Kanchan Shukla

Others

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सलोनी

सलोनी

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अंबिका अपने पति और बच्चों के साथ अमेरिका आई वह लोग न्यूयार्क के होटल में रूके हुए थे। शादी के दस साल बाद वह अपने पति विमल के साथ अमेरिका घूमने आई थी। अंबिका को यह सब सपना लग रहा था क्योंकि वह कभी विदेश घूमने आएगी उसने सपने में भी नहीं सोचा था वह एक मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती है।जिसके लिए परिवार के साथ अमेरिका घूमने आना संभव नहीं है वह तो भला हो उस कम्पनी वालों का जहां उसके पति काम करते थे उन्होंने कम्पनी के काम के सिलसिले में उसके पति विमल को अमेरिका भेजने का फैसला किया था। कम्पनी की तरफ़ से यह भी कहा गया था कि, वह अमेरिका ट्रिप पर अपने परिवार को भी ले जा सकता है।

जब यह ख़बर विमल ने अंबिका को दी तो अंबिका खुशी से झूम उठी,वह लोग अमेरिका के लिए निकल गए आज अंबिका अपनी बेटी और पति के साथ अमेरिका के शहर न्यूयार्क पहुंच गई वहां अंबिका अपने पति के साथ न्यूयार्क के होटल में ठहरी हुई थी।

होटल पहुंचकर उन लोगों ने थोड़ी देर आराम किया क्योंकि समय का अंतर होने के कारण उन्हें थकान महसूस हो रही थी। तभी वेटर ने आकर डिनर के लिए पूछा विमल ने डिनर रूम में ही लाने के लिए कहा तब अंबिका ने कहा हम लोग डिनर नीचे डाइनिंग हॉल में करते हैं।

अंबिका अपने पति और बेटी के साथ नीचे हाल में दाखिल हुए तभी एक मार्डन सी लगने वाली भारतीय लड़की से अंबिका टकरा गई। उसने अंबिका से सारी कहा उस लड़की पर नज़र पड़ते ही अंबिका चौंक गई उसने खुश होकर कहा "सलोनी तुम कैसी हो?"

" माफ़ कीजियेगा आपको कोई गलतफ़हमी हुई है आइ एम सलीना एंथम" उस लड़की ने कहा और अपने साथी लड़के के साथ आगे बढ़ गई ।

" तुम भारतीय औरतों की यही सबसे बड़ी कमजोरी है जहां देखो बात करने का मौका तलाशने लगती हैं। यहां अंग्रेज लड़कियों में एक भारतीय लड़की दिखाई दी तो बात करने का अच्छा तरीका निकाला तुमने,यह जो राह चलते तुम सबसे रिश्ते बनातीं रहतीं हो वह यहां न करो यह अपना देश भारत नहीं अमेरिका है।यह तो शुक्र मनाओ कि उस शरीफ़ लड़की ने बहुत शराफ़त से बात की अगर वह अंग्रेजी में दो चार गाली सुना देती तो क्या करतीं?अब जब-तक यहां हो अपनी दोस्ती करने की आदत को भगवान के लिए छोड़ दो" विमल ने गुस्से में कहा,

अंबिका अभी भी उस लड़की को देख रही थी जो एक विदेशी लड़के के साथ एक मेज़ पर बैठी शराब पी रहीं थीं उसने बहुत बड़े गले का टाप और छोटी सी स्कर्ट पहनी हुई थी। अंबिका को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था।

उसका मन यह मानने को तैयार नहीं था कि यह लड़की सलोनी नहीं सलीना है पर जब वह स्वयं अपना नाम सलीना बता रही हैं तो हो सकता है कि, उसे ही कोई गलतफ़हमी हुई हो।पर ऐसा ईश्वरीय चमत्कार सिर्फ़ फिल्मों में ही दिखाई देता है।

" अब यहीं खड़े रहने का इरादा है क्या?," विमल ने झल्लाकर धीरे से कहा वह अंबिका के व्यवहार से गुस्से में था।

अंबिका ने इस समय कुछ भी कहना उचित नहीं समझा पर उसके मन-मस्तिष्क में विचारों की आंधी चल रही थी। मेरी नज़रें धोखा नहीं खा सकती यह मेरी सहेली सलोनी ही है उसकी शादी भी तो अमेरिका में हुई थी यह बात उसे उसकी सहेली नीता ने बताई थी। उसने ही बताया था कि, सलोनी अपनी सौतेली मां की बहुत बुराई करती थी की उन्होंने उसका जीवन नर्क बना दिया है पर उसी सौतेली मां ने सलोनी के लिए एन आर आई लडका खोजा।

अंबिका की नज़र खाना खाते हुए भी उधर ही थी जहां सलीना और वह अंग्रेज लड़का बैठे हुए थे। खाना खाने के बाद अंबिका अपने पति के साथ रूम में आ गई।

कमरे में आते ही विमल उस पर बरस पड़े। " तुम्हें कितनी बार समझाया है कि,राह चलते लोगों से बात न किया करो पर तुम्हारे ऊपर कोई असर नहीं पड़ता"

अपने पति की बात सुनकर अंबिका ने कहा" वह लड़की बिल्कुल मेरी सहेली सलोनी के जैसी लग रही थी",

,"लग रही थी न? थी तो नहीं अब आइंदा इस बात का ध्यान रखना"विमल ने कहा और कपड़े बदलने के लिए ड्रेसिंग रूम में चला गया।

अंबिका भी बिस्तर पर लेट गई पर नींद उनकी आंखों से कोसों दूर थी।

उसके सामने बार बार सलोनी का चेहरा आ जा रहा था। फिर उसे कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला।

सुबह अंबिका के पति विमल अपने काम से बाहर चलें गए। अंबिका अपनी बेटी के साथ कमरे में अकेली थी उसने चाय पी उसकी बेटी मान्या बाहर घूमने की जिद्द करने लगी।

अंबिका ने उसे समझाया " बेटा पापा है नहीं हमारे लिए यह शहर नया है।हम अकेले कैसे बाहर जा सकतें हैं पापा को आने दो तब चलेंगे"

अपनी मां की बात सुनकर मान्या दुखी हो गई उसने टी वी खोल ली और कार्टून फिल्म देखने लगी।

"मेरी बेटी नाराज़ हो गई क्या अपनी मां से?" अंबिका ने मान्या के पास बैठते हुए पूछा

मान्या ने कोई जवाब नहीं दिया और कार्टून फिल्म देखती रही। तभी विमल का फोन आया उसने बताया एक भारतीय ड्राइवर वहां पहुंच रहा है तुम दोनों उसके साथ बाहर घूमने चली जाओ।

"मैं किसी अजनबी के साथ कैसे जा सकती हूं?"अंबिका ने प्रतिवाद किया।

"वह कम्पनी का ही ड्राइवर है जो लोग आफिस के काम के सिलसिले में अपने परिवार के साथ आते हैं।उन सभी को यही ड्राइवर घूमाने लेकर जाता है उसके साथ अकेले बाहर जाने में कोई खतरा नहीं है। अभी मुझे आफिस के काम से तीन चार दिन फुर्सत नहीं मिलेगी तब तक तुम दोनों अकेले बोर हो जाओगी इसलिए मैंने तुम दोनों के घूमने का इंतजाम कर दिया है" विमल ने अंबिका को आस्वस्त किया,

"ठीक है हम लोग चले जाते हैं" अंबिका ने कहा,

" चलो जल्दी से तैयार हो जाओ पापा ने घूमने जाने का इंतज़ाम कर दिया है"अंबिका ने काव्या से हंसते हुए कहा।

काव्या खुशी से उछल पड़ी थोड़ी देर बाद ही होटल का एक व्यक्ति वहां आया और उसने कहा कोई मोहन नाम का टैक्सी ड्राइवर आया है। अंबिका और काव्या तैयार होकर होटल के बाहर आ गई जहां मोहन नाम का टैक्सी ड्राइवर उन लोगों का इंतजार कर रहा था।

अंबिका और काव्या को देखकर उसने हाथ जोड़कर नमस्ते किया अंबिका ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया और टैक्सी में बैठ गई।

"कहां लेकर चलूं बहन जी "मोहन ने पूछा

" हमें तो यहां के बारे में कुछ पता है नहीं भैया आप जहां ठीक समझें हमें लेकर चलें पर वह कोई होटल या क्लब जैसी जगह न हो" अंबिका ने हंसते हुए कहा।

"अच्छा बहन जी मैं समझ गया कि, आपको यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को देखना है चलिए मैं आपको ऐसी ही एक जगह लेकर चलता हूं। वहां चारों ओर ऊंची पहाड़ियां हैं और वहां फूलों की खेती होती है। वहां फिल्मों की शूटिंग भी होती है वहीं से थोड़ी दूरी पर एक झरना भी है वह बहुत ही रमणीक स्थल है", मोहन ने मुस्कुराते हुए कहा

"ठीक है वहीं चलो" अंबिका ने कहा और गाड़ी न्यूयार्क की सड़कों पर दौड़ने लगी।

वहां पहुंचकर अंबिका की खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि मोहन ने जैसा बताया था यह स्थान उससे भी ज्यादा सुन्दर था।

वहां चहल-पहल थी पर बहुत भीड़ नहीं थी अंबिका काव्या के साथ वहां घूमने लगी वहां रंग बिरंगे फूलों को देखकर उसे बहुत अच्छा लग रहा था।

तभी वहां एक तरफ़ कुछ लोगों की भीड़ दिखाई दी उत्सुकता वश अंबिका उसी तरफ़ चलीं गईं।वह भी भीड़ का हिस्सा बन गई। उसने देखा कि, वहां कोई लड़की बैठी हुई थी और दो अंग्रेज लड़के उससे गाली गलौज कर रहे थे। जब उस लड़की ने अपना चेहरा ऊपर उठाया तो उसे देखकर अंबिका चौंक गई क्योंकि वह लड़की कोई और नहीं सलोनी थी।

अंबिका भीड़ को हटाकर सलोनी के पास चली गई उसने उन लड़कों से गुस्से में पूछा "आप लोग कौन हैं? एक लड़की के साथ बेहूदगी कर रहें हैं और यहां खड़े लोग तमाशा देख रहे हैं । ऐसा क्या कर दिया है इस लड़की ने?"

लड़कों ने अंग्रेजी में जवाब दिया कि "इस लड़की ने हमारे पैसे चुराएं हैं हम इसे पुलिस के हवाले करेंगे"

पुलिस का नाम सुनकर सलोनी का चेहरा भय से पीला पड़ गया।

"तुम्हारे कितने पैसे गायब हुए हैं?" अंबिका ने गम्भीर लहज़े में पूछा,

उन लड़कों ने जो रकम बताई वह भारतीय मुद्रा के हिसाब से लगभग 5 हजार रुपए बताया अंबिका ने अपने पास से पैसे उन लड़कों को दे दिया।

लडके पैसे मिलने के बाद वहां से चले गए।

वहां से भीड़ भी तितर-बितर हो गई अंबिका ने काव्या को मोहन के साथ खेलने के लिए कहा,

"तुम सलोनी हो सलीना नहीं यह मैं जानती हूं मैंने तुम्हें पहचान लिया है तुम मुझसे झूठ क्यों बोल रही हो यह तो मैं नहीं जानती पर इतना तो मुझे समझ आ गया है कि, तुम्हारी कोई मजबूरी होगी वरना तुम अपनी सबसे अच्छी सहेली को पहचानने से इंकार कभी नहीं करतीं। क्या तुम अपने मन का दर्द मुझसे भी नहीं बांटोगी? तुम अपने मन की सभी बातें जिससे कहती थीं मैं आज भी तुम्हारी वहीं सहेली हूं। मुझे बताओं सलोनी शाय़द मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकूं ?" अंबिका ने बहुत प्यार से सलोनी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

प्यार भरा स्पर्श पाकर सलोनी फूट-फूट कर रोने लगी अंबिका ने उसे रोने दिया।

"अंबिका यह बहुत लम्बी कहानी है अगर इसे मैं पूरा सुनाऊं तो एक युग भी इसकेे लिए कम पड़ सकता है"सलोनी ने बहुत दर्द भरी आवाज में जवाब दिया।

"अंबिका तुम मेरी सौतेली मां को तो जानती थी वह पैसे के लिए कुछ भी कर सकती थी जब तक पापा जिंदा थे मैं उस घर में सुरक्षित रही पर पापा की मौत के बाद मेरी मां ने मेरा सौदा कर दिया। नौकरी का झांसा देकर उसने मुझे एक कोठे वाली के हाथों बेच दिया। सभी आस-पड़ोस के लोगों से कहा था कि, उसने मेरी शादी विदेश में करवा दिया है।

अब उसी विदेशी नर्क में रहना मेरी नियति बन गई मैंने वहां से भागने की भी कोशिश की पर मैं उसमें सफल नहीं हो सकी वहां न मै जी सकती थी और ना ही मर सकती थी गीली लकड़ी की तरह सुलगते हुए ख़ाक हो रही थी।एक दिन मेरे कोठे पर एक आदमी आया चम्पा मौसी ने उसे मेरे पास भेज दिया।

वह मुझसे प्रेम करने का दावा करने लगा। वह हर दिन आता यह सिलसिला लगभग एक महीना जारी रहा। उसने कहा कि,वह मुझसे शादी करना चाहता है उसकी बात सुनकर मैं बहुत हंसी क्योंकि ऐसे मंजूओ से हमारा हर दिन पाला पड़ता था।जो रात के अंधेरे में मेरे कदमों पर अपना सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार रहते थे। परंतु सुबह होते ही सभी वादे भूल जाते, ऐसी आशिकी का दीदार हर रात होता था।

उस आदमी की बातों को मैंने हंसी में उड़ा दिया,पर फिर भी वह हर रात आता, चम्पा मौसी को मुझसे कुछ विशेष लगाव हो गया था।जब चम्पा मौसी को पता चला कि,वह आदमी जिसका नाम एडवर्ड एंथम था मुझसे शादी करके अपने साथ अमेरिका ले जाना चाहता है तो मौसी ने मुझसे कहा कि, यहां लोग सिर्फ रात बिताने आते हैं अगर कोई व्यक्ति तुमसे शादी करना चाहता है तो तुम्हें अपना नया जीवन फिर से शुरू करना चाहिए।

मैंने भी मौसी की बात मान ली और एडवर्ड एंथम से भारत में ही एक मंदिर में शादी की वहां मौसी और कोठे की कुछ लड़कियां मौजूद थीं। उसके बाद मैं एडवर्ड के साथ अमेरिका न्यूयार्क चली आई एडवर्ड भारत में भी किसी व्यक्ति के साथ बिजनेस करता था। इसलिए मैंने उससे शादी की थी अंबिका जिससे मुझे कभी कभी अपने देश भी आने का मौका मिलता रहें।

लेकिन जब मैं एडवर्ड के साथ यहां न्यूयार्क आई तो मेरे सारे सपने की होली जल गई। जानती है अंबिका?? एडवर्ड की यहां एक विदेशी पत्नी भी थी और यह दोनों ड्रग्स की तस्करी करते थे।

एडवर्ड ने मुझसे शादी ड्रग्स की तस्करी करवाने के लिए किया था मैं भारतीय थी तो यहां की पुलिस को मुझसे शक नहीं होगा। मैं एक नर्क से निकल कर दूसरे नर्क में फंस गई थी।अब न तो मेरे पास मेरा पासपोर्ट था और न ही पैसे मैं अपने देश वापस नहीं जा सकती थी।

एडवर्ड ने यहां मेरे जिस्म का सौदा भी करना शुरू कर दिया।उसका कहना था कि, विदेशी लोगों को इंडियन सांवली ब्यूटी बहुत पसंद है जो कशिश भारतीय सांवली ब्यूटी में होती है वह विदेशी गोरी लड़कियों में नहीं होती।

अंबिका मैंने बहुत मिन्नतें की पर एडवर्ड पर कोई असर नहीं हुआ आखिर मैंने हार मान ली और इसी जीवन को अपनी नियति समझकर अपना लिया।

कल जब तेरे मुंह से अपना नाम सुना तो मैं चौंक गई क्योंकि इस नाम को सुनने तो मुझे वर्षों बीत गए।उस समय मेरे साथ वह आदमी था जिसके साथ मुझे रात गुजारनी थी इसलिए मैंने तुम्हें पहचानने से इंकार कर दिया। मैं तुम्हें पहचान भी लेती तो तुम्हें क्या बताती कि, मैं यहां एक विदेशी वेश्या बनकर ड्रग माफिया वालों के लिए काम करती हूं। अंबिका अब मैं किसी अपने जानने वालों के सामने आने लायक़ नहीं रही,आज यहां जिन लोगों को तुमने देखा था। वह लोग मुझसे बिके हुए ड्रग्स का पैसा मांग रहे थे मैंने कोई चोरी नहीं की थी पर वह पैसा मैंने एक लड़की को दे दिया जिसके पास अपनी मां के इलाज के लिए पैसे नहीं थे" सलोनी ने दर्द भरी मुस्कुराहट के साथ अंबिका के सामने अपने जीवन की दास्तान कह सुनाई।

सलोनी की कहानी सुनकर अंबिका ने उससे कहा,

" सलोनी मैं तुम्हें अपने साथ अपने देश अपनो के बीच लेकर चलूंगी"

"अब यह नहीं हो सकता क्योंकि मैं तुम लोगों का जीवन ख़तरे में नहीं डाल सकती मैं जिसके लिए काम करतीं हूं वह लोग बहुत ही खतरनाक लोग हैं।जब उन्हें यह पता चलेगा कि, मैंने तुम्हें सब कुछ बता दिया है तो वह लोग तुम्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। मैं ऐसा होने नहीं दूंगी अब मेरे जीवन का कोई मतलब नहीं रह गया है जिंदगी काटनी है वह किसी तरह कट जाएगी।

आज वर्षों बाद किसी अपने से मिलकर बहुत खुशी मिली, अच्छा मेरी बात छोड़ तुम बताओ तुम यहां कैसे?" सलोनी ने पूछा,

"मैं अपने पति के साथ यहां आई हूं उन्हें आफिस का काम था मैं उनके साथ चली आई कि, मैं भी अमेरिका घूम लूंगी" अंबिका ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया

तभी काव्या वहां आई उसको देखकर अंबिका ने बताया" सलोनी यह मेरी बेटी काव्या है"

"काव्या !!यह तुम्हारी सलोनी मौसी हैं" अंबिका ने मुस्कुराते हुए परिचय कराया।

"नमस्ते मौसी!! काव्या ने हाथ जोड़कर कहा

सलोनी ने बहुत प्यार से काव्या को अपने सीने से लगा लिया उसकी आंखों से आंसूओं की धारा बह निकली।

"आप कल वाली आंटी हैं न मौसी? जिसने मम्मा को नहींं पहचाना और अपना नाम सलीना बताया था?"

काव्या ने पूछा

हां बेटा मैंने कल झूंठ बोला था मेरी कुछ मजबूरी थी सलोनी ने हंसते कहा।

सलोनी, काव्या और अंबिका तीनों शाम होने तक कई जगहों पर घूमती रही शाम होने पर सलोनी ने अंबिका से विदा लिया पर अंबिका ने जिद्द करके सलोनी का फोन नंबर ले लिया।

रात में अंबिका ने विमल को सलोनी की कहानी सुनाई उसकी कहानी सुनकर विमल ने अंबिका से अपने किए की माफ़ी मांगी और उससे वादा किया कि, अगर संभव हो सका तो वह सलोनी को अपने साथ भारत लेकर चलेगा।

विमल की बात सुनकर अंबिका खुशी से विमल से लिपट गई।

विमल ने इस बीच एडवर्ड से मुलाकात की और उसे धमकी देते हुए कहा कि वह सलोनी का पासपोर्ट, वीजा और कुछ पैसे दे दें नहीं तो वह पुलिस से मिलकर तुम्हारे ड्रग्स रैकेट का पर्दाफाश करवा देगा।अगर वह यहां शांतिपूर्ण तरीके से रहना चाहता है तो सलोनी को आजाद कर दे। एडवर्ड ने विमल की बात मानने में ही अपनी भलाई समझी और उसने सलोनी को अपने चंगुल से मुक्त कर दिया।

एक महीने बाद न्यूयार्क हवाईअड्डे पर अंबिका,विमल, काव्या के साथ सलोनी भी चेहरे पर आत्मविश्वास की ताक़त के साथ भारत जाने वाले हवाई उड़ान के लिए वहां मौजूद थी।अब उसकी यह हवाई उड़ान उसके नये जीवन के सफ़र की उड़ान बन रहीं थीं।



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