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seema Sharma

Tragedy

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seema Sharma

Tragedy

क्या ढूंढते हो नादान ?

क्या ढूंढते हो नादान ?

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आँफिस से झण्डेवान मेट्रो के पास, लाल बत्ती पर, छोटे-छोटे बच्चे कमर लचका कर नाच रहे थे।

जब थक कर रुकते तो माँ की तरफ देखते ही फिर उनके पाँव चलाने लगते। कंपकंपाती ठंड में छोटा सा बच्चा बना तो जोकर था, पर इस हंसी वाले चेहरे में उसका दुःख शायद कोई नहीं पढ़ पा रहा था। ठंडी दोपहरी में, अपने नाच की बख्शीश मांगने जब वह लोगों के आगे आया, कुछ ने पर्स से पैसे निकलने की एक्टिंग में इतना समय लगाया कि हरी बत्ती ही हो गयी।

वो बच्चा भी निशब्द होकर खड़ा था।


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