मानवता
मानवता
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
कोरोना को लेकर पूरे शहर में दहशत था कल जनता कर्फ़्यू है सोचकर मीरा परेशान हो रही थी।कल काम पर नही जाएगी तो चूल्हा कैसे जलेगा,बेटे की फीस जमा करनी है इसी उधेड़बुन में उसकी रोजी लेने की बारी आ गई ठेकेदार ने दोगुनी रोजी दिया तो मीरा ने कोतुहलवश पूछ लिया साहब कल भी काम पर आना है क्या?
ठेकेदार ने मुस्कुराते हुवे जवाब दिया नही कल से अचानक जनता कर्फ्यू लगा है कल घर से निकलना नही है तुम लोग रोजी पर आओगे नही तो चूल्हा कैसे जलेगा इसलिए दो दिन की रोजी दे रहा हूँ,कल घर से बाहर मत निकलना समझी चल आगे बढ़। मीरा आगे बढ़ गयी उसके दोनों हाथ धन्यवाद की मुद्रा में जूड़े हुवे थे वह भगवान को धन्यवाद दे रही थी आपकी ऐसी ही रचना के कारण मानवता जिंदा है कभी मालिक के पैर में कांटा न चुभे आशीर्वाद देते हुए आगे बढ़ गईं।।