बफादार पीलू....
बफादार पीलू....
बात जब भी वफाफादारी की आती है तब सबसे पहले मुझे हमारे पीलू की याद आती है...
लगभग दस साल पहले की बात है मैंने एक कुत्ता पाला था उसका नाम पीलू था बो मुझे सबसे ज्यादा प्यार करता था l
उसको जब बोलो पीलू इधर आओ तो एकदम छोटे बच्चे की तरह आ जाता और बैठ जाता था, पर हाँ उसको खाना बस अच्छा चाहिए था उसको अगर बिन सब्जी के चाबल दे दो तो बिल्कुल नहीं खायेगा।उसको अच्छे से मिलाकर दो तो ही खायेगा...
उसकी छोटी छोटी आदतें आज भी मुझे रुला जाती हैं l जब उसके बारे में सोचती हूँ तो बहुत दुख होता है. यहीं कोई दस साल पहले हमारा पूरा परिवार भुबनेश्वर आ गया था घर पर कोई नहीं था बस ताईजी रहती थी तो पीलू को वही खाना खिलाती थी पर कुछ दिन बाद वो भी दीदी के घर चली गयीं।
और मेरा पीलू पूरा अकेला हो गया मैं भी छोटी थी तो मैंने भी उसकी कोई सुध नहीं ली......
यहीं कोई 9 महीने बाद जब हम लौटकर आये तो देखा घर पूरा जंगल बन गया वहीं कोने में पीलू बैठा था उसने जैसे ही मुझे देखा एक दम उठ बैठा मेरे ऊपर चढ़ने लगा, उस दिन बो बहुत मासूम लग रहा था l काफ़ी कमजोर भी हो गया था मेरा पीलू.........
आज भी उसका चेहरा मेरे सामने घूम जाता है उस दिन सुबह सुबह मैंने देखा की पीलू लेटा था मैंने उसे बुलाया पर वो आया नहीं जब मैं पास गयी तो पता चला की वो हमेशा के लिए हमें छोड़ कर जा चूका था..............
बाद में मुझे पता चला कि वो कभी घर छोड़कर बाहर गया ही नहीं अगर कोई खाना देने आता तो खा लेता बरना यूँ ही भूखे रहता...।..कभी किसी के दरवाजे पर नहीं गया।शायद वो जी रहा था हमलोगो को देखने की आस में...
वारना मर तो बहुत पहले ही गया था बस प्राण निकलने बाकी थे................
मेरा पीलू!!!!!
