Raginee Srivastava

Tragedy

5.0  

Raginee Srivastava

Tragedy

माँ सी मासी।।

माँ सी मासी।।

2 mins
777


सब कुछ बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था 24 घण्टे पहले जिस घर में शादी की शहनाई गूंज रही थी वहां मौत का रुदन बेहद कारुणिक और भयावह था। कंचन देवी अपनी बड़ी बेटी को ससुराल भेज खुद दुनिया से विदा हो चुकी थी।

पीछे थे किंकर्तव्य विमूढ़ पति और सत्रहवर्षीया मासूम छोटी बेटी जान्हवी जो कि अपनी उम्र से भी ज्यादा भोली और मासूम थी। पहले दीदी की विदाई और अब माँ के चले जाने का असहनीय दर्द वो जड़ सी होकर बैठी थी, न आखों में आंसू न कोई प्रश्न। सभी ने उसे घेर रखा था।

अब तो उसकी चुप्पी सबको डरा रही थी।

"चिंता न कर बेटी भगवान की यही मर्जी तेरी तो तीन तीन मौसिया है वे भी तो माँ जैसी होती है"..किसी ने कहा था। अचानक जान्हवी की पलकें उठी फिर तो तीनों मौसिया और जान्हवी फुट फुट कर रोइ। उस रुदन में एक आश्वासन था।

मृत्यु संस्कार के 13 दिन निकल गए थे, रिश्तेदारों व मित्रों से घर खाली हो चुका था। बड़ी व छोटी मासी और अब दीदी भी जा चुकी थी। जान्हवी की सारी उम्मीदे मझली मासी से थी...वे उसे अकेला नही छोड़ेंगी और एक दिन मझली मासी के साथ जान्हवी उनके घर आ गई थी। मौसेरे भाई बहनों का साथ उसे अच्छा लगने लगा था पर वे न उनके साथ खेल पाती और न टीवी देख सकती क्योंकि मौसा जी को उसके हाथ की चाय अच्छी लगती और दादी को अपने पैरों की मालिश करवाना और मौसी को उसके हाथ की कटी सब्जियां ही पसन्द थी। जान्हवी सब खुशी खुशी करती मगर उसकी नज़र हमेशा मासी की आंखों में माँ को ढूंढती रहती।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy