लव मैरिज: साइड इफ़ेक्ट
लव मैरिज: साइड इफ़ेक्ट
रूहानी उस वक़्त 15 साल की होगी जब उसका भाई उसे दिल्ली ले आया था।माँ परिवार सव भूवनेश्वर में ही रह गये, वो अपने भाई के साथ दिल्ली आ चुकी थी।उसका मन तो विल्कुल नहीं था वहाँ जाने का, पर करती भी तो क्या????
मज़वूरी थी, क्यूंकि उसके भाई को परेशानी होती थी, घर के कामों को लेकर, इसलिए रूहानी को ले आया।रूहानी को लव- सव में वड़ी रूचि थी, होती भी कैसे नहीं, सहेलियां जो इतनी अच्छी मिली थी।उसकी सहेली थी पिया, जो एक लड़के से प्यार करती थी, वस वहीं से शुरू हुई हमारी रूहानी की कहानी, रूहानी को हमेशा पिया की वातें सुनना पसंद था।जव भी वो दोनों वातें करते थे, तो रूहानी सुनती थी। रूहानी हमेशा सोचती की, कोई उसे प्रोपोज़ क्यों नहीं करता, और वो इसका कारण अपने सावले रंग को मानती थी।हालांकि रूहानी सुन्दर थी, वस रंग कुछ दवा सा था उसका।इसलिए वो अक्सर दुखी भी रहती थी, एक दिन तो चमत्कार हो गया, रूहानी को एक लड़के ने प्रपोज़ किया, वो वहीं उसके गली के पास वाली गली में रहता था।
रूहानी का खुशी का ठिकाना नहीं रहा, वो वहुत खुश थी, की उसे भी किसी ने प्रोपोज़ किया।
रूहानी की प्रेम कहानी को अभी कुछ दिन ही हुए थे, कि उसका भाई उसे दिल्ली ले आया।
अव रूहानी वहुत दुखी दुखी रहने लगी, ना कोई जान-पहचान, ना कोई दोस्त, अकेली रूहानी वसरोती रहती थी।वेचारी का वो अच्छा वाला दोस्त भी दूर हो गया।अपने दरवाजे पर वैठी रूहानी एक दिन ऐसे ही गुमशुम वैठी थी, घर पर कोई नहीं था, तभी अचानक से एक कैडवरी चॉकलेट उसके सामने आयी, उसने देखा की एक काला सा लड़का
मुस्कुराते हुए वोला, "लो चॉकलेट खा लोl"
रूहानी ने मना कर दिया..... "नहीं मुझे नहीं खाना, मैं तुम्हे जानती तक नहीं, कैसे खा लूँ।"
अरे इसमें जानने वाली क्या वात है "मेरा नाम राहुल है, मैं यहीं तुम्हारे घर के साइड में रहता हूं।
अव हो गयी जान पहचान, अव तो खा लो, रूहानी भी वच्ची ही थी, तो उसने चॉकलेट ले ली।
राहुल वोला मुझसे दोस्ती करोगी, क्या!!"
रूहानी का कोई दोस्त नहीं था वहाँ, वैसे उसे काले लोग विलकुल पसंद नहीं थे, परफिर भी अकेले होने के कारण उसने राहुल से दोस्ती कर ली।अव वो दोनों काफ़ी वातें करने लगे थे।
रूहानी काम ख़तम करके हर रोज वाहर वैठ जाती थी और राहुल भी कभी कभी आ जाता था।कुछ दिन तक ऐसे ही चलता रहा।एक दिन राहुल वड़ा वन ठन के आया और रूहानी को प्रपोज़ कर दिया।रूहानी तो पहले से दुखी थी क्यूंकि उसका पहला प्यार उससे छूट गया था।हालांकि रूहानी को प्यार का मतलव तक पता नहीं था ठीक से पर फिर भी उसकी रूचि थी।उसे लगता था की अच्छी अच्छी, मीठी मीठी वातें करना, छुप छुप के वातें करना, एक दूसरे को उपहार देना यही प्यार है।और राहुल इन सव में मास्टर डिग्री लिए हुए था।
वस फिर क्या था.....कर लिया स्वीकार रूहानी ने..।
अव धीरे एक साल वीत गया राहुल के घर वालो की किसी से वनती नहीं थी, थोड़े झगडालू किस्म के लोग थे वो,पर रूहानी का परिवार सीधा साधा था।अव ऐसे धीरे धीरे रूहानी वड़ी हो रही थी लेकिन प्यार को लेकर उसके विचार नहीं वदले।अव वो राहुल को वहुत प्यार करने लगी थी, वो कहती थी की शादी तो मैं राहुल से ही करुँगी, वरना नहीं करुँगी।
उनके वारें में रूहानी के छोटे भाई को पता चल गया, उसने रूहानी को वहुत डांटा कि ये सव गलत है।पर रूहानी पर तो शायद प्यार का भूत सवार थाउसको किसी की वातें समझ में नहीं आती थी, उसे तो वस राहुल दिखता था.।
समय वीतता गया धीरे धीरे घर वालों को भी भनक लग चुकी थी......एक दिन रूहानी की वड़ी वहन वोली की इसकी शादी करवा दो वरना कुछ उल्टा सीधा कदम ना उठा ले..... रूहानी सव सुन रही थी, उससे रहा ना गया उसने राहुल को सारी वात वता दी,दोनों ने घर छोड़ने का फैसला किया।रूहानी की उम्र भी कम थी उसने भी हामी भरीऔर शाम को मौका देखकर निकल गयी..दोनों ने मंदिर में शादी कर ली.......अव साथ में रहने लगे धीरे धीरे दोनों में मतभेद होने लगे रूहानी कुछ कहती तो राहुल नाराज हो जाता.....रूहानी भी कम गुस्से वाली नहीं थी. वो भी राहुल को सुनाती रहती थी, हर छोटी वड़ी वात पर झगड़े, और इस तरह रूहानी को अपनें किये पर पछतावा हुआ क्यूंकि अव वो अपनें घर वालों को
भी कुछ नहीं कह पाई....वस मन ही मन अपनें आप को कोषती क्यूँ उसने इतना वड़ा कदम उठाया.......

