प्यार की अमिट छाप वाले रंग
प्यार की अमिट छाप वाले रंग
बच्चों के पेपर खत्म होने के बाद एकदम से कार्यक्रम बना कि चलो इन छुटियोँ में जयपुर घूमा जाए ! जयपुर यानिकी हमारी गुलाबी नगरी ! हवा महल ,जंतर मंतर ,अल्बर्ट म्यूजियम और जल महल सब घूम लिए गए ! अब तय हुआ कि हम आमेर के किले को देखने जायेंगे !
चलो जी वहां पहुँच भी गए और हमने अभी कार पार्किंग में लगाई ही थी कि एक शख्स वहां आये ,और पूछने लगे कि अगर आपको गाइड की जरुरत है तो मैं आपके साथ चलूँगा ! उसके बोलने का तरीका बहुत लाज़वाब था ! हमे उन्हें तुरंत हाँ कर दी और वो हमारी कार में हमारे साथ चल दिए !
कार में बैठते ही उन्होंने सबसे पहले हमे एडवांस में होली की शुभकामनाएं दी फिर जैसे जैसे हम आगे बढ़ते गए वो किला राजा , इतिहास सब बताते रहे ! किले के ऊपर एक मंदिर है ,वहां पहुँच कर उन्होंने कहा कि आप दर्शन कर लीजिये मैं आपका बाहर इंतज़ार कर रहा हूँ !
दर्शन के पश्चात् मैंने उन्हें प्रसाद दिया तो उन्होंने ख़ुशी ख़ुशी नतमस्तक होकर उसको ग्रहण किया ! तभी उनके एक मित्र तिवारी जी जो वहां चाय बेचते है को बुलाकरउन्होंने उनका परिचय हम सबसे करवाया ! फिर शीश महल की सारी कहानी सुना कर उन्होंने अपनी बातों से सबको बांधे रखा !
तभी रास्ते में उनके एक और मित्र उन्हें मिल गए ,उनसे उन्होंने होली के प्रोग्राम की जानकारी ली और अपनी तरफ से भी पैसे दिए जिससे होली का प्रोग्राम अच्छे से हो पाएं ! पूरा किला घुमाने के बाद मैंने उनको कहा ,"आपने इतना समय हमारे साथ बिताया, पर आपने अपना नाम नहीं बताया।"
तो उन्होंने तपाक से जवाब दिया, "मुझे माफ़ करियेगा मैं होली की तैयारियोँ में इतना व्यस्त हूँ कि आपको नाम बताना भूल गया, वैसे ," my name is khan ....इम्तियाज़ खान ! ,"! उनकी यह बात सुन सच में इतना तो विश्वास हो गया कि चाहे मेरे देश में कितनी भी कमियां कयोँ ना हो पर यह प्यार और आपसी भाईचारे के रंग ही तो मेरे देश की शान है ! यह ही तो हमारी विरासत है ,जिसे हमे संजो कर रखना है !