Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Tragedy

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Tragedy

मैं ही हूँ ..

मैं ही हूँ ..

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मैं ही हूँ ..यह कुछ दिन पूर्व की बात है, जब मेरी बेटी नाश्ता करते हुए अपनी माँ से कह रही थी - 

ना जाने माँ, मेरी फ्रेंड तनुजा को क्या हुआ है। पहले तो वह, पिछले सात दिन कॉलेज नहीं आई। 

उसने इन दिनों में, मुझे फेसबुक, मोबाइल एवं अन्य जगह ब्लॉक कर दिया है। फिर वह, कल कॉलेज आई, तब भी मुझसे बात ही नहीं कर रही है।

उसने, अपनी सीट भी बदल ली एवं मेरे से दूर जा कर बैठ रही है।

मेरे कान, माँ-बेटी की बातों पर ही लगे थे। मगर मैंने, मोबाइल पर कुछ पढ़ने की व्यस्तता दिखा कर, उनकी बातों मैं भाग नहीं लिया था। फिर मैं, अपना नाश्ता जल्दी खत्म कर टेबल से उठा गया था।   

आज - मुझे एक आयोजन में मेरे हाथों रावण पुतला दहन हेतु आमंत्रित किया गया है, चूंकि मैं एक विख्यात सिनेमा निर्माता हूँ। 

अपनी ऑडी कार में मैं, अपनी पत्नी एवं न्यायाधीश का कोर्स कर रही बेटी के साथ, उस कार्यक्रम में जा रहा हूँ।   

वहाँ जाते हुए मैं, मन ही मन हँस रहा हूँ कि रावण वध, ये लोग मेरे हाथों इसलिए करवा रहे हैं कि अपनी पिछली मूवी में मैंने, भगवान राम पर, एक लोकप्रिय हो गई, आरती दिखलाई थी। 

जबकि, कोई जानता था या नहीं लेकिन मैं, अपने कलंकनीय दुष्कृत्यों को जानता था और यह भी जानता था कि ये इतने घिनौने एवं अमानवीय हैं कि रावण ने भी शायद, इतने बुरे कर्म नहीं किये होंगे। 

कार्यक्रम में मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया गया था। आखिर क्यों नहीं किया जाता, मुझ में लोग, वह संभावना देखा करते हैं कि मैं, उन्हें या उनके बेटा/बेटी को, सिनेमा में ब्रेक दे सकता हूँ। 

कार्यक्रम के बाद घर लौटते हुए, मेरी बेटी ने मुझसे पूछा - 

पापा, बुराई के नाम पर हजारों वर्षों बाद भी, आज तक रावण का पुतला दहन किया जाता है। क्या रावण के पाप इतने अधिक थे कि उसका रिकॉर्ड टूट नहीं सका है?

मैंने, अभी ही रावण (बुराई के प्रतीक) को जलाया था, शायद उस पुण्य का प्रभाव था कि मैं, अपनी बेटी से झूठ नहीं कहना चाहता था। मैंने कार में ड्राइवर के होने को ध्यान रख कहा - 

बेटी, इस पर मुझे विस्तार से कहना होगा, अतः घर पहुँचने पर बात करते हैं। 


घर आने पर बेटी नहीं भूली थी। उसने फिर यही पूछा, और मैं भी उससे सच कहने के अपने निश्चय पर ही था। मैंने उसे बताया - 

बेटी, रावण से अधिक बुरा व्यक्ति ढूँढने के लिए, तुम्हें घर के भी बाहर जाने की जरूरत नहीं है। उस दिन तुम, अपनी फ्रेंड तनुजा के बारे में बता रही थीं। उसका तुमसे दूर हो जाने का कारण मैं हूँ। मैंने, उस पर दुष्कृत्य किया है। 

दरअसल वह, एक दिन मेरे ऑफिस आई थी। तुम्हारा हवाला देकर तनुजा, अपने लिए मुझसे, मेरी आगामी फिल्म में रोल देने के लिए कह रही थी। 

मैंने, उसके अभिनय कला की परख के बहाने से, उसे स्टूडियो में अलग कमरे में ले जाकर, उस पर जबरदस्ती की थी। 

पूर्व में भी मैंने, प्रतिष्ठित परिवारों की ऐसी और भी, युवतियों एवं लड़कियों पर जबरदस्ती की हुई थी। इसलिए मुझे अनुभव था कि ये, अपनी बदनामी के डर से मुंह नहीं खोला करतीं हैं। 

तुम्हारी फ्रेंड होने से मुझे, तनुजा को यूँ तो बेटी की दृष्टि से देखना चाहिए था मगर, अपनी कामांधता में मैंने उसका शील भंग किया है। 

रावण ने तो अपनी बहन के अपमान के बदले की भावना में, सीता जी का अपहरण किया था। सीता मैय्या के ना कहने पर रावण ने, उनके शील का मान भी रखा था। 

इस दृष्टि से देखने पर, रावण से बड़ा पापी तो, मैं ही हूँ। 

आज भी, रावण का पुतला जलाने का कारण, यह नहीं है कि रावण से अधिक बुरा व्यक्ति संसार में फिर कोई हुआ नहीं है। वर्तमान में ही, उससे बुरे व्यक्ति अनेक होंगे। 

रावण, भगवान श्री रामचंद्र जी के हाथों, मारे जाने से अमर है। इसलिए बुराई के नाम पर दुनिया, उसका स्मरण एवं उदाहरण किया करती है। 

मेरी बेटी ने पूरा सुन लेने पर अत्यंत विषाद एवं घृणा से, इतना ही कहा था - 

धिक्कार है, पापा कि मैं, आपकी बेटी हूँ। 


अगले दिन मुझे सुबह ही, अपने मातहत कर्मी के फोन से ज्ञात हुआ कि मेरी बेटी ने, मेरी जानकारी के बिना, मेरी कही गई बात को रिकॉर्ड कर लिया था। जिसे उसने, रात ही नेट पर अपलोड कर दिया था। बेटी के द्वारा यह अपलोडेड रिकॉर्डिंग, वायरल हो गई थी। 

उसी दिन, मेरे विरोध में, भड़के लोगों ने, मेरा ऑफिस, आग के हवाले कर दिया। इसके बाद, कई दिनों तक मेरा, घर से निकलना कठिन हुआ। 

यद्यपि मेरे विरुद्ध, कोई प्रमाण नहीं था। फिर भी इस रिकॉर्डिंग के आधार पर, न्यायालय में जन याचिका लगा दी गई। 

तब मैंने, बेटी से कहा - 

बेटी, तुम भूल गई कि मैं, तुम्हारा पिता हूँ। फिर भी मैं नहीं भूलूँगा कि तुम मेरी बेटी हो। यद्यपि मुझे हानि बहुत हुई है लेकिन इसे, तुमसे अपने रिश्ते के लिए मैं, सहन कर लूँगा। 

फिर मैंने बेटी के मोबाइल पर देखा कि वह, इसे भी तो रिकॉर्ड नहीं कर रही है। इसकी जाँच एवं पुष्टि कर लेने के बाद मैंने कहा - 

मेरे पास बहुत पैसा है। और इसके बलबूते पर मैं, प्रभावशाली पदों पर बैठे, रावणों को खरीद लूँगा। आने वाले दिनों में, तुम देखोगी कि मैं, न्यायालय से निर्दोष साबित कर दिया जाऊँगा। 

न्यायालय में मुझ पर चले अभियोग को पुष्ट करने के लिए, ना तो तनुजा और ना मेरी शोषित युवतियों में से, कोई अन्य ही आई थी। 

इस रिकॉर्डिंग के संबंध में विरोध पक्ष के वकील द्वारा पूछे प्रश्न पर, मैंने न्यायालय को बताया कि - 

यहाँ पेश, रिकार्डेड ऑडियो कथन मेरा ही है। इसे मैं, अपनी निर्माणाधीन मूवी के दृश्य में, खलनायक से कहलवाने जा रहा हूँ। 

अपनी बेटी को मैं, यह कथन, उसकी जिज्ञासा में बता रहा था। उसने, इसे रिकॉर्ड किया था। 

हमारे बीच के वार्तालाप के पूर्व अंश, बेटी द्वारा हटाकर अपलोड किये जाने से ऐसा भ्रम हो रहा है जैसे कि यह मेरे किये अपराधों की स्वीकारोक्ति है। 

वकील ने पूछा कि - क्या कारण है कि आपकी बेटी ने ही, आपके विरुद्ध यह दुस्साहस किया है? 

इसके उत्तर में मैंने, न्यायालय को बताया कि - मेरी बेटी अति-महत्वाकांक्षी है। उसने इस रिकॉर्डिंग से, स्वयं अपने को, देश और दुनिया में चर्चित करने के लक्ष्य से, यह सब किया है। वह अपने इस उद्देश्य में सफल भी हुई है। उसे देश विदेश में, इससे पहचान मिल गई है। 

तब मेरी बेटी यद्यपि न्यायालय में, मेरे विरुद्ध रही थी। उसने अपनी रिकॉर्डिंग को सच्चा बताया था। 

फिर भी, मेरे विरुद्ध, उसे पुख्ता साक्ष्य नहीं माना गया था। 


तब जज महोदय ने, मेरे निर्दोष होने का निर्णय पारित कर दिया था। 

निर्णय वाले दिन घर में, मेरी बेटी, मुझसे कह रही थी - 

आज जलने वाला तो निर्जीव रावण (पुतला) होता है, मगर ऐसा लगता है कि रावण दहन के दर्शकों में ही, कई साक्षात रावण होते हैं। विडंबना है कि इसे, जलाने वालों में भी कई, आप जैसे रावण होते हैं। 

उसकी खिसियाहट पर मैं, हँसा था। 

जिससे चिढ़कर बेटी ने आगे कहा - मुझे समझ आ गया कि रावण दहन, एक प्रतीक रस्म है जिसमें जलते रावण को देखते हुए, दर्शकों की दृष्टि अपनी बुराई पर जानी चाहिए। मगर खेद है कि दर्शक में कई व्यक्ति, अपनी ओर दृष्टि नहीं करते हैं। वे बुराई दूसरे में ही देखते रहते हैं।

इसे सुन मैं, “आज का रावण”, अपने, अत्यंत अधिक प्रभावशाली होने के अहंकार में, अट्टहास लगाता रहा था।   

तब बेटी ने, अपनी माँ से मुखातिब होकर को अपना निर्णय सुनाया - 

रावण से भी बुरे इस आदमी को अब मैं, पापा नहीं कह सकूँगी। यह घर छोड़ मैं, अलग रहने जा रही हूँ ..  

 



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