हॉउस वाइफ
हॉउस वाइफ
'अरे हम तो हाउस वाइफ है' समाज में अक्सर यह कहते सुनते महिलाओं के चेहरे पर मायूसी या आत्मविश्वास की कमी नज़र आती है। एक तरफ तो हम होममेकर या हाउसवाइफ को नोटिस न किये जाने पर असंतुष्ट रहते है दूसरी तरफ हम खुद को घरेलु या नॉन-वर्किंग कहने के लिए स्वयं मानसिक रूप से तैयार नहीं है।मैं जिस कॉलोनी में रहती हूँ वहाँ वर्किंग वुमन, होममेकर, प्रोफेशनल्स,वर्क फ्रॉम होम हर तरह की महिलाएं रहती है। उनमे से एक मिसेस सिन्हा है। बेहद उत्साही,हँसमुख और व्यवहार कुशल महिला है वो। सभी के सुख-दुख में खड़े रहना। घर में सास-ससुर पति बच्चो का अच्छी तरह से ध्यान रखना उनके स्वास्थ और खान-पान के साथ दोनों बेटों की पढ़ाई को पूरी जिम्मेदारी के साथ देखना।
सुबह टाइम मैनेज कर योगा और वाकिंग जाती हुई व गर्मियों में हमेंशा नई चीज़े सीखती हुई मिसेस सिन्हा मुझे प्रभावित करती। पति से भी उन्हें पूरा सपोर्ट मिलता जिससे घर की छोटी बड़ी हर समस्या को वे आसानी से झेल लेती।
मिसेस सिन्हा का घर में हर रोल परफेक्शन से निभाना मुझे बहुत मोटीवेट करता। मैं खुद भी एक होममेकर हूँ।
एक बार की बात है मैं उनके साथ किसी शादी में गई हुई थी। चूँकि मैं इस शहर में नई हूं तो मेरे परिचित कम ही थे और मिसेस सिन्हा अपने परिचितों से मुझे इंट्रोड्यूस करा रही थी। तभी किसी ने पूछा मिसेस सिन्हा आप क्या कर रहे हो आज कल?
मैंने देखा उन्होंने बड़ी मायूसी से कहा-‘अरे कुछ नहीं यार’ ‘हम तो बस घर पर ही रहते है’। हाउस वाइफ हूं यह कहते हुए उनका चेहरा मुझे बहुत झेंपता हुआ लगा। एक पल को मुझे लगा ही नहीं ये वही महिला जो पति,बच्चो, सास-ससुर की जिम्मेदारी बखूभी निभाते हुए अपना भी ध्यान रखती है। सामाजिक दायित्व और रिश्तेदारियां भी निभा रही है।
शादी से तो मैं वापस आ चुकी थी मगर दिमाग में कुछ प्रश्न लगातार उठ रहे थे एक तरफ तो हम हाउस वाइफ को महत्व नहीं मिलता ये कहते है मगर दूसरी तरफ किसी समारोह में यह कहते हुए कि ‘क्या करे हम तो हाउस वाइफ है’ खुद को ख़ारिज कर देते है क्या यह हमारी सही मानसिकता है?? क्या घर पर रहकर फैमिली के लिए जो कुछ कर रहे है उसका महत्व हमें खुद ही नहीं मालूम।