यह मुझे मंजूर नहीं
यह मुझे मंजूर नहीं
'बहू कान खोलकर सुन लो ! तुम्हारी सहेली की बेटी से मैं अपने पोते की शादी नहीं कराऊंगी"
सुगंधा की सास ने अपनी कड़कदार आवाज में कहा मां जी!! मेरी सहेली की बेटी महक में क्या बुराई है"? सुगंधा ने अपनी सास से पूछा!
"वह शहर की पढ़ी लिखी लड़की अंग्रेजी कपड़े पहनती हैं वह मेरे घर के रीति-रिवाज क्या निभाएंगी" ? सुगंधा की सास ने हाथ मटकाते हुए व्यंग से जवाब दिया!
" मां जी! गौरव! महक को पसंद करता है"सुगंधा ने गम्भीरता से कहा !
'यह प्यार वार के चोंचले मैं नहीं जानती मैंने जो कह दिया " वह कह दिया!! अब मैं किसी की नहीं सुनूंगी" सुगंधा की सास ने कठोरता से जवाब दिया!
'मां जी आप मेरी बात तो सुनिए !! गौरव महक से ही शादी करना चाहता है"!! सुगंधा ने अपनी सास को समझाते हुए कहा।
"तुम मुझसे बहस क्यों कर रही हो?? मेरा फ़ैसला नहीं बदलेगा!! सुगंधा की सास ने गुस्से में जवाब दिया। अपनी सास की बात सुनकर सुगंधा जी के चेहरे पर गम्भीरता छा गई" मां जी मैं अपनी तरह किसी और की जिंदगी बर्बाद नहीं होने दूंगी, "सुगंधा जी ने सख्त लहज़े में कहा
तुम कहना क्या चाहती हो मेरे बेटे से शादी करके तुम्हारी जिंदगी बर्बाद हो गई?
क्या नहीं है तुम्हारे पास मान, सम्मान धन, दौलत राज करा रहा है मेरा बेटा और क्या चाहती हो तुम" ? सुगंधा की सास ने गुस्से में चिल्लाते हुए पूछा!!
'हां सब कुछ दिया है! आपके बेटे ने मुझे! परंतु वह कभी नहीं दिया, जो एक पत्नी अपने पति से चाहती है, मैं इस घर पर जरूर राज कर रहीं हूं। पर उनके दिल पर नहीं वहां किसी और का राज है !! और हमेशा रहेगा। सुगंधा ने अपनी सास को घूरते हुए गम्भीर मुद्रा में जवाब दिया!
सुगंधा की सास ने देखा कि, सुगंधा का चेहरा गम्भीर और सपाट था वहां सिर्फ़ कठोरता थी, सुगंधा ने फिर कहना शुरू किया " मां जी !! आज मैं चुप नहीं रहूंगी आपने अपने बेटे की शादी मुझे जबरदस्ती करा दी, जबकि वह किसी और से प्यार करते थे और शायद आज भी करते हैं। उन्होंने दुनिया के सामने और इस घर में मुझे पत्नी का दर्जा दिया पर अपने दिल में कभी भी मुझे वह स्थान नहीं दिया। जो मेरे साथ हुआ है वह मैं किसी और लड़की के साथ नहीं होने दूंगी यह मेरा अंतिम निर्णय है। मेरा बेटा महक से प्यार करता है तो मैं उसकी शादी किसी और से कभी नहीं करूंगी,
क्योंकि अब इस घर में कभी कोई दूसरी सुगंधा नहीं आएगी। वही लड़की मेरे बेटे की पत्नी होगी जिससे वह प्यार करता है। आपने अपने बेटे के जीवन का फ़ैसला किया, क्योंकि वह आपके बेटे थे उन पर आपका अधिकार था गौरव मेरा बेटा है उसके जीवन का फ़ैसला मैं करूंगी यह मेरा अधिकार है क्योंकि यह शिक्षा मुझे आपसे ही मिली है मां जी । इसलिए मेरे इस फ़ैसले से किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए"।
सुगंधा ने कठोरता से व्यंग्यात्मकता लहज़े में जवाब दिया।
सुगंधा की सास सुगंधा की बातें सुनकर सकपका गई क्योंकि सुगंधा की हर एक बात बिल्कुल सही थी। तभी सुगंधा की नज़र अपने पति पर पड़ी जो शायद बहुत देर से वहां खड़े सुगंधा की बात सुन रहे थे। सुगंधा ने अपने पति को गहरी नज़रों से देखा और वहां से चलीं गईं, सुगंधा के जाने के बाद सुगंधा की सास ने अपने बेटे से कहा, " देखा बेटा अपनी पत्नी को कैसे कत्तनी की तरह ज़बांन चला रही थी मुझसे ??
यह सब इसकी सहेली का सिखाया पढ़ाया है !! वह मेरे हीरे जैसे पोते से अपनी लड़की की शादी बिना दहेज़ के कराना चाहती है। मैं अपने पोते के लिए अमीर खानदान की लड़की लाऊंगी इसके कहने से क्या होता है। जहां मैं चाहूंगी वहीं शादी होगी और तुझे मेरा साथ देना होगा । सुगंधा की सास ने अपने बेटे को धमकाते हुए कहा
" मां! सुगंधा ठीक कह रही है !! गौरव की शादी वहीं होगी जहां गौरव चाहेगा मैं सुगंधा की बात से सहमत हूं इस घर में इतिहास दोहराया नहीं जाएगा यही मेरा भी फ़ैसला है" सुगंधा के पति ने गम्भीरता से अपनी को जवाब दिया और वह भी अंदर चलें गए सुगंधा की सास भौचक्की होकर अपने बेटे को जाते हुए देखती रह गई। वह समझ गई कि, अब उनकी तानाशाही इस घर में नहीं चलेंगी क्योंकि झूठ को तो एक दिन झुकना ही पड़ता है।