टिकट काउंटर
टिकट काउंटर
भाग -१
बुधवार का दिन था हमें "गोंडा से बलिया" जाना था। मेरे पति गोण्डा में RI है और हम मिनी बलिया जिले के राजस्व विभाग में क्लर्क है।
हमारी शादी को कुछ ही महीने हुए है और जो अवकाश लिया था वो भी खत्म हो गया था तो हम दोनों अपने अपने ऑफिस चले आये। हमने उनसे पूछा था पर उन्होंने कहां नहीं अभी हमारा तबादला नहीं हो सकता।
यार मिनी यहां अभी-अभी तो मेरी नियुक्ति हुई है और अभी कैसे तबादला ले सकता हूँ।
तुम ही कुछ देख लो ...?
मिनी –
ठीक है मैं ही अपने दफ्तर में अर्जी दे देती हूं..!
क्योंकि मिनी करीब 5 साल से बलिया जिले के राजस्व विभाग में कार्यरत है, और शादी भी हो गई है। तो तबादला या बंदोबस्त तो हो जाएगा। कोई वहां से यहां आए तो हम दोनों एक जगह खुशी से रह तो पाएंगे। और फिर मिनी ने अपने ऑफिस में तबादले की अर्जी दे दी।
और अपना तबादला गोण्डा करवाना चाहा।
पर आप सब को पता ही होगा सरकारी काम तो सरकारी जैसा ही होता है।
"लेट लतीफा"..!
तो हमे मंजूरी मिल गई पर 6 महीने के बाद।
विक्रांत ― मिनी का पति
मिनी उन्हें फोन पर सारा कुछ बता रही थी उधर विक्रांत लापरवाह होकर फोन में बात करते हुए गाड़ी चला रहे थे
और सामने से आ रही वेगेनार UP43Gl×××× से टक्कर
हो गई। फोन चल रहा था वो कुछ बात नहीं कर रहे थे।
और मेरा दिल बैठा जा रहा था रोना आ रहा था ।
मैंने उन्हें कितनी मर्तबा कहाँ है कि गाड़ी चलाते समय फोन में बात मत किया करो, कही किनारे में गाड़ी खड़ा कर के भी तो बात कर सकते हो. पर वो मेरी सुनते ही कहां है।
अब आस-पास वालों ने उन्हें गाड़ी से बाहर निकाला और उनमें से किसी की नजर फोन पर पड़ी। उसने हमें सारा कुछ बताता एंबुलेंस में भर कर अभी अभी उनको ----- स्टेशन रोड / जिला - अस्पताल गोण्डा ले गया है। आप उनके क्या लगते हो आप जल्द ही अस्पताल पहुँच जाओ . मैं ये फोन लेकर आप को वही अस्पताल में मिलूंगा मैंम ..?
मिनी ―
उस भाई साहब का "धन्यवाद" किया।
नाम पूछा पता पूछा और सब कुछ बताया।
मुझे आने में लेट लगेगा।
मैं उनकी पत्नी हूँ।
और मैं बलिया में रहती हूं।
तो मेरे आते तक आप उनका ध्यान रखे।
आप अपना ac/नंबर सेंड कर दो ताकि मैं आपको पैसे ट्रांसफर कर सकूं।
जीवन ―
कोई बात नहीं भाई भी बोल रही हो और ऊपर से आप हमें पराया भी बना रही हो दीदी आप चिंता मत करो मैं हूं। पैसे की जरूरत नहीं है। आप अपना ध्यान रखो और हड़बड़ी में मत आना हर एक घण्टे में आप को अपडेट देता रहूँगा।
कैसे है जीजा जी बताता रहूँगा ...?
मिनी -
ठीक है भाई बहुत बहुत धन्यवाद...मैं जल्द आने की कोशिश करती हूं यह कहने के बाद फोन रख कर सीधे अपने दफ्तर की तरह भागती है और अपने बड़े अधिकारी से छुट्टी लेकर
स्टेशन टिकट काउंटर में पहुँचती है।
टिकट काउंटर ― रेलवे स्टेशन बलिया
वहां जब पहुँचती है तो दंग रह जाती हैं भीड़ को देखकर पर ये भीड़ तो हर रोज होती है। पर मिनी को ऐसा लग रहा था कि ये भीड़ आज ही कुछ ज्यादा है।
2 बज रहे थे टिकट काउंटर खुल गया था। टिकट लेने के लिए बड़ी लम्बी कतार लगी थी।
पुरूष/महिला सब एक ही कतार में खड़ी थी मैं भी उसी कतार में खड़ी हो गई और महिला के लिए अलग कतार लगाने के लिए टिकट मास्टर को कहती रही। अंततः मेरी बात सुन ली गई और एक अलग काउंटर टिकट का महिला के लिए खोल दिया गया।
उस लाइन में सबसे पहले एक महिला खड़ी थी उसके हाथ में सिर्फ एक बैग और एक छोटा बच्चा था। वो टिकट मास्टर से बाबू साहब कर के विनती कर रही थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था बात क्या है।
वो टिकट उसे क्यों नहीं दे रहे...?
इतना विलम्ब क्यों लग रहा है।
उस औरत को वहां से भगा दिया गया।
वो अपने बच्चे और सामना को लेकर वही पास में बैठ गई.
मैंने ध्यान तो दिया..
पर मैं खुद भी तो बड़ी मुसीबत में घिरी थी ना.
मुझे जल्द से जल्द अपने पति के पास पहुँचना था।
तो सोचा खैर छोड़ो जाने दो यार ये सब .?
और टिकट मास्टर से पूरा पूछताछ करने के बाद मैं भी उस काउंटर से हटकर उस औरत के बगल में बैठ कर सोचने लगी।
क्रमशः - आगे क्या हुआ ये अगले भाग में ..?