मैं ही कृष्ण हूँ
मैं ही कृष्ण हूँ
लघुकथा वर्तमान समय में बड़ी के साथ हो रही दैहिक हिंसा पर आधारित है कि उनका स्वयम में सशक्त होना कितना आवश्यक है। महाभारत काल में द्यूत स्थल पर द्रोपदी के वस्त्र हरण का प्रकरण इतिहास का सबसे कलंकित प्रकरण रहा है। अपने ही रिश्तेदारों के द्वारा किया कृत्य उस पर शुभचिंतक भी लाचारी दिखला रहे हैं। विवश द्रोपदी सभी से अपने लिए गुहार लगाती है सहायता न मिलने पर श्री कृष्ण की शरण मे जाती है।
आज भी अपनों के द्वारा बेटियाँ छली जा रही हैं। अभिभावक समाज मे बदनामी के भय से अधिकतर इन प्रकरणों को न्यायालय तक नहीं जाने देते। किन्तु आज की बेटियाँ द्रोपदी की तरह विवश ईश्वर को न पुकारकर स्वयम उन समस्याओं का सामना करती हैं। क्योंकि जानती हैं कलयुग में कृष्ण नहीं आने वाले अतः हमें ही इस संकट का सामना करना है।