माँ और उसकी नींद

माँ और उसकी नींद

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राम को याद है आज भी वो पल कि जब भी वो स्कूल से घर आता था, उसकी माँ उसको, उसके भाई राघव और बहन नेहा को जल्दी से खाना खिलाकर सोने को बोलती थी ! माँ का मकसद सबको सुलाना कम और खुद सोना ज्यादा होता था ! आखिर थक भी तो जाती थी, सुबह 4 बजे से उठकर सारा काम चाहे वो खाना बनाने का हो, साफ़ सफाई या बर्तन धोने का सब करती ! जो कुछ समय बच जाता उसमे सिलाई करती !

सोच यही थी कि अगर 2 पैसे बचाएं जाए तो मुश्किल की घड़ी में काम आएंगे ! माँ जब भी सबको साथ लेकर सुलाती पर वो खुद तो बिस्तर में सर रखते ही गहरी निद्रा में चली जाती और सारे बच्चे चुपचाप वहां से खिसक जाते !और जब माँ पूछती तो कहते कि हम तो अभी उठे है, तो माँ सरलता से मान भी जाती ! माँ जब भी सोती थी तो खूब जोर से खर्राटे लेती थी, और सब उनको चिढ़ाते हुए बोलते कि," माँ आपका ट्रेक्टर ( खर्राटों की आवाज)बड़ी जोर से चल रहा था ", तो वो हंसकर बात को टाल जाती ! खैर समय बदला, हम सब बच्चे स्कूल से कॉलेज में आ गए, इसी दौरान पिता जी का एक दुर्घटना में देहांत हो गया ! उनकी नौकरी मुझे मिल गयी, और मेरे ऊपर पूरे घर की जिम्मेदारी आ गयी ! छोटा भाई राघव विदेश चला गया और बहन नेहा भी शादी करके ससुराल चली गयी ! माँ ने मेरी शादी भी करवा दी ! अब घर में हम 3 लोग थे और माँ का कमरा मेरी शादी के बाद अलग हो गया ! कभी कभी उनकी आँखें देखने से लगता कि माँ की नींद शायद पूरी नहीं हो रही, पर जब माँ से पूछता तो वो टाल जाती ! और अब अलग कमरा होने से उनके ट्रेक्टर की आवाज़ ( खर्राटे) मुझे सुनाई नहीं देती थे ! मैं और मेरी पत्नी सुबह काम को निकलते और शाम को आते और सारा दिन माँ अकेली घर में रह जाती !

कभी कभी राम सोचता कि, " पूरा दिन माँ क्या करती होगी ?",! फिर खुद को तस्सली देता कि माँ आराम करती रहती होगी ! आज ऑफिस से घर आकर राम ने बहुत बार घंटी बजाई, दरवाजा खटकटाया! पर माँ ने दरवाजा नहीं खोला तो उसने यही सोचा कि माँ को आज खूब गहरी नींद आयी होगी ! फिर उसने अपने चाबी से जब दरवाजा खोला तो देखा माँ बिस्तर पर सो रही थी ! उसने पास जाकर माँ माँ पुकारा, पर माँ तो मौन थी, और बोलती भी कैसे ? कयोंकि वो तो कभी ना खुलने वाली नींद का आनंद ले रही थी, यह देख राम सोचने लगा

 ," आह ये कैसी घड़ी है, दर्द में रिसता है मौन ! बेदना के उत्कर्ष पर औंधा पड़ा सिसकता है मौन ! 

अपने मौन को तोड़ते हुए सबको बुलाया गया ! राम बार बार यही कहता रहा माँ तुम खूब आराम करो, पर प्लीज ट्रेक्टर ( खर्राटे ) की आवाज़ भी सुनाओ ! पर माँ अब हमेशा के लिए नींद में थी ! ऐसी नींद जिससे कोई भी उनको जगा नहीं सकता था !


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