अम्मा बाबू जी की पहली तस्वीर
अम्मा बाबू जी की पहली तस्वीर
अम्मा जिसने अपने घर को संभालने के लिए अपने तन मन और धन से पूरा समर्पण किया ,और उसी की बदौलत आज उसके बच्चे अपने अपने कार्यक्षेत्र में बहुत आगे तक निकल गए है ! बाबू जी के देहांत के बाद अम्मा की तबियत अब पहले जैसे नहीं रहीं! शुरू के कुछ समय तो वो सबसे बात करती थी, पर अब एक साल से उसने सबसे बतियाना लगभग ना के बराबर ही कर दिया है ! घर के सब लोग शहर में ही रहते है ! बाबू जी के मरने के एक महीने तक बहुएं रही ,फिर अपनी गृहस्थी का हवाला देकर सब निकल गई! सबने अम्मा को शहर ले जाने का भरपूर प्रयास किया , पर अपने घर की दहलीज लांगना अम्मा को गवारा ना हुआ ! हार कर एक काम वाली बाई का जुगाड करके अम्मा के बच्चे ऐसे खुश हुए मानो गंगा नहा लिए हो !
खैर अम्मा को कामवाली बाई का साथ पसंद आने लगा था ! दोनो आराम से अपने दुख सुख बांटती हुई जिंदगी व्यतीत कर रही थी! पर अब कुछ महीने से अम्मा की तबियत ठीक नहीं थी ,बोलना भी दुश्वार हो गया है ! अपनी बात अम्मा अब इशारों से ही बताती थी ! बेटा ,बहु एक चक्कर लगाते और देख कर चले जातें! काम वाली बाई घर का पूरा काम अम्मा की पसंद के अनुसार ही करती थी ,एक दिन सफाई के दौरान उसे पुराने फटे कपड़े मिले उसमे से एक कोट जो हर तरफ से फट सा गया था भी मिला ! उसने उन सभी फटे कपड़ो को किनारे करके रखा कि वो सिलाई करके इसका कवर बना देगी! एक दम से अम्मा आ गई और उससे वो कपड़े छीन लिए! आज पहली बार अम्मा की आंखें क्रोध से लाल थी ! अम्मा का रौद्र रूप देख काम वाली बाई डर गई जल्दी से उनके बेटा बहु को बुलाया गया ,क्योंकि अम्मा उस कपड़े की पोटली को लेकर कमरे के कोने में बैठी थी ,कोई भी अगर उस पोटली को हाथ लगाता अम्मा उसे डंडे से भगा देती ! सुबह से शाम तक यही चला ! शाम को बेटा बहु आए ,जब बेटे ने वो पोटली अम्मा से लेनी चाहिए तो अम्मा उस पोटली को पकड़ कर दहाड़े मार मार कर रोई! बेटा बहु निशब्द थे कि आखिर अम्मा ने ऐसा क्या देख लिया जिससे वो इतनी आहत है!बेटे ने अम्मा को बहला फुसला कर वो पोटली ले ली ! अम्मा ने पोटली तो दे दी , पर वो कोट अम्मा अपने से अलग नहीं कर रही थी ! आखिर ऐसा क्या था उस फटे पुराने मैले से उस कोट में ? तभी बेटे की नजर दीवार पर टंगी एक अम्मा और बाबू जी की पहली तस्वीर पर गई ,जो उनकी जिंदगी की एक साथ की पहली तस्वीर थी ! जिसमे अम्मा लाल रंग का सूट और बाबू जी यही कोट लगा कर बैठे थे! अम्मा की सबसे पुरानी और दिल के करीब वाली याद की एक इकलौती निशानी कोई का कोई कवर कैसे बना सकता है ? ये सोच बेटे की आंखों में आंसू आ गए ! उसने वो कोट अम्मा को दिया और उन्हें पकड़ कर उनके कमरे में ले गया ! अम्मा चुपचाप ख़ामोशी से कोट को पकड़ कर ऐसे चल रही थी मानों उसे जन्नत नसीब हो गई हो ! सच में किसी के लिए कोई पुराना कपड़ा हो सकता है ,पर किसी के लिए वो यादों का खजाना होता है ! आपका क्या मानना है ?