घंटी बजाओ, सचेत करवाओ
घंटी बजाओ, सचेत करवाओ
शीला के पड़ोस में एक सुन्दर सी औरत साधना अपनी 2 बेटियों के साथ रहने आई थी ! उसके पति आर्मी अफसर थे ! काम करने को नौकर मिले थे ! शीला को जब वो कभी दिखती तो सिर्फ हैल्लो कह कर चली जाती! दोनों बच्चियां अक्सर स्कूल से आते और जाते दिखती ! घर का नौकर काम करने आता और शाम को चला जाता ! पर उसके बाद रात को घर से मार पिटाई की आवाज़े आती ! साधना का पति शायद साधना को मारता था और यह सब देख दोनों बच्चियां जोर-ज़ोर से रोती और कहती, "पापा मम्मा को मत मारो, प्लीज पापा मत मारो", पर उस आदमी का मारना कम ना होता ! यह सब कुछ शीला के घर में सुनाई देता , पर शुरू शुरू में यह सोच कर चुप रही कि पति पत्नी के बीच की बात है ! कुछ दिनों तक हर दूसरे दिन यही सब ड्रामा होता ! पर अगली सुबह जब साधना या बच्चियां बाहर निकलती तो ऐसा लगता मानो कुछ भी नहीं हुआ हो !
कुछ दिन बाद साधना की सास उनके पास रहने आई। वो हमेशा साधना के मायके को ही कोसने का काम करती ! सास के आने के बाद साधना की ननद का बेटा भी आ गया और सास ने साधना के पति को बोलकर यहाँ उसकी एडमिशन करवा दिया! साधना इसके खिलाफ थी क्योंकि 2 लड़कियां घर में थी और अब ननद का बेटा जो ना तो पढ़ने में रूचि रखता था ना किसी और काम में ! बस सारा दिन टीवी देखता रहता था ! साधना जब उसे कुछ बोलती थी उसकी सास उसके बेटे के ऑफिस से आने पर उसकी चुगली करती और वो गुस्से में उसकी पिटाई करता ! शीला साधना की हर बात जानती थी, पर वो कभी हिम्मत नहीं जुटा पाई कि वो उसके पति को बोल सके कि मुझे तुम्हारी हरकतों का पता है या फिर वो ये बोल कर साधना की जिंदगी को मुश्किलों में नहीं डालने देना चाहती थी !
दिन बीतते गए और कभी कभार होने वाली मारपीट अब रोज़ में तब्दील हो गयी थी ! एक दिन सुबह सुबह शीला ने देखा कि साधना सामान लेकर कहीं जा रही थी, पूछने पर उसने बताया कि उसके पिता जी का देहांत हो गया है , इसलिए वहीं जा रही हूँ ! इसी दौरान बच्चों के पेपर शुरू हो गए ! शीला उसमें व्यस्त हो गयी। साधना के घर से मारपीट, रोने की आवाज अक्सर आती रही! अब गर्मियां आ चुकी थी ! शीला अपने घर के बाहर रात को टहल रही थी , तभी उसे साधना के घर से रोने की आवाज सुनाई दी। उसका पति कह रहा था, अगर तुम्हारे पिता जी मर गए हैं तो अपनी माँ को भी बोल दो कि वो भी मर जाएँ! तुम वहां नहीं जाओगी, तुम्हारी अपनी सास भी बीमार है ! तभी साधना की सास ने दो बातें और बोल कर घी में आग लगा दी ! यह सुन कर साधना के पति ने उसे लगातार मारना शुरू कर दिया। उसकी बेटियां जोर जोर से चिल्लाने लगी, पापा मम्मी को छोड़ दो, मम्मी मर जाएगी !
यह सुन शीला की आत्मा काँप गयी ! अपने पति को बाहर बुलाकर उसने साधना के घर की घंटी बजाई ! साधना के ननद के बेटे ने दरवाजा खोला, सामने एक लड़की रो रही थी ! शीला ने उससे पूछा कि, "पीहू बेटा क्या हुआ ? तभी उसका पति सामने आके बोला "कुछ नहीं बहन जी यह तो ऐसे ही रोते रहते हैं!" शीला ने एकदम गुस्से से कहा, "भाईसाहब सब सुनाई देता है रोज मुझे, पर आज हिम्मत करके घंटी बजाई है ! और अब आगे ऐसा होगा तो 100 नंबर ही डायल करूंगी ! उसका पति खामोश हो गया ! थोड़ा अंदर जाकर देखा तो साधना अधमरी सी फर्श पर गिरी हुई थी ! उसको शीला और उसके पति डॉक्टर के पास ले गए ! अगले दिन सुबह पीहू स्कूल जाते हुए शीला के दरवाजे पर आकर थैंक्यू बोल कर जाने लगी तो शीला ने उसे कस कर गले लगा लिया ! सच में एक घंटी बजाने से उनके घर का वातावरण अब सुधर रहा था। अब साधना के पति की आवाज़ भी कम सुनाई देती थी ! एक दिन साधना शीला के घर जाकर उसके गले मिलते हुए बोली कि "आपने मेरी ज़िन्दगी बदल दी ! नहीं तो मैं जीना ही भूल गयी थी! और अब मैं अपनी बेटियोँ के साथ कल माँ के घर जा रही हूँ ! आने पर और बात करूंगी ! दोनों की आंखें नम हो गईं ! शीला खुश थी। क्योंकि एक घंटी बजाने के कदम से ही उसकी सहेली की ज़िन्दगी सुधर जो रही थी !