सब झूठ है।पर उनकी झुकी नज़रों और सिसकियों ने सब कह दिया था।वो दौड़ के अपने कमरे में चली गयी। निक्की और रोहन भी उसके पीछे गए

"दरवाज़ा खोल शीना।यह सब बकवास है,कुछ मत सोच तू।हमे फ़र्क नहीं पड़ता तू हमारी जिगरी है बस।"दोनों एक स्वर में बोले जा रहे थे पर शीना न निकली।दूसरे दिन उसके घर पर ताला लगा था।वो दोनों समझ गए कि अब शीना कभी नहीं मिलेगी उन्हें।कुछ दिनों बाद निक्की को एक पत्र आया,

"मेरी प्यारी निक्की,मुझे पता है तुम मुझे याद कर रही होगी।जब वहाँ रही तब अपने मन की बात कभी बता न पाई।निक्की मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।मुझे नहीं पता कब मेरे लिए तुम दोस्त से भी ऊपर हो गयी।पर अब लगता है पागल हूँ मैं।अपने अस्तित्व के बारे में जानने के बाद भी तुम्हे चाहना नहीं छोड़ पा रही हूँ।पर क्या प्रेम सिर्फ दो अलग लिंग वाले व्यक्तियों में ही होता है? क्या किन्नरों को प्रेम करने का हक़ नहीं है?प्यार तो बस दिल से होता है न और दिल तो मेरा भी तुम्हारे दिल जैसा ही है निक्की।

बहुत दर्द हो रहा है मुझे।शायद एक हिजड़े के नसीब में प्रेम नहीं होता या ईश्वर भी हमारे हाथों में प्यार की रेखा ही नहीं बनाता है।

खैर इस जन्म में ईश्वर ने अपनी मनमानी कर ली।पर आने वाले जन्मों के लिए मैं तुम्हे भगवान से पहले ही माँग लूंगी।तुम सिर्फ मेरी ही बन कर रहोगी।तुम्हें और रोहन को असीम स्नेह।जब तुम दोनों को जरूरत होगी मुझे अपने साथ ही पाओगे।


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