कामवाली बाई vs मेमसाब!

कामवाली बाई vs मेमसाब!

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कामवाली बाई ! कामवाली बाई ! यही नाम सुना था मैंने उसके बारे में ! उसका नाम कभी ना सुना, ना किसी ने जानने की कोशिश की ! रोज़ सुबह सूर्य उदय से पहले सोसाइटी में आती और शाम ढलने के बाद जाती ! किसी भी काम को मना नहीं करती ! कोई पैसे काटे या पूरे दे, कोई गिला शिकवा नहीं ! सब तरफ से खुश ही रहती ! किसी की कोई शिकायत नहीं, चुगली नहीं ! बस अपने काम से काम रखती !

पर आज लोग उसको चोर बोल रहे हैं ! सोसाइटी के गार्ड भी सारा इलज़ाम उसके ऊपर लगा रहे हैं कि इसी ने घर से चोरी की होगी क्योंकि मालकिन ने घर की एक चाबी इसको भी तो दी थी ! मालकिन ख़ामोशी से खड़ी थी, कैसे वो उसे चोर मान ले जिसने उसके बच्चों को बड़ा किया है ! कामवाली बाई बार बार यही कह रही है कि उसे नहीं पता कि किसने पैसे चुराए? गार्ड ने बिना मालकिन को बताये पुलिस को बुला लिया है ! मेमसाहब पुलिस नहीं बुलाना चाहती थी, पहले तो वो अपने पति से बात करना चाह रही थी ! ताकि वो उसकी सलाह ले सके, पर पति किसी मीटिंग में व्यस्त होने के कारण फ़ोन ही नहीं उठा रहे था !

पुलिस कामवाली बाई से उसका नाम पूछ रही थी, डरते सहमते उसने बोला सरोज ! मालकिन को भी आज ही पता चला कि बाई का नाम सरोज है ! पुलिस ने अगला प्रश्न किया, "बताओ चोरी क्यों की ?"

सरोज का वही जवाब था "मैंने चोरी नहीं की !"

पुलिस ने मालकिन से पूछा तो उसने कहा "सुबह जब मैं ऑफिस गयी तो सब कुछ ठीक था, पर तबीयत खराब होने के कारण जब मैं वापिस आयी तो देखा कि सारी अलमारी अस्त व्यस्त है ! मैंने कल 5000 रूपये रखे थे, वो भी गायब हैं ! बस जब मैं ये सब पूछ ही रही थी कि गार्ड भैया वहां से गुजरते हुए अंदर आ गए और सब बात जानकर मुझसे बिना पूछे पुलिस को बुला लिया ! पर मुझे मेरी बाई पर पूरा भरोसा है कि वो मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं करेगी ! जो अपने हिस्से की चीज़ भी मेरे बच्चों को दे देती है, वो चोर नहीं हो सकती ! ये सुन पुलिस वाला झल्ला उठा, जब आपको इनसे कोई शिकायत ही नहीं है तो फिर आपने मेरा समय बर्बाद क्यों किया?

ये सुन गार्ड बोल पड़ा "मैडम पैसे तो गुम हैं ना ?"

मेमसाब क्या बोले क्या ना बोले, इसी कश्मकश में उलझी कोई फैसला ना कर पा रही थी। तभी उसका फ़ोन बजा ! मेमसाब की आँखोँ में चमक आ गयी ! उसके पति का फ़ोन जो था, जब मेमसाब ने सारी बात बताई तो वो गुस्से से बोले "अरे जब तुम निकल रही थी, तब तुम्हे बोला तो था कि मैं पैसे निकाल रहा हूँ, तब तुम शायद निकल गयी होगी ! मैंने ही अलमारी खोली थी, पैसे निकलते वक़्त कुछ कपड़े नीचे गिर गए थे जिन्हें मैंने जल्दबाज़ी में रख दिया ! तुमने ये क्या कर दिया ?"

ये सुन मेमसाब खामोश थी, आँखोँ से आंसू टपक पड़े ! पुलिस से माफ़ी मांग उनको वापस भेज दिया ! गार्ड जिसका ये सब किया धरा था चुपचाप वहां से खिसक लिया ! अब कमरे में बाई और मेमसाब थे ! दोनों एकदम खामोश ! बाई ने अपना झोला उठाया और बाहर की ओर चल दी ! मेमसाब ने उसको खूब रोकने की कोशिश की, पर वो अबकी बार रुकी नहीं ! आखिर जख्म दिल पर लगा था ! एक बार मेमसाब के बच्चों को अंतिम बार देखना चाहती थी बाई, पर ये इच्छा पूरी ना हुई ! लोगों को लगा शायद अब मेमसाब और बाई का रिश्ता खत्म हो गया ! पर जो दोनों के दिलों का रिश्ता था, अब भी है ! दोनों एक दूसरे को याद तो करती हैं पर कौन कहाँ है किसी को पता नहीं !

मेमसाब और पूरा परिवार तबादले के बाद दूसरे शहर चला गया, बाई ने उस सोसाइटी की तरफ कभी रुख नहीं किया। सरोज अब अपने घर में ही रहती है, अपने नाती पोतो की दादी बनकर ना कि कोई बाई बनकर ! उसके साथ लगा बाई का ठप्पा उसी दिन हट गया था, जिस दिन उसने वो सोसाइटी छोड़ी थी ! आखिर जब उसकी अपनी प्यारी मेमसाब को मुझ पर शक हो गया, तो दूसरों से कोई उम्मीद नहीं थी ! अब कितने साल बाद उसे अहसास हो रहा है कि उसका नाम बाई नहीं सरोज है ! सच में कुछ रिश्ते जो दिल से जुड़ जाते हैं और जब टूटते हैं तो उसका दर्द सिर्फ सहने वाला ही बता सकता है।


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