लॉकेट में छिपा राज
लॉकेट में छिपा राज
मीता अपना गांव छोड़कर महानगर में अपने बेटे के साथ में बस गई थी। वहां उसने उसके बेटे को और आसपास वालों को सबको यही बता रखा था कि उसका पति अब इस दुनिया में नहीं है। जिंदगी अपनी रफ्तार से चल रही थी बेटा भी बड़ा हो गया स्कूल में दाखिले पर फर्जी नाम भी डलवा दिया पिता का। और 1, 2, तो बनावटी कहानियां भी सुना दी। जिससे सब उस पर विश्वास कर ले। समय बीता जा रहा था, कभी मुश्किल कभी शांति से बच्चा भी बड़ा हो गया था। जैसे-जैसे बड़ा होता गया उसके सवाल भी बढ़ते गए। फिर उसकी जॉब लग गई। एक दिन उसके कंपनी का नया बॉस आया। नए बॉस की शक्ल हुबहू उससे मिल रही थी। उसको देख कर बॉस चक्कर खा गया। और वह भी हैरान हो गया कि किसी की शक्ल इतनी कैसे मिल सकती है। उसने घर आकर अपनी मां को बॉस की फोटो दिखाई। और बोला यह मेरे नए बॉस है जो बिल्कुल मेरे जैसे लगते हैं। मैंने आपसे इतनी बार मेरे पापा जी की फोटो देखने के लिए बोला। मगर आपने कहा एक भी फोटो नहीं है। कहां के थे, आप कहाँ से हैं, उनके रिश्तेदार आपने कभी कुछ नहीं बताया। यह कौन है। इनको देखकर मेरा मन खींचा जाता है। उसके प्रश्नों को सुनकर मीता एकदम चौक गई। और सिर दर्द का बहाना बनाकर अपने कमरे में जाकर लेट गई।
लेटे-लेटे विचार करने लगी कितनी मुश्किल से राज छुपाया पाया था की तू मेरे प्यार की निशानी है। उसने अपने प्रेमी की फोटो अपने लॉकेट में छुपा कर रखी थी। विवाह से पहले गर्भवती होने के कारण उसके घर वालों ने उसे घर से निकाल दिया था। कि अगर वहां रही तो उनकी बदनामी होगी। और वहां से कितनी मुश्किलों से आकर यह राज छुपा कर महानगर में अपने कदम बसाए थे। बच्चे को लोगों की नफरतों और कटु वचनों से बचाने के लिए कितना झूठ बोला। और आज वह यहां भी आ गया। उस समय जब मैंने शादी का बोला तो कितनी मेरी मजाक उड़ाई। और बोला मैं तो प्यार का नाटक कर रहा था। तू साधारण परिवार की लड़की मैं तेरे से कैसे शादी कर सकता हूँ। कितने हाथ पाव जोड़ें। कितनी रोई कितनी गिड़गिड़ाई। मगर वह ना पिघला। और मुझे ठोकर मार के आगे निकल गया और आज इस मुकाम पर वापस आ गया। अब मैं क्या करूं लॉकेट को खोलकर उसकी दोनों फोटो निकालकर और रोए जा रही थी। और बोले जा रही थी, उसने दरवाजा बंद नहीं करा हुआ था। उसको पता नहीं लगा कब दबे पांव उसका बेटा कमरे में दाखिल हो चुका है। और उसे सारी बात सुन ली है। बेटे को यह सब बात सुनकर बहुत ही दुख हो बहुत ही तकलीफ हुई। और इस धोखे का पता लगा।
अपनी मां से कुछ भी पूछ कर उनको शर्म में डालने की इच्छा नहीं रखते हुए अपना पुत्र धर्म निभाते हुए उसने अपनी तरह से इसका पता लगाना चाहा। वह वहां से बाहर आ गया इस संकल्प के साथ में कि मैं इस बात का पता लगा लूंगा और अपनी मां के साथ हुए धोखे का बदला लूंगा इस तरह एक लॉकेट ने मेरे पिता का राज कितने साल तक छुपा के रखा आज मैं इतना बड़ा हुआ हूं तब मुझे पता लगा है कि मेरे पिता जिंदा है। इस बात की खुशी है पर पिता से मिलने धोखे के कारण मां को अपना गांव अपने माता पिता सब कुछ छोड़ कर के अकेले मेरी परवरिश करनी पड़ी। कितनी कठिनाइयों से यह सब करना पड़ा। उसका तो मुझे बदला लेना ही होगा। यह सोचते हुए वह अपने कमरे में चला जाता है।
दूसरे दिन वह अपने बॉस को घर आने का आमंत्रण देता है। जब उसका बॉस उसके घर जाता है तो उसकी मां को देखकर भौचक्का रह जाता है। और हाथ जोड़ करके उसकी मां से माफी मांगने लगता है। और अपनी गलती का पछतावे के लिए और उसको वापस अपनी जिंदगी में आने के लिए उसके सामने गिड़गिड़ा ने लगता है। वह बोलता है मैंने एक पैसे वाली लड़की से शादी करी थी। उसकी ख्वाहिश पूरी नहीं कर सका। वह मुझे छोड़ कर चली गई । यह ईश्वर का न्याय है। मैंने तुमको छोड़ा। वह मुझे छोड़ कर चली गई। मैं अकेला रह गया।
अब तुम मेरे से शादी कर लो मेरे साथ रहो। बेटे को मैं मेरा नाम दे दूंगा। मगर मीता दृढ़ता से इनकार कर देती है। और उसको बोलती है, अगर तुम हमारा अच्छा चाहते हो तो यहां से कोई दूसरी जगह ट्रांसफर लेलो। ताकि हमारी इमेज भी ना बिगड़े। और हमारी जिंदगी भी चलती रहे। और तुम कभी हमसे वापस जिंदगी में ना मिलो। ऐसा बोल कर अपने कमरे में चली जाती है। थोड़ी देर बाद उसका बॉस उसके सिर पर हाथ फेरते हुए चुपचाप वहां से निकल जाता है। दूसरे दिन जब ऑफिस पहुंचता है तो वहां पता लगता है, कि उसके बॉस ने नौकरी से रिजाइन कर दिया। मीता के लड़के को दुख तो होता है कि उसका पिता वहां से चला गया मगर एक सुकून भी आता है मन में कि मैंने मां का सम्मान भी नहीं तोड़ा और उनको वहां से हटा भी दिया। जिंदगी ऐसे ही चलती रहती है।
