Kanchan Shukla

Inspirational

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Kanchan Shukla

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सास ने तोहफ़े में दी मायके को

सास ने तोहफ़े में दी मायके को

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रजनी की ससुराल में उसकी पहली दिवाली थी अभी दो महीने पहले ही उसका विवाह रमन से हुआ था। उस की ससुराल बहुत अच्छी थी सभी उसे बहुत प्यार और सम्मान देते थे ऐसी ससुराल पाकर रचनी की खुशी का ठिकाना नहीं था।उसकी सास इंदू जी बहुत ही सुलझी हुई महिला थी रिश्तों को प्यार और मजबूती से बांधने की कला उन की बहुत बड़ी खुबी थी। रजनी अपने सास ससुर का ईश्वर की तरह सम्मान करती थी और करें भी क्यों न?उन लोगों ने उसके माता-पिता की इज्ज़त को समाज में धूमिल नहीं होने दिया था।

रजनी को वह समय याद आ गया जब उसकी शादी रमन से पक्की हो गई थी और घर में सभी लोग बहुत खुश थे क्योंकि रजनी के ससुराल वालों ने बिना दहेज के शादी स्वीकार की थी पर रजनी के माता-पिता अपनी सामर्थ्य के अनुसार उसकी शादी के लिए सामान और गहनों की लिस्ट बना रहें थे उनका कहना था कि, जब उन लोगों ने कुछ नहीं मांगा है तो क्या हम अपनी बेटी को खाली हाथ विदा करेंगे? इसलिए रजनी के माता-पिता अपनी इच्छा से उसकी शादी बहुत धूमधाम से करना चाहते थे। रजनी के मायके में संयुक्त परिवार था उसके बड़े पापा और उसके पापा एक साथ बिजनेस करते थे। रजनी की सगाई के बाद जब शादी की तैयारियों का समय आया तो रजनी केपिता ने अपने बड़े भाई से कहा "भैया शादी की खरीदारी के लिए पैसों की जरूरत है हम लोगों का ज्वाइंड एकाउंट है आप चेक पर हस्ताक्षर कर दीजिए।" यह सुनकर रजनी के बड़े पापा ने व्यंग से कहा "कैसे पैसे?जब पूरा बिजनेस मेरा है तो उस पैसे पर तुम्हारा अधिकार कहां है?" यह सुनकर रजनी के पापा ने कहा |"यह आप क्या कह रहे हैं बिजनेस तो हम दोनों के नाम है।तब उन्होंने कहा नहीं वह बिजनेस मेरे नाम पर है तुम मेरे यहां एक मुलाजिम हो इससे ज्यादा कुछ नहीं और जो तुमने इतने दिनों हमारे यहां काम किया है उसके बदले में यह आधा घर मैंने तुम्हें दें दिया है और आज के बाद तुम मेरे साथ काम नहीं करोंगे अपना अलग काम शुरू करों।"

यह सुनकर रजनी के पापा के पैरों तले जमीन खिसक गई क्योंकि उनके पास तो कुछ भी नहीं था सारा पैसे का हिसाब किताब उनके बड़े भाई ही देखते थे उन्होंने कब धोखे से सब अपने नाम करवा लिया उन्हें पता ही नहीं चला।रजनी के पापा ने हाथ जोड़कर अपने भाई से प्रार्थना की कि वह उसे इतना पैसा तो दे दें कि वह रजनी की शादी कर सकें पर उनके भाई ने पैसे देने से साफ इंकार कर दिया।तब रजनी के पिता ने रजनी के सास ससुर से अपनी मजबूरी बताई और कहा अगर वह लोग चाहे तो शादी तोड़ सकते हैं पर रजनी की सास इंदू जी ने कहा कि शादी उसी डेट पर होगी और बहुत धूमधाम से होगी।

रजनी के ससुराल वालों ने अपनी तरफ़ से सभी तैयारियां की और रजनी को अपनी बहू बना कर ले आए।शादी के समय रजनी बहुत डरी हुई थी कि, पता नहीं आगे ससुराल में उसके साथ क्या होगा पर ससुराल आकर रजनी का सारा डर खत्म हो गया क्योंकि उसके ससुराल वाले वास्तव में बहुत ही अच्छे थे।रमन तो रजनी को बहुत प्यार करता था उसका देवर भाभी, भाभी कहकर हर वक्त उसके आगे पीछे घूमता था और इन्दू जी तो रजनी को अपनी सगी बेटी की तरह प्यार करती थीं।रजनी!! तभी रजनी को अपनी सास की आवाज सुनाई दी जो उसे बुला रही थी रजनी उनकी आवाज सुनकर अतीत से वर्तमान में लौट आईं।

"जी मम्मी जी आ रहीं हूं"रजनी कहती हुई उनके पास आ गई।इंदू जी ने रजनी से कहा" देखो मै तुम्हारे लिए क्या लाईं हूं!!" और उन्होंने रजनी के हाथ में एक मखमली डिब्बा पकड़ा दिया।इंदू जी ने मुस्कुराते हुए कहा "खोलकर देखों तुम्हें पसंद है कि नहीं?" रजनी ने जब पैकेट खोला तो उसका चेहरा खुशी से चमक उठा क्योंकि उसमें एक बहुत ही सुन्दर मंगलसूत्र था।रजनी ने चौंककर अपनी सास को देखा और पूछा "मम्मी जी आपको कैसे पता चला कि मैं मंगलसूत्र पहनना चाहती हूं?"

"दो दिन पहले जब तुम अपनी सहेली से बात कर रही थी तब मैंने तुम्हारी बात सुन लीं थीं और फिर मैंने सोचा कि क्यों न मैं तुम्हें दिवाली के त्योहार पर यह उपहार दे दूं" इन्दू जी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

रजनी की आंखों में ख़ुशी के आंसू आ गए और वह अपनी सास से लिपट कर रो पड़ी उसकी सास ने भी प्यार से उसे गले लगा लिया।"मम्मी आप अब सारा प्यार रजनी को ही दे देतीं है कुछ मेरे लिए भी बचा कर रख लिया करिए" रमन ने अपनी मम्मी से कहा जो उसी समय घर आया था।"क्यों क्या मैं तुझे प्यार नहीं करती?" इंदू जी ने मुस्कुराते हुए पूछा

"पहले जितना नहीं करतीं" रमन ने हंसते हुए जवाब दिया।

"यह बात तो आप बिल्कुल सही कह रहे हैं भैया" रमन के छोटे भाई ने उसकी हां में हां मिलाते हुए कहा।इंदू जी ने अपने छोटे बेटे का कान पकड़ते हुए बनावटी गुस्से में कहा "बड़ा आया भैया का चमचा",

"अरे मम्मी मेरा कान छोड़िए वरना मेरा कान उखड़ जाएगा तो कोई अच्छी लड़की मुझसे शादी नहीं करेंगी" रमन के छोटे भाई ने मुस्कुराते हुए कहा उसकी बात सुनकर सभी हंसने लगे।

रजनी सबके लिए चाय बना कर लें आईं उसी समय रजनी का फोन बज उठा उसने देखा तो फोन उसके भाई का था।रजनी ने फोन उठा लिया,"कब? कैसे? पापा ठीक तो हैं किस अस्पताल में हैं मैं अभी आ रही हूं" कहकर रजनी ने फोन काट दिया।इंदू जी ने पूछा "क्या हुआ बेटा किसका फोन था??"

"मम्मी जी भैया का फोन था पापा की तबीयत बहुत ख़राब हो गई है उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया है शायद उन्हें दिल का दौरा पड़ गया है" रजनी ने रोते हुए कहा।रमन ने रजनी को चुप कराते हुए कहा "परेशान न हो मैं तुम्हारे साथ अस्पताल चल रहा हूं सब ठीक हो जाएगा।" इंदू जी ने कहा रमन तुम रजनी के साथ जाओ मैं तुम्हारे पापा के साथ बाद में आती हूं वह अपने दोस्त से मिलने गए हैं आते ही होंगे।"

"जी मम्मी हम लोग जा रहें हैं" कहकर रमन रजनी को लेकर अस्पताल चला गया।कुछ देर बाद जब इन्दू जी अपने पति के साथ वहां पहुंची तो सभी के चेहरों पर उदासी छाई हुई थी और रजनी की मम्मी रो रही थी।रजनी उन्हें चुप कराने की कोशिश कर रही थी।

"क्या हुआ?सब ठीक तो है?" इंदू जी ने पूछा रजनी के भाई ने कहा "मां जी डाक्टर का कहना है कि पापा को दिल का दौरा पड़ा है उनकी तुरंत बाईपास सर्जरी होनी है यदि आपरेशन नहीं किया गया तो पापा को बचाया नहीं जा सकेगा।"

"तो इसमें इतना परेशान होने की क्या बात है बेटा? आपरेशन के बाद वह बिल्कुल ठीक हो जाएंगे" इन्दू जी ने उसे समझाते हुए प्यार से कहा।रजनी का भाई कुछ नहीं बोला चुपचाप खड़ा रहा तभी नर्स ने आकर कहा "आप लोग जल्दी पैसा जमा कीजिए नहीं तो आपरेशन में देर हो जाएगी फिर पेशेन्ट को बचाना मुश्किल हो जाएगा।"इंदू जी को बात समझ में आ गई इन लोगों के पास पैसे नहीं हैं। उन्होंने रमन से कहा "रमन! जाकर पैसे जमा करो वरना हमें जीवन भर अफ़सोस रहेगा" उनके चेहरे पर गम्भीरता छाई हुई थी।रजनी की मां ने चौंककर इन्दू जी को देखा और हाथ जोड़कर रोते हुए कहा "आप लोग तो हमारे परिवार के लिए भगवान बन गऐ हैं हम लोग तो जीवन भर आपके अहसानों का बदला नहीं चुका पाएंगे।"इंदू जी ने रजनी की मां का हाथ पकड़कर कहा "आप हमें क्यों शर्मिंदा कर रहीं हैं?अब हम सब एक परिवार हैं तो हमारे सुख दुःख भी तो सांझा हो गए हैं इसमें अहसास वाली कोई बात ही नहीं है"।अंदर आपरेशन चल रहा था और बाहर सभी बेचैनी से टहल रहे थे थोड़ी देर बाद आपरेशन थियेटर का दरवाजा खुला और डाक्टर बाहर आए और उन्होंने बताया कि आपरेशन सफल रहा अब मरीज़ ख़तरे से बाहर है।यह सुनकर सभी के चेहरों पर खुशी दिखाई देने लगी।रजनी ने अपनी सास के पास आकर कहा "मम्मी जी आज़ आपके कारण मेरे मायके की दिवाली खुशियों से जगमगा गई वरना मेरे मायके की खुशी समाप्त हो जाती"।आज इन्दू की अच्छाई और इंसानियत ने रजनी के परिवार वालों के चेहरे पर खुशी ला दी थी और वहां का पूरा वातावरण खुशियों से महक उठा।


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