पेट कि भूख
पेट कि भूख
आँखों से आंसू पोंछते हुए ज्योति बोली, की मैंने भगवान से एक ही प्रार्थना की थी, की मैं जिस भी घर मैं जाऊं वहाँ भर पेट खाना खाने को मिले बाकी के दर्द तो मैं सह सकती हूँ, पर भूख नहीं सही जाती मुझसे l शायद इसलिए भगवान ने मुझे इस बड़े महल में भेज दियाl यहाँ प्यार शब्द कोई जानता ही नहीं l मैंने पेट की भूख मिटाने को रोटी मांगी, अब तो भूख ने भी किनारा ले लिया कम्बख्त भूख भी नहीं लगती l काश तूने पेट ना बनाया होता तो मैं भी अपने देश में होती l
