STORYMIRROR

V. Aaradhyaa

Classics

4  

V. Aaradhyaa

Classics

माँ का दिल है ना

माँ का दिल है ना

1 min
298

एक मां की चिंता अपने बच्चे के लिए हमेशा रहती है।

इन दिनों ठंड बढ़ी कड़ाके की पड़ने लगी थी। पर बिटियारानी को तो बस अपने स्टाइल से मतलब था।

"मुन्नू ...बेटा...! बाहर जा रही हो तो देखो कितनी ठंड है।

अच्छे से स्वेटर पहन लो , टोपी पहन लो , और दस्ताने भी लगा लो!"

स्मिता ने कॉलेज जानेवाली अपनी बेटी मोनिता को हिदायत देते हुए कहा।

"ओफ्फोह... मां! आप इतना मेरे लिए परेशान क्यों होती हो। अब मैं बड़ी हो गई हूं। अपना ख्याल रख सकती हूं!"

मोनिता ने कहा तो मां उसके गाल पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली,

"बेटा... तेरी फिक्र है मुझे...!"

मां की यह बात सुनकर मुन्नू उनके गले लग गई और बोली,

"आई लव यू मां..!"

स्मिता अपनी बेटी को ममतामई आंखो से तब तक देखती रही फिर उसके सकुशल

 घर लौट आने की दुआ करने लगी।

ऐसा ही तो होता है मां का प्यार... 

जो औलाद के लिए हमेशा फिक्र करता रहता है।

और उसकी सलामती की दुआ मांगता रहता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Classics