मौका

मौका

2 mins
1.5K


मैं अपने रास्ते चला जा रहा था । बहुत धूप थी ,प्यास से गला सूख रहा था । बैग में हाथ डालकर देखा तो पाया कि पानी की बोतल ख़ाली हो चुकी है । थोड़ी दूर चलने के बाद एक घर नज़र आया।

गांव पूरी तरह विकसित नहीं था ,थोड़ी थोड़ी दूर पर ही घर मिल रहे थे । काफी चल चुका था ,बुरी तरह थक भी गया था, अब मेरे पास और ऑप्शन भी नहीं थे। मैंने दरवाज़ा ठकठकाया ,धीरे से दरवाजा खुला और मैंने पाया कि सामने मेरी दादी खड़ी थीं और उनके पीछे दादू थे।

पर ऐसा कैसे हो सकता है? वो तो मर चुके हैं ,नहीं तो उनका माला टंगा चित्र घर पर क्यों होता। उनसे कुछ बातें करते ही समझ आ गया कि जैसे आज मैं मां बाबा को वृद्धाश्रम छोड़ आया, कभी ऐसा ही उन्होंने दादी दादू के साथ किया था।मुझे ये भी समझ आ गया कि अपना बोया यहीं काटना पड़ता है। मैं दादी, दादू को मनाकर अपने साथ ले आया और साथ ही माफ़ी मांगकर वृद्धाश्रम से मां, बाबूजी को। वे दोनों दादी,दादू को देखकर शर्मसार हो गए और उनके पैरों में पड़कर माफ़ी मांगने लगे। मां - बाप थे सो बड़ा मन रख माफ़ भी कर दिया। और मैं भगवान का शुक्रगुजार था कि समय रहते ही मुझे मेरी गलती उन्होंने ना सिर्फ समझा दी बल्कि उसे सुधारने का मौका भी दिया।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy