लघुकथा
लघुकथा
राजा हरिराम उदास दुःखी मन से चलते हुए बावड़ी के निकट विश्राम करने लगते है । वो समय उनके स्नान का हो गया था पर वो अपनी रियासत से अभी कुछ दूर थे , तो उन्होंने वही बावड़ी में कुछ वक्त विश्राम किया और स्नान भी किया ।पर जब वो बावड़ी से बाहर निकल रहे थे तो उनके साथ एक बालक और एक स्त्री भी बाहर निकले ...राजा आश्चर्य चकित होकर उनको देखने लगा ...
राजा ने पूछा ..."हे स्त्री तुम कौन हो ..ये बालक कौन है ...यहां क्या कर रहे हो..कब से अंदर थे ... क्षमा हमने आपको देखा नही ...?"
स्त्री कहती है ..."हे राजा जी आप क्षमा ना माँगे आपकी गलती नहीं है ।एक ऋषि के क्रोध श्राप से मै और मेरा बच्चा यहां बावड़ी में कछुवे और मछली की तरह रह रहे थे। आपके पवित्र आँसू से हमें मानव रूप में फिर आने का स्वभाग्य मिला है ।
स्त्री कहती है "राजा हरिराम जी ....आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी। " उस बच्चे को राजा ने गोद लिया और राजा बना दिया । दूसरी शादी की उस बावड़ी वाली स्त्री से।