सच की जीत
सच की जीत
"मेघना कल तुम्हें लड़के वाले देखने आ रहें हैं उनसे कोई ऐसी बात नहीं कह देना कि रिश्ता जुड़ने से पहले ही टूट जाए।" मेघना की मां ने गुस्से में कहा।
"ठीक है मेरी तरफ़ से कोई ऐसी बात नहीं होगी पर क्या आपने मेरे बारे में उन्हें सब कुछ स्पष्ट रूप से बता दिया है??" मेघना ने गम्भीरता से पूछा
"अगर मैं उन्हें यह बता देती की जिससे तू प्यार करती थी वह तुझे धोखा देकर भाग गया है तो क्या वह लोग तुझ से शादी करेंगे बेवकूफ़ लड़की?"
"मैं उन्हें स्पष्ट बता दूंगी चुप नहीं रहूंगी झूठ की बुनियाद पर रखें रिश्ते ज्यादा दिनों तक नहीं चलते एक गलती करने के बाद मैं दूसरी गलती नहीं करूंगी" मेघना ने गम्भीर लहज़े में अपनी मां से कहा।
" तब तो तू जीवन भर कुंवारी ही बैठी रहेगी तेरी शादी कभी नहीं होगी" मेघना की मां ने उसे घूरते हुए ताना मारा
" शादी के बाद बार बार अपमानित होने से अच्छा है मैं शादी ही न करूं" मेघना ने कहा और वहां से जाने लगी।
" मेघना मैंने लड़के को तुम्हारे बारे में सब बता दिया है वो तुमसे शादी करने को तैयार है" तभी मेघना के पापा ने वहां आते हुए कहा
" क्या कह रहे हैं आप!!? सब कुछ जानने के बाद लड़का मेघना से शादी करने को तैयार है!!?" मेघना की मां ने आश्चर्यचकित होकर पूछा
" हां जब मैंने मेघना की सच्चाई नवीन को बताई तो उसने बिना कुछ सोचे समझे शादी के लिए हां कर दिया। उसने सिर्फ इतना कहा इसमें मेघना की कोई ग़लती नहीं है गलत वो लड़का है जिसने मेघना को धोखा दिया आपने सच बता कर ये साबित कर दिया की मेघना ग़लत नहीं है।" मेघना के पापा ने मुस्कुराते हुए कहा