मैं उन्हें जीतने नहीं दूँगी
मैं उन्हें जीतने नहीं दूँगी
"अरे लड़की, अपने काम से काम रखो। हमारी लड़कियों को पढ़ाने के लिए रोज़ यहाँ क्यों चली आती हो ?"किसी एक ने कहा।
"पढ़ -लिखकर क्या करेंगी ?तुम्हारे जैसे ही आवारागर्दी करती फिरेंगी ?" किसी दूसरे ने कहा।
"चूल्हा -चौका और बच्चे पालने के लिए पढ़ाई-लिखाई की क्या ज़रूरत है ?"किसी ने कहा।
"पढ़ -लिखकर इनके पंख उग आते हैं और उड़ने की कोशिश करती हैं। लड़कियाँ बिगड़ जाती हैं ,अपनी मनमानी करने लगती हैं। ",किसी ने कहा।
हाल ही में अपने घर के पास की कच्ची बस्ती की बच्चियों को पढ़ाने आने वाली 18 वर्षीय वैदेही को बस्ती के कुछ पुरुषों ने टोका।
"पढ़ने -लिखने से लड़कियों में समझ आती है और वह बेहतर तरीके से अपना घर सम्हाल सकती है। ",इतना सा कहकर वैदेही अपने रास्ते चली गयी थी।
उन लोगों ने एक -दो बार फिर वैदेही को टोका ,लेकिन दृढ निश्चयी वैदेही ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया।
जिन बच्चियों को वैदेही पढ़ाती थी, उन्होंने भी कहा ,"दीदी, आप यहाँ मत आया करो। हमारी तो किस्मत में यही सब लिखा है। लेकिन आपको ये लोग कुछ भी नुकसान पहुँचा सकते हैं। "
तब वैदेही कहती कि ,"तुम लोग डरो मत। ये लोग मुझे कुछ नुकसान नहीं पहुंचा सकते। गरजने वाले बादल बरसते नहीं हैं। ऐसे कमजोर पुरुषों को हाथ में किताब और कलम लिए दिखने वाली लड़की से डर लगता है ,क्यूँकि ऐसी लड़की उनकी सत्ता को चुनौती देती है। "
"फिर भी दीदी ,आप अपना ध्यान रखना। " बच्चियों ने कहा।
देही को कुछ लोगों ने धमकाया और कहा ,"लड़की यहाँ आना छोड़ दे ,नहीं तो तेरी ज़िन्दगी मौत से भी बदतर कर देंगे। तेरा वो हश्र करेंगे कि तेरी सातों पीढ़ियां याद करेंगी। "
लेकिन वैदेही इन्हें गीदड़ भभकी मानती रही और शांति से अपना काम करती रही। उस दिन भी रोज़ की तरह वैदेही पढ़ाने गयी थी ,लेकिन आज मौसम थोड़ा खराब हो गया। झमाझम बारिश होने लगी ,इसलिए वह कुछ देर के लिए वहीँ रुक गयी। जैसे ही बारिश थमी ,वह निकलने की तैयारी करने लगी ,तब उन बच्चियों ने कहा भी कि ,"दीदी, अँधेरा हो गया है, हम लोग आपको छोड़ आते हैं। "
लेकिन वैदेही ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि ,"तुम लोग अकेले कैसे लौटोगी ?मैं तो रोज़ ही जाती हूँ। फ़िक्र मत करो। "
वैदेही उनसे विदा ले अपने घर के लिए निकली। अभी कुछ ही दूर पहुँची थी कि पीछे से किसी ने उसको पकड़ लिया और वह चिल्लाती उससे पहले ही उन बलिष्ठ हाथों ने उसका मुँह में कपड़ा ठूंस दिया। वह बलिष्ठ हाथ उसे उठाकर पास के ही एक सुनसान खंडहर में ले गए और वहाँ ले जाकर उसके मुँह से कपड़ा निकाल दिया। वहाँ पर पहले से ही कुछ लोग मौजूद थे। सभी लोगों ने अपने मुँह को कपड़े से ढका हुआ था। वैदेही ने देखा कि कुल ६ लोग थे। इनमें से एक ने कहा ,"इसे बहुत मौके दिए ,बहुत समझाया ,अब देखना अच्छे से समझ जायेगी। "
ऐसा कहकर वे सभी लोग वैदेही पर कुत्तों के जैसे टूट पड़े। सभी ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया। उसके चीखने -चिल्लाने का उन पर कोई असर नहीं हुआ। रात भर वे जानवरों की भाँति बारी -बारी से उसे नोंचते रहे ,पीटते रहे। वैदेही अधमरी हो गयी थी ,तब 6 के ६ हैवान उसे अर्धनग्न अवस्था में वहीं पर मरने के लिए छोड़ गए।
सुबह उधर से निकल रही कुछ महिलाओं ने उसे देखा तो उन्होंने फ़ौरन पुलिस को सूचित करवाया। पुलिस ने वैदेही को अस्पताल में भर्ती करवाया। वैदेही के मम्मी-पापा को सूचित किया गया। डॉक्टर ने कहा कि,"मरीज की हालात बहुत गंभीर है। बचने की उम्मीद कम ही है। "
वैदेही के मम्मी-पापा का रो -रोकर बुरा हाल था। वे भगवान से कैसे भी वैदेही को ठीक करने की प्रार्थना कर रहे थे।
वैदेही जिन बच्चियों को पढ़ाती थी ,उनमें से कुछ अपने मम्मी -पापा के साथ हॉस्पिटल आयी थी। उन्होंने आते ही कहा ,"आंटी-अंकल आप देखना ,वैदेही दीदी बिलकुल ठीक हो जाएंगी। उन्हें कुछ भी नहीं होगा। "
"अब तो कोई चमत्कार ही हमारी बेटी को वापस ला सकता है।" वैदेही के पापा ने बिस्तर पर मरणासन्न अवस्था में पड़ी हुई अपनी बेटी की तरफ देखते हुए कहा।
वैदेही की मम्मी की रुलाई तो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। "मेरी वैदेही ने किसी का क्या बिगाड़ा था ,जो उसके साथ इतना बुरा हुआ ?",रोते -रोते वैदेही की मम्मी यही कह रही थी।
चमत्कार आज भी होते हैं। चमत्कार था या वैदेही की जिजीविषा ,वैदेही की हालत में सुधार होने लगा। डॉक्टर्स ने वैदेही के मम्मी -पापा को आकर कहा कि ,"आपकी बेटी फाइटर है, फाइटर। मौत से लड़कर वापस आ गयी है। अब वह खतरे से बाहर है, जल्द ही होश में आ जायेगी। "
वैदेही के मम्मी-पापा डबडबाई आँखों से बिस्तर पर पड़ी हुई अपनी बहादुर बेटी को देख रहे थे। इंतज़ार कर रहे थे कि ,"उनकी बेटी कब उठेगी और कहेगी कि मम्मी -पापा रोओ मत,आई हेट टीयर्स। "
कुछ घंटे बाद वैदेही होश में आ गयी थी ,उसने धीरे -धीरे अपनी आँखें खोली। होश में आते ही दर्द से वैदेही की हल्की सी चीख निकल गयी थी। वह कराह रही थी ,तन से भी अधिक उसका मन घायल हुआ था। वैदेही के मम्मी -पापा उसके पास आ गए थे। अपनी बेटी के पास आने से पहले उन्होंने अपने आँसू पोंछ लिए थे। फाइटर बेटी के मम्मी -पापा कमजोर थोड़े न हो सकते हैं ?
मम्मी ने आते ही वैदेही के सिर पर हाथ फेरा और कहा ,"जल्दी से ठीक हो जा। बिस्तर पर लेटे हुए मेरी बेटी अच्छी नहीं लगती। "
"हाँ बेटा , तुझे तो अभी बहुत काम करने हैं। ",वैदेही के पापा ने कहा।
तब ही दरवाज़े पर पुलिस इंस्पेक्टर दिखाई दिए, वे अंदर आकर वैदेही के बयान लेना चाहते थे। तब ही वहाँ डॉक्टर आ गए ,डॉक्टर साहब ने इंस्पेक्टर से कहा ,"अभी मरीज बयान देने की स्थिति में नहीं है। आप उसे कुछ और वक़्त दीजिये। "
तब ही वैदेही ने अपने पापा से कहा ,"पापा ,पहला काम तो उन अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुँचाना है। आप इंस्पेक्टर साहब को आने दें ,मैं बयान देने के लिए तैयार हूँ। "
जैसा कि उन लोगों ने नकाब लगा रखे थे, वैदेही किसी के चेहरे नहीं देख पायी थी। लेकिन उसे उनके पहने हुए कपड़े याद थे। उसने अपनी याददाश्त के अनुसार उनके बारे में लिखवाया। तब ही उसे याद आया कि उनमें से एक व्यक्ति के हाथ में एक टैटू बना हुआ था। टैटू किसी पक्षी का था। वैसे तो वो लोग एक -दूसरे का नाम नहीं ले रहे थे, लेकिन फिर भी गलती से उन्होंने मोहन नाम एक -दो बार लिया था ।
वैदेही जितना बता सकती थी, उसने बताया। बीच -बीच में उन क्षणों को याद करते हुए ,वह काँपने लग जाती थी। कभी उसकी रुलाई फूट पड़ती थी। उसकी दशा देखकर इंस्पेक्टर ने कई बार आग्रह किया कि ,"बाकी आप कल बता देना। आज आप आराम करो। "
तब वैदेही ने कहा ,"नहीं, इंस्पेक्टर साहब ,जब तक उन लोगों को सजा नहीं मिल जाती ;मैं आराम से नहीं बैठ सकती। उनको यह अच्छे से समझ आ जाना चाहिये कि उनकी इस हरकत ने मुझे और मजबूत बनाया है, मेरे इरादों को दृढ़ किया है। अब से मेरे जीवन का एक ही मकसद है मुसीबत में फँसी हुई बेबस लड़कियों को पढ़ा -लिखाकर आत्मनिर्भर बनाना। मैं उन्हें जीतने नहीं दूँगी। वे अपनी इन हरकतों से लड़कियों को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकते। ऐसे कमजोर लोग लड़की के हाथ में किताब देखकर डर जाते हैं ,उन्हें अपनी सत्ता खोने का डर सताता है। "
वैदेही ने एक ही साँस में अपनी बात कह दी थी। उसके हौसले को देखकर इंस्पेक्टर भी चकित था। इंस्पेक्टर ने कहा ,"आप बिल्कुल फ़िक्र न करें ,उन लोगों को जरूर सजा मिलेगी। "
पुलिस द्वारा उन 6 के 6 व्यक्तियों को पकड़ लिया गया। उन पर कोर्ट में केस चला ,कोर्ट में भी वैदेही ने बचाव पक्ष के हर सवाल का मजबूती से जवाब दिया। उनके भद्दे सवाल भी उसका हौसला नहीं दबा सके। वैदेही तप-तप कर मजबूत चट्टान बन गयी थी।
उन 6 के ६ व्यक्तियों को कठोर कारावास की सजा हुई। वैदेही ने वकील बनकर ऐसी पीड़ित लड़कियों की मदद करने का निश्चय किया। वैदेही ने सच में जो कहा, कर दिखाया। वैदेही ने घटिया सोच वाले लोगों को जीतने नहीं दिया। उसने अपनी ज़िन्दगी का फैसला खुद लिया।
