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Vimla Jain

Tragedy Action Inspirational

4.0  

Vimla Jain

Tragedy Action Inspirational

मेरा अपना घर

मेरा अपना घर

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हर लड़की को लगता है कि उसका घर कौन सा

 उसको जब मायके वाले बोलते कि यह तुम्हारा घर नहीं है ।

वह सोचती है ससुराल मेरा घर होगा।

 मगर ससुराल में कुछ और ही नजर आता है।

 तब उसका मन बहुत सारी बातें सोचने लगता है कि मेरा घर कहां है।

 जहां पति वह मेरा घर है तो सही है।

 मगर कभी पति अपना नहीं हुआ तो मेरा क्या।

 ऐसा ही अपना कहने को भी कुछ चाहिए ही ऐसी सोच बहुत लोगों की होती है ,और होनी भी चाहिए।

 अपना कहना अपना भी कुछ होना चाहिए। खासतौर से आज के जमाने की लड़कियों को तो यह जरूर सोच लेना चाहिए। कमाई करने वाली लड़कियां थोड़ा अपने बारे में सोचें तो अच्छा हो

 इसी सोच के साथ यह कहानी

आज मीरा का सपना साकार होने जा रहा था। बरसों से उसे मेरा अपना घर कहलाने वाले घर की तलाश थी मगर जब वह पियर में थी शादी नहीं हुई थी नौकरी करने लगी पहली नौकरी पर तनख्वाह मिलने पर उसने अपनी पसंद के कुछ परदें सुंदर आसमानी कलर के और थोड़ा सामान ड्राइंग रूम सजाने के लिए खरीदा घर जाकर बहुत खुशी-खुशी मां को है सामान दिखाएं और घर के पर्दे बदलने की कोशिश करने लगे उसके मां और पापा दोनों बोल उठे यह सब चोंचले यहां करने की जरूरत नहीं है। जब तुम तुम्हारे घर जाओ तब करना उसने कहा यह मेरा ही तो घर है मगर उसके मां पापा ने बहुत बेरुखी से उसको मना करा तुम्हारा ससुराल ही तुम्हारा घर होगा इसलिए वहां जाकर यह सब करना यहां कुछ नहीं करना उसका दिल टूट गया उसने सोचा शादी होगी फिर मेरा अपना घर होगा वहां सब कर लूंगी मगर मुझे मेरा कहने वाला मेरा घर चाहिए वहीं से उसके मन में यह बात घर कर गई थी।

 थोड़े समय बाद उसकी शादी हो गई। वह बहुत खुश थी कि चलो अब मेरी शादी हो गई अब मैं अपने घर को अपनी तरह सजा सकूंगी यह मेरा अपना घर होगा। थोड़े दिन बीते उसने वहां पर अपनी मनमानी करनी चाहिए थोड़ी सजावट बदलाव पर्दे लगाने की कोशिश और भी दूसरे सामान लगाने के लिए। उसकी सास जिनका एकछत्र राज्य था घर पर थोड़ी कड़क भी थी बोली यह क्या कर रही हो बहू यहां तुम्हारी मनमानी नहीं चलेगी जो करना है तुम्हारे बेडरूम में करो बेडरूम में पर्दे लगाने लगी उसका पति बोलता है यह मेरा कमरा है यहां की सजावट मेरी पसंद की होनी चाहिए अब वह मन मार कर रह गई। उसके मन में एकदम पक्का हो गया कि ना मेरा ससुराल का घर अपना है ना मेरा कमरा अपना है हमें तो कभी अपना मानने मानने से पहले ही मना कर दिया मुझे कुछ तो करना है मुझे मेरा घर चाहिए जो खालिस मेरा हो।

वो सर्विस करती थी। उसने अपनी कोशिश करके एक छोटा सा एक रूम हॉल किचन का फ्लैट खरीदा और घर में किसी को नहीं बताया उसकी बहुत सुंदर अपनी मनपसंद सजावट करें वहां हॉल में वह पर्दे लगाए और जो सामान लाई थी ने सब लगाया पर अपने घर को बिल्कुल अपनी तरह सजाया उसको लग रहा था आज मेरा घर बनाने का सपना साकार हुआ

शादी की पहली सालगिरह आई। उसने अपने पति से कहा चलो आज मैं तुम्हें सरप्राइस पार्टी देती हूं पति ने कहा यह कहां ले जा रही है मगर उसने उसकी एक नहीं सुनी और उसको अपने साथ में अपने घर लेकर आई घर के बाहर बहुत सुंदर सी नेम प्लेट लगी हुई थी जिसमें उसका मीरा का नाम लिखा हुआ था पहले तो वह देख कर चौंक गया कि यह कहां लेकर आ गई है। जब वे अंदर गया उसने देखा चारों तरफ मीरा की पसंद का सामान लगा हुआ था और घर बहुत व्यवस्थित सा सजा हुआ था। उसने बोला अरे तुम कहां लेकर आ गई हो मुझे मीरा ने कहा हंसते हुए कहा यह मेरा घर है तो उसका पति बोलता है तुम रह रही हो वह तो तुम्हारा ही है जहां हम साथ साथ रहते हैं मीरा के मन में कटुता आई मगर वह आज का दिन खराब नहीं करना चाहती थी उसने कहा इस पर मैं तुमसे बाद में बात करूंगी मगर यह घर खाली मेरा है ।मेरा कहने के लिए बस यही मेरा एक घर है। अच्छी पार्टी वार्टी करके शादी की सालगिरह मना कर वे लोग घर गए घर जाकर उसके पति ने उसको वापस पूछा तब उसके मन में कटुता थी उसने बोला जब मैंने अपने पीहर में अपनी पसंद चलानी चाहिए तो मां-पापा बोले यह तुम्हारा घर नहीं है ससुराल तुम्हारा घर है वहां जाकर अपनी पसंद लगाना सब अपने पसंद का करना ससुराल आई तो सास जी ने ऐसा बोला यहां मेरी मर्जी चलेगी है मेरा घर है अपने बेडरूम में अपनी मर्जी चलाओ बेडरूम में आई कुछ बदलाव करना चाहा तुमने कहा यह मेरा कमरा है मेरे मन में सवाल उठा सब कुछ तुम्हारा है तो मेरा क्या तो मेरा घर कहा मेरा क्या अस्तित्व है तब बहुत सोच विचार कर मैंने अपना एक रूम हाल किचन का फ्लैट खरीदा जो खालिस मेरा है इसमें किसी का कोई अधिकार नहीं है जिसमें मैं अपनी मनमर्जी से रह सकती हूं मनमर्जी से सजा सकती हूं आज मेरे मन का सपना पूरा हुआ और आज मेरा कहने को मेरा घर हुआ अब यह तुम्हारी मर्जी है कि तुम मेरे साथ मेरे कभी घर पर आओगे या नहीं अगर मेरा मन करेगा तब मैं वहां जाकर क्योंकि वह मेरा घर है। उसके पति को उसके मन की बात उसके दिल को छू गई उसने कभी इस नजरिए से सोचा ही नहीं था उसको अपनी गलती का एहसास भी हुआ उसको बधाई दी कि अच्छा हुआ तुम ने अपना मकान खरीदा कभी-कभी मैं भी तेरे साथ मकान पर आकर रहूंगा और दोनों खुशी-खुशी बातें करते करते नींद के आगोश में चले गए आज मीरा का मन बहुत संतुष्ट और शांत था वह बहुत खुश थी।



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