Kanchan Shukla

Inspirational

5.0  

Kanchan Shukla

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आखिर ऐसा क्यों है?

आखिर ऐसा क्यों है?

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"भारती! भारती! बिटिया" कल्याणी जी की कमज़ोर आव़ाज भारती को सुनाई दी।

भारती रसोई में काम कर रही थी वहां से भागकर कल्याणी जी के पास पहुंची"क्या हुआ मां?आप क्यों मुझे बुला रहीं थीं"? भारती ने घबराकर पूछा

कल्याणी ने बिस्तर से उठने की कोशिश की पर उन्हें उठने में तकलीफ़ हो रही थी, भारती ने सहारा देकर उन्हें बिस्तर पर तकिया का टेक लगाकर बैठा दिया। भारती ने देखा कि कल्याणी जी के चेहरे पर दर्द की लकीरें उभर आई

"मां क्या हुआ बताइए मुझे"? भारती ने मां का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा

"बिटिया मेरे सीने में दर्द हो रहा है सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है लगता है मेरा आखिरी समय आ गया है"कल्याणी जी ने धीरे से जवाब दिया उन्हें बोलने में तकलीफ़ हो रही थी।

"मां आप ऐसा क्यों कह रहीं हैं?आप ठीक हो जाएंगी आपको कुछ नहीं होगा"भारती ने रोते हुए कहा

"नहीं बिटिया मुझे झूठी तसल्ली न दो मुझे लग रहा है कि मेरे पास ज्यादा समय नहीं है जो मैं कहने जा रही हूं उसे जानना तुम्हारे लिए बहुत जरूरी है मेरी बात ध्यान से सुनो "कल्याणी जी ने कमजोर आव़ाज में कहा

"बताइए मां आप क्या कहना चाहतीं मैं सुन रहीं हूं"? भारती ने अपनी मां के पास बैठकर उनका हाथ पकड़कर कहा

"भारती तुमने जब से स्कूल जाना शुरू किया तभी से तुम मुझसे दो सवाल हमेशा पूछतीं थी।पहला सवाल "मां" मेरे पिता जी कहां हैं?

दूसरा सवाल "मां" आप मुझे हिंदी मीडियम से क्यों पढा रहीं हैं जबकि कालोनी में रहने वाली मेरी सभी सहेलियां इंग्लिश मीडियम से पढ रहीं हैं वह लोग मुझे बहन जी कहकर मेरा मज़ाक उड़ाया करतीं हैं। मैं तुम्हारी बातों का कोई जवाब नहीं देती थी एक दिन तुम नाराज़ होकर मुझसे पूछ रहीं थीं।कि मैं तुम्हें सूट क्यों पहनने के लिए कहतीं हूं मैं तुम्हें मां कहने के लिए क्यों कहतीं हूं? तुम्हें हिंदी मीडियम में क्यों पढ़ातीं हूं? अगर मैंने तुम्हारा एडमिशन इंग्लिश मीडियम स्कूल में नहीं कराया तो तुम मुझसे कभी बात नहीं करोगीं और मुझे छोड़कर अपनी नानी के पास चली जाओगी तुम्हें याद है कि नहीं"?? कल्याणी जी ने बहुत धीमी आवाज़ में पूछा

"हां मां मुझे याद है और उसी समय आपकी सहेली निशा मौसी आ गई थीं उन्होंने गुस्से में मुझसे पूछा था कि, तुम्हें अपनी मां से प्यार है की इंग्लिश मीडियम स्कूल से? तुम्हारी मां कुछ सोच समझकर ऐसा कर रही है और तुम उससे सवाल जवाब कर रही हो?जो बच्चे अपनी मां से प्यार करते हैं वह उनकी किसी भी बात पर सवाल नहीं उठाते जो अपनी मां से प्यार नहीं करते वही बच्चे अपनी मां का दिल दुखाते हैं। क्या तुम्हारे स्कूल में अध्यापक तुम्हें यहीं शिक्षा देते हैं"?? निशा मौसी ने गुस्से में मुझसे पूछा था।

"तब मैंने निशा मौसी से वादा किया था कि, मैं आज के बाद आप से कोई सवाल जवाब नहीं करूंगी और आप जैसा कहेंगी मैं वैसा ही करूंगी"भारती ने कहा

"पर मां आज इतने वर्षों बाद मुझसे यह सब क्यों पूछ रहीं हैं"? भारती ने परेशान होकर पूछा

"आज़ मैं तुम्हें उस सच्चाई से अवगत कराऊंगी जिसके कारण मैंने तुम पर यह बंदिशें लगाई थी"कल्याणी जी ने गहरी सांस लेकर कहा

"भारती तेरे नानाजी के एक जिग़री दोस्त थे उनका घर भी हमारे घर के पड़ोस में ही था। मेरा बचपन गांव में बीता था। तेरे नानाजी किसान थे। पिताजी के दोस्त का नाम जगत था उनके दो बेटे थे बेटी कोई नहीं थी वह मुझे बहुत प्यार करते थे वह भी खेती करते थे।जगत चाचाजी के दोनों बेटे मैं और तुम्हारे मामा जी सभी गांव के स्कूल में एक साथ पढ़ते थे।

जगत चाचाजी पढ़ें लिखे थे इसलिए वह नौकरी के लिए प्रयास कर रहे थे। उन्हें शहर में नौकरी मिल गई जब उनका परिवार शहर जाने लगा तो पिता जी और चाचा जी बहुत दुःखी हुए।

उसी समय चाचा जी ने पिता जी से कहा कि, मैं कल्याणी को अपनी बड़ी बहू बनाऊंगा यह मेरा वादा है। फिर वह लोग शहर चले गए उसके बाद चाचा जी तो कभी कभी गांव आते थे पर उनका परिवार उनके साथ नहीं आता था।

समय अपनी गति से दौड़ता रहा और मेरी उम्र शादी लायक़ हो गई थी।तब पिता जी ने चाचा जी को शादी की बात याद दिलाई। चाचा जी गांव आए और शादी की बात पक्की हो गई। उन्होंने पिता जी से कहा कि शादी शहर में होगी हमारा पूरा परिवार शहर चला आया और हमारा विवाह तुम्हारे पिताजी आलोक से हो गया।

शादी के समय से ही मैंने महसूस किया कि, चाचा जी को छोड़कर घर के अन्य सदस्यों के चेहरे पर कोई खुशी नहीं दिखाई दे रही है।

यह बात मुझे अजीब लगी पर मैं खामोश रहीं क्योंकि उस समय लड़कियां शादी विवाह के मामले में बोलती नहीं थीं।

शादी हो गई जब मुंह दिखाई की रस्म शुरू हुई तो वहां बैठी हुई औरतें मेरी सास से कह रहीं रही थीं"भाभी जी आपने अपने पढ़ें लिखे लड़के के लिए इस गंवार लड़की को कैसे पसंद कर लिया"?

मेरी सास ने गुस्से में कहा"क्या करें हमें और आलोक को यह गंवार हिन्दी मीडियम से पढ़ी लड़की पसंद नहीं है कहां मेरा बेटा जो फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता है और कहां यह गांव की गंवार हिन्दी बोलने वाली लड़की जिसे अंग्रेजी की समझ ही नहीं है वह मेरे बेटे के साथ कैसे अर्जेस्ट करेंगी।मेरा बेटा अफसर है बड़ी बड़ी पार्टियों में जाएगा जहां सभी अंग्रेजी में बात करेंगे यह तो कुछ समझ ही नहीं पाएंगी। मेरे बेटे की तो किस्मत ही ख़राब हो गई अब जीवन भर इस गंवार को झेलना पड़ेगा"।

"तुम्हारी दादी की बात सुनकर मेरे पैरों से जमीन ही खिसक गई फिर भी मैं उस घर में एक अजनबी की तरह रहती रहीं। चाचा जी के सामने घर वाले मेरा अपमान नहीं करते पर जब वह घर पर नहीं होते तो मुझे अपमानित किया जाता। तुम्हारे पिता के लिए मैं एक गंवार लड़की थी वह भी दिन में मेरा बात बात पर अपमान करते पर रात के अंधेरे में मेरे जिस्म को भूखे भेड़िए की तरह नोचते मैं विरोध करती तो कहते की तुम मेरी पत्नी हो यह मेरा अधिकार है। उनके शरीर की भूख मिटाने के लिए मैं उनकी पत्नी थी और समाज के सामने एक गंवार लड़की जिसको वह पसंद नहीं करते थे। चाचा जी मेरी स्थिति को समझते थे उन्होंने सभी को समझाने की बहुत कोशिश की पर कोई भी समझने को तैयार नहीं था। फिर मैंने ही चाचा जी से कहा कि, वह परेशान ना हो मैं सब ठीक कर लूंगी यह बात मैंने उनकी तसल्ली के लिए कही थी। मैं उन्हें परेशान नहीं देख सकती थी जबकि मुझे अच्छी तरह पता था कि कुछ भी बदलने वाला नहीं है।

फिर एक दिन चाचा जी की मौत हो गई मेरे पति और सास का अत्याचार बढ़ता गया। इसी बीच मुझे पता चला कि मैं मां बनने वाली हूं जब इस बारे में घर वालों को पता चला तो उन्होंने कहा कि मैं बच्चे को गिरवा दूं। क्योंकि उन्हें मुझसे तलाक़ चाहिए था जिससे वह एक अंग्रेजी पढ़ी लिखी लड़की से शादी कर सकें।

जब तुम्हारे पिता ने तुम्हें जन्म से पहले ही मारने की बात कही तो मैंने पहली बार गुस्से में मुंह खोला और उनसे कहा"मैं अपने बच्चे को जन्म दूंगी और इसे हिन्दी मीडियम से पढ़ाकर इस काबिल बनाऊंगी की तुम लोग उसके सामने सर झुकाकर खड़े रहोगे यह मेरा वादा है मैं अपने बच्चे को भारतीय संस्कृति और संस्कारों का पाठ पढ़ाऊंगी और वह हिन्दी पढ़कर ही इंग्लिश मीडियम के बच्चों को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ेगा वह मेरा और इस देश के गौरव को बढ़ाएगा"।

"मेरी बात सुनकर सभी ने मेरा मज़ाक उड़ाया मैंने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि उन्हें जवाब मैं अपने बच्चे के माध्यम से देना चाहती थी। मैंने वह घर छोड़ दिया और यहां तुम्हारे नाना के पास आ गई कुछ दिन उनके पास रही फिर यहां इस कस्बे में अपनी सहेली के पास आ गई। कुछ दिन उसके साथ रहीं फिर मैंने स्कूल में नौकरी कर ली निशा ने मेरा हर क़दम पर साथ दिया। यही कारण था कि, मैंने तुम्हें तुम्हारे पिता के बारे में कुछ नहीं बताया और तुम्हें हिन्दी मीडियम से शिक्षा दिलाई। तुमने भी मेरी इच्छा का मान रखा और हिंदी भाषा को पढ़कर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की और उसकी परीक्षा भी दी आज़ उसका परिणाम घोषित होगा। अगर तुम इस परीक्षा में पास हो गई तो मेरी तपस्या सार्थक हो जाएगी"इतना कहते- कहते कल्याणी जी हांफने लगी। भारती ने जल्दी से मां को पानी पिलाया पानी पीकर कल्याणी जी कुछ शांत हुई।

"मां आप ने मेरे लिए इतने कष्ट सहे और मैं आपका अपमान करती रही मां मुझे माफ़ कर दीजिए"भारती ने मां से लिपटकर रोते हुए कहा।

"नहीं बेटा उस समय तुम छोटी थी तुम्हें समझ नहीं थी पर निशा के समझाने के बाद तो तुमने वहीं किया जो मैंने कहां तो तुम क्यों माफ़ी मांग रहीं हो?"कल्याणी जी ने भारती का सिर सहलाते हुए कहा।

"मां आपको मुझसे एक वादा करना होगा कि, आज़ के बाद आप मरने की बात नहीं करेंगी वरना मैं आपसे नाराज़ हो जाऊंगी"भारती ने धमकाते हुए कहा।

"तुम ही नहीं मैं भी कल्याणी से बात नहीं करूंगी"तभी दरवाजे के पास से निशा की आवाज सुनाई दी

"मौसी आप आइए मां को समझाइए कि, मरने जीने की बातें ना किया करें"भारती ने निशा से शिकायत करते हुए कहा।

"भारती अब तुम्हारी मां मरने की बात नहीं करेंगी क्योंकि आज इसका सपना पूरा हो गया तुम ने यूपीएससी की परीक्षा में टाप किया है", निशा ने खुश होकर कहा

"क्या सच मौसी"? भारती ने खुशी से उछल कर पूछा

"हां बेटा बिल्कुल सच कह रहीं हूं आज तुम्हारी मां का सपना साकार हुआ कल्याणी ने यह सिद्ध कर दिखाया की कामयाबी की ऊंचाई पर पहुंचने के लिए भाषा कभी बाधक नहीं बनती सब बच्चे को सही दिशा दिखाकर उसमें अपने लक्ष्य को हासिल करने का जुनून पैदा किया जाए तो हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी आकाश की ऊंचाइयों को छू सकते हैं"निशा ने गर्व से कहा और भारती को गले से लगा लिया।

"कल्याणी अब अपने मन से निराशा को निकाल फेंकों अब तुम्हें अपने पति और सास के सामने गर्व से सीना तानकर खड़े होना है और उन्हें यह दिखाना है कि यह हिंदी मीडियम से पढ़ी आई एस मेरी बेटी है"। निशा ने मुस्कुराते हुए कहा

"तुम ठीक कह रही हो निशा अब मुझे जल्दी से अच्छा होना है जिससे मैं उन लोगों के सामने गर्व से खड़ी होकर कह सकूं कि हिन्दी भाषा हमारी पहचान है हमारी भारतीय संस्कृति की शान है और हमें इस पर गर्व है"कल्याणी ने धीरे से कहा इतना कहने के लिए ना जाने उसमें कहां से ताक़त आ गई।

शायद यह कल्याणी का आत्मविश्वास था जो आज फिर से जाग गया था वही उन्हें बोलने की शक्ति दे रहा था।



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