Raginee Srivastava

Tragedy

5.0  

Raginee Srivastava

Tragedy

घर

घर

2 mins
317



"बुआ... कहाँ हो तुम ?" स्कूल से आते ही रिचा दौड़ते हुए अपने कमरे मे गयी जहाँ उसकी बुआ सुनिधि कपड़ो मे तह लगा रही थी ।

"क्यों तुम तो कह रही थी कि इस बार पूरे वन वीक के लिए आऊँगी मगर अभी तो 3 दिन ही हुए हैं,बाहर वेद कह रहा है कि तुम आज ही फूफाजी के घर जा रही हो।" कहते हुए रिचा बुआ के गले से लटक गयी और रुआंसी हो गई थी।

"बेटा अभी तो मै जा रही हूँ मगर जब तुम्हारे स्कूल मे सर्दी की छुट्टियाँ लगेंगी तो पूरे वन वीक तेरे साथ रहूंगी अभी जाने दे , वहाँ दादी की तबियत भी थोड़ी खराब है"...अंतिम वाक्य सुनिधि के गले में ही अटक गया था क्योंकि सच तो कुछ और ही था। माँ पापा के जाने के बाद भाई भाभी के साथ एक हफ़्ते रुकना बहुत ज्यादा लगता था और बिना उनके आग्रह के रुकने में शर्म भी आती और भाभी का औपचारिक व्यवहार पीड़ा से भर देता था। सुनिधि सोच रही थी इधर रिचा का रोना शुरू हो गया और बाल-सुलभ जिद्द भी।

"तुम हर बार यही कहती हो बुआ कि इस बार बहुत दिन रुकूँगी"। "रो मत रिचा... देख बेटा शादी के बाद ससुराल ही लड़की का घर होता है... बार बार मायके नहीं आ सकती"। "फ़िर तो बुआ मैं भी शादी के बाद वन वीक के लिए नहीं आ पाऊँगी"। "अरे नहीं बेटा ये तो तुम्हारा घर है"-सुनिधि ने कहा। "पर बुआ ये तुम्हारा भी तो घर है न"...नौ वर्षीया रिचा का रोना बन्द हो चुका था।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy