Kanchan Shukla

Tragedy

4  

Kanchan Shukla

Tragedy

मां का अंतिम आशीर्वाद

मां का अंतिम आशीर्वाद

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अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में, बेड पर निर्जीव सी पड़ी अपनी मां को निशा !देखें जा रही थी, उनकी ऐसी दशा देखकर, उसकी आंखें आंसूओं से भर गई, उसे मां का चेहरा धुंधला दिखाई देने लगा।आंखों से आंसूओं को साफ करने के लिए उसने अपनी पलकें बंद कर ली, आंखों के आंसू उसके गालों पर लुढ़कते चले गए।मां की ऐसी दशा देखकर उसका मन चित्कार कर उठा, वह मां से लिपटकर फूट-फूट कर रोना चाह रही थी, पर ऐसा संभव नहीं था, क्योंकि वह अस्पताल में थी।उसके हृदय में तूफान मचा था, इस तूफान को कैसे शांत करे, तूफान का शोर बढ़ता जा रहा था, वह जितना मां के बारे में सोचती उसके मन की दशा उतनी ही बिगड़ती जा रही थी।मां कि ऐसी दशा का जिम्मेदार कौन है?ईश्वर?परिस्थितियां?या कुछ और?,मां की इस दशा के लिए किसे दोषी करार दे? वह सोच नहीं पा रहीं थी।आज जिस अवस्था में मां बिस्तर पर पड़ी हैं, ऐसी दशा में मां को कभी देखेगी ? नहीं ! ऐसी तो ,कभी कल्पना भी नहीं कि , देखना तो दूर की बात है। सोचते, सोचते वह अतीत कि गहराईयों में उतरती चली गई।

आज से चार दशक पहले, मां की कार्य कुशलता को देखकर हर व्यक्ति उनकी तारीफ करता,ऐसा कौन सा काम था जो मां को नहीं आता था। मां हर कार्य में दक्ष थी, और उनकी सहनशीलता की लोग मिसाल देते थे ,मां की सहनशीलता को देखकर पापा कभी, कभी कहते कहीं यह सहनशीलता तुम्हारे लिए अभिशाप ना बन जाए।ऐसा कुछ नहीं होगा, मां मुस्कुराकर जवाब देती,हमारा संयुक्त परिवार था, लोग हमारे घर की एकता का उदाहरण दिया करते ।अपनी गति से समय पंख लगाकर उड़ता रहा, और सब भाई बहन बड़े हो गए, निशा अपने घर में सबसे बड़ी थी, घर वालों को उसके विवाह की चिंता सताने लगी। निशा अभी विवाह नहीं करना चाहती थी, पर उसकी मर्ज़ी नहीं चलीं और उसका विवाह कर दिया गया।निशा अपने मायके का आंगन छोड़कर, ससुराल आ गई, मां ने ढेरों दुआएं देकर उसे विदा किया था।ससुराल में सासू मां की तबीयत अचानक ख़राब हो गई थी, इसलिए निशा कुछ महीनों तक मायके नहीं जा सकीं, इसी बीच एक दिन एक मनहूस खबर मिली कि उसके पापा इस दुनिया में नहीं रहें। निशा और उसके मायके पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।मां तो जैसे टूटकर बिखर गई,उनकी तो दुनिया ही उजड़ गई थी। पर मां के जीवन में यहीं,दुःख का अन्त नहीं था, यह तो बस शुरूआत थी।अभी तो उन्हें और भी दुखों का सामना करना था।

निशा के भाई अभी कम उम्र के थे , उन्हें अपने अच्छे बुरे की समझ नहीं थी ,पिता की मृत्यु ने उन्हें निरंकुश बना दिया, वे बड़ों की आज्ञा का उलंघन करने लगे और ग़लत रास्ते पर चल पड़े। मां और बड़े पापा ने बहुत समझाया पर उन पर कोई असर नहीं हुआ।उन दोनों ने घर को महाभारत का मैदान बना दिया,आये दिन दोनों जमीन जायदाद को लेकर लड़ने लगे। यह सब देखकर मां तो जैसे पत्थर की हो गई, उन्होंने किसी से कुछ कहना ही छोड़ दिया, और अन्दर ही अन्दर घुटती रहती, एक दिन निशा के दोनों भाई मार पीट पर उतर आए, मां यह दृश्य बर्दाश्त नहीं कर सकीं , वह बेहोश होकर गिर पड़ी । आज वह अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही हैं।तभी निशा को अपने कंधे पर हाथ का स्पर्श महसूस हुआ ,वह चौंक कर अतीत से वर्तमान में लौट आईं, उसने पलट कर देखा उसके दोनों भाई आंखों में आसूं लिए खड़े हैं, वह उन्हें क्रोध में देखकर, कुछ कहने जा रही थी कि,उसी समय डाक्टर आ गये । डाक्टर ने कहा! "आप की मां कोमा में जा चुकीं हैं, इन्हें होश कब आयेगा ,कहा नहीं जा सकता।" निशा के दोनों भाई शायद पश्चाताप की अग्नि में जल रहें थे, वे मां के पैरों को पकड़कर रोते हुए कहने लगे "मां हमें माफ़ कर दीजिए, और अपनी आंखें खोलिए,हम अपने कृत्य पर बहुत ही शर्मिन्दा हैं।" दोनों रोते जा रहें थे, और निशा सोचने लगी ,अब माफी मांगने से क्या फायदा, अब मां कहां सुन रहीं हैं। यही सोचती हुई निशा मां के चेहरे को देखती जा रही थी।उसने देखा !मां ने अपनी आंखें खोली !और उनके हाथों में भी हरकत हुई,निशा दौड़कर मां के पास पहुंची ,मां के हाथ को अपने हाथों से पकड़ कर बोली "मां! आप ठीक हो गई", मां बहुत धीरे से मुस्कुराई और निशा के सिर पर अपना हाथ फेरा, वे तीनों मां से लिपट गये।निशा मां से लिपटी हुई कहें जा रही थी, "अब सब ठीक हो जाएगा, मुझे विश्वास था ,आप जरूर ठीक हो जायेगी।" तभी उसके सिर से मां का हाथ फिसलकर बिस्तर पर गिर पड़ा, निशा ने चौंककर मां के चेहरे को देखा, उनके चेहरे पर मुस्कान के साथ शान्ति की आभा थी, वह इस दुनिया को अलविदा कह, अपनी अनन्तयात्रा पर चलीं गईं थीं, उनके चेहरे की शांति शायद यह कह रही थी कि, आज मैं बहुत खुश हूं क्योंकि, तुम तीनों एक साथ रहो, यही मेरी अन्तिम इच्छा थी ,जो आज पूरी हो गई।निशा को आज भी ऐसा महसूस होता है कि जैसे,मां का वह अन्तिम आशीर्वाद, उसके जीवन में, एक सुरक्षा कवच बनकर दुखों से उसकी रक्षा कर रहा है।


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