मार्कर की अनसुनी कहानी
मार्कर की अनसुनी कहानी
नक्सलियों ने गाँव को पूरा अपने कब्ज़े में ले रखा था, उन लोगो ने संचार के सारे साधन ठप कर रहे थे,कोई भी कही भी आ-जा नही सकता था,पूरा का पूरा गांव नक्सलाइड के कंट्रोल में था।मावोवादी सरग़ना के सरदार आड्रे स्वान ने अपने सारे टुकड़ियों को अलग-अलग कर आस-पास के गाँव में भेज दिया और इस गाँव को अपना हेड ऑफिस बना रखा था ।
कुछ महीने पहले ही रॉकर की पोस्टिंग उस गाँव मे हुआ । पर निजी काम के चलते वो पदभार लेने में असमर्थ थे तो उन्होंने अपने दफ्तर में अर्जी दे रखी थी कुछ महीने बाद वो वहां जाकर डॉ. पद के कार्यभार को ग्रहण कर लेंगे ।
अब वो गाँव नक्सली के कंट्रोल में था जब रॉकर वहां पहुचे उन्हें पता भी नही था। जब वो अपने दवाखाने गए तब पता चला यह गाँव मावोवादी दे भरा है दरसल इस गाँव मे उनका ही राज था।स्टॉप के तो नाम बस थे ..? वहां कोई स्टॉप ही नही था। सिर्फ वो अकेले ..!
रॉकर पूरी तरह से डर गए अब वहां सरगना के सरदार आड्रे स्वान आये और उनसे कहा यहाँ रहना है डॉ. बाबू तो हमारे बताए रास्ते पर चलना होगा हम जो बोले बोलना होगा हम जो दिखाए देखना होगा,यहां हमारे इशारे के बिना हवा भी नही चलती न कोई चींटी अंदर आ सकती है ना कोई चींटी बाहर जा सकती है। अब रॉकर पूरी तरह डरकर घर चला आया। अपनी पत्नी और बच्चे को कुछ बताया भी नही ।
.....कुछ दिनों बाद .......(००)
मार्कर - रॉकर का बेटा / उम्र 15 साल काफी ज्यादा दिमाग वाला / टेक्नोलॉजी का बाप / इस कहानी का हीरो / देश भक्त
मोरिका - रॉकर की पत्नी
जलीन - रॉकर की माँ / मार्कर की दादी
पुलिस बल अपने सहकर्मियों के साथ उस गाँव मे जाते है।जब उनको इस बात की जानकारी लगती है। पर वो अपने ऊपर बैठे अफसर अधिकारी कलेक्टर और किसी को बिना बताए बिना ऑडर के धावा बोल देते है। पर यहां तो नक़्लसी पूरी तरह से तैयार जैसे उन पुलिसबल का ही इंतिज़ार कर रही होती है।और ये खबर भी उसी सरदार ने किसी गाँव वाले के मदद से दिया था दरसल जो आदमी पुलिस का मुखबिर था वो पुलिश का नही बल्कि उस सरग़ना के सरदार आड्रे स्वान का था। खूब गोली बारी चलती है.धड़..... धड़... दाय....दाय....
डिचक्यू ....डिचक्यू.. मसीन गन ... टर...टर..टर..टर....
सारे तरफ खून लाश ही लाश खून ही खून पूरी जमीन खून से लतपथ सारे जवान सैनिक सिपाही की लाशें देख पूरे गाँव वाले और डॉ. भी एक दम सन्न हो जाता है। ये आवाजे आस-पास के गांव तक जाती है। सब के मुँह में ताले लगे होते है।
मौका देखकर डॉ. वहां से छिप छिपाकर घर आता है. पर वहां उसे मावोवादी सरग़ना के सरदार आड्रे स्वान मिलते है। उनके एक नक़्लसी को गोली लगी होती है। उसे ईलाज करने कहते है ये सब उनका बेटा मार्कर देख रहा होता है। वो लोग वहां से ईलाज करा कर चले जाते है।
...एक महीने बाद ...(००)
जब एक महीने बाद भी कुछ खबर सन्देशा नही आता ना ही कोई बचाव दल तो यहां रॉकर ने शहर जाने की अनुमति लेते है। और कहते है सरग़ना के सरदार से मुझे कुछ काम से शहर जाना है । और सरदार कहते है ठीक है पर तुम अकेले नही जाओगे हमारा कोई आदमी तेरे साथ जाएगा ...?
रॉकर - ठीक है..अब वो घर जाता है.अपने बेटे को ये बात बताता है.उनका बेटा मार्कर कहता है । आप अपनी बात उन अफ़सर तक कैसे पहुँचओगे पापा जब आप के साथ एक बन्दा जा रहा है। आप काम करो मुझे अपने साथ ले चलो मुझे कुछ समान खरीदना है।जिससे हम यहां रहकर ही उन तक अपनी बात पहुँचा सकते है।
वो मार्कर को अपने साथ ले जाते है मार्कर ड्रोन बनाने का सामना और कुछ ट्रांजिस्टर और वाकी टाकी और तरह तरह के टेक्नोलॉजी का हर एक समान जो काम आ सके अब अपने साथ लेकर गांव आ जाता है। उस बंदे को दिखाने के लिए अलग समान ओर वहां से लाने के लिए अलग समान लाते हैं।
कैमरे और भी बहुत कुछ था जो उनके पापा रॉकर को समझ नही आ रहा था।अब इधर मार्कर के दिमाग मे बहुत कुछ चल रहा था देशभक्ति फ़िल्म और कहानी किस्से इतने सुने और देखे थे जिनका तो जवाब ही नही अब वो सब प्रेक्टिकल करने का वक्त आ गया था। मार्कर किसी बटालियन या फ़ौज का हिस्सा तो नही ना ही उसे कोई स्पेशल ट्रेनिंग मिली थी।पर दिमाग बहुत ज्यादा तेज था। उसने सन्देश भेजने के लिए एक रेडियो वायरलेश जो सिर्फ फौजी या पुलिश के पास होती है।या बटालियन bsf ke pass कैमरे जो ड्रोन में लगा रखे थे।
एक मिनी जैमर .एक स्मार्ट रोबोट जो सिर्फ सूचना देने लेने का काम करे सेंसर लगा हुआ जो सिर्फ मार्कर के कमांड पर काम करता था।
रविवार 15 तारीख ...(०००)
आज वो दिन था जब रॉकर और उनके बेटे मार्कर मिलकर उसमावोवादी सरग़ना के सरदार आड्रे स्वान के खिलाफ जंग छेड़ दी और सारी जानकारी जवानों तक पहुँचा दी । अब बारी थी जवानों को पूरी सही और सटीक जानकारी देने की तो फिर मार्कर ने ड्रोन की मदद से पूरा इलाका छान मार हर एक लोकेशन हर एक कि निगरानी कौन कहा है ....वगैरा.वगैराकितने हथियार क्या है कितने बम हाथ ग्रेड हेंड बम और कहा कहा माईनस बिछा रखे है सारी जानकारी पूरी एक RAW agent की तरह पूरा फ़िल्म की तरह एक परफेक्ट ब्लू प्रिंट पूरे गाँव पूरे जंगल की जहाँ मावोवादी सरग़ना के सरदार आड्रे स्वान बैठा था या उसका अड्डा था। उनका हेड ऑफिस जहां था उस की पूरी निगरानी अपने डेड (रॉकर को ) दे रखी थी
एक वाकी टाकी और ड्रोन के साथ और अपनी घर की सुरक्षा के लिए एक रोबोट जो हथियार से लेश था। जो सिर्फ गोली बारी करने वाला रोबोट हथियार नही बल्कि सुरक्षा करने वाला रोकने वाला अपने माँ और दादी के लिए ।
अब जवानों के पास पूरा कच्चा चिठ्ठा था पूरी जानकारी थी बस इंतिज़ार था तो अपने ऑफिसर के कमांड का...हरि झंडि मिली यहां रॉकर और मार्कर को भी हरि झंडी मिली और यहां जो हो रहा है वो लाइव न्यूज पर और वहां जो हो रहा है। वो भी लाइव न्यूज पर चलने लगी ।
सब एक के बाद एक नक्सली ढेर होते गए.वहां हेड ऑफिस में उनके पिता रॉकर ने मोर्चा सँभाल रखा था वहां से वो लाइव और इघर जंगल से उनके पुत्र मार्कर लाइव पर इस बात की खबर सरग़ना के सरदार को लग गया हो सीधे उस डॉ. के घर गए यहां मार्कर ने घर के तरफ और जो सेंसर लगा रखा था जो ड्रोनछोड़ रखे थे उन की मदद से उसकी घड़ी बज उठी उसका छोटा मिनी रोबोट जानकारी देने लगा खतरा घर खतरा घर ।
मार्कर फोर्स जवान को लोकेशन लाइव फिड अपने घर की तरफ बताकर कहा मावोवादी सरग़ना के सरदार आड्रे स्वान
मेरी घर की तरह बढ़ रहे वो यहां से भाग रहे है । जल्दी करो..!जल्दी तुरन्त....वो घर की तरह पहुँचा...
वहाँ उसके पिता (रॉकर) को भी लोकेशन यही मेसेज मिलापर फोर्स और पिता को पहुचने में देरी हो गई ।मार्कर के पहुचने से पहले ही वो माँ दादी और रोबोट को गोलियों से भून चुका था।
डायलॉग - माँ गई दादी गई गया तेरा परिवार।
हमसे उलझने वाले का यही अंतिम संस्कार ।।
मैं ही मैं हूं और हूँ मैं मौत का दानव
कोई नही बचेगा जन्तु हो या मानव
मैं मौत का देव हू मैं ही दानव हू । ऐसा ही कुछ डायलॉग बाजी हुई...
मार्कर - चला गोली मार मुझे पर आज तू भी बच के नही जा पायेगा । तेरी मौत आ रही है। चला गोली ..
देश भक्ति गीत गाते और भारत माँ का जय कहते हुए वो भी इस दुनिया से चला गया । उसकी मौत जाया नही हुई वो गांव नक्सलियों मावोवादी के गिरफ्त से दूर हो गया। हा पर उस सरग़ना के सरदार आड्रे स्वान वहां से फरार होने में कामयाब हो गया पर उसकी तलाश जारी है जल्द ही वो पकड़ा जायेगा या फिर किसी मुड़भेड़ में हमारे जवान उसे धरासाहि कर मौत की सैय्या में लेटा देगे।
उधर मार्कर को जवानों की तरह शहीद का सहादत मिला ।