Dheerja Sharma

Tragedy

4.4  

Dheerja Sharma

Tragedy

लॉक डाउन

लॉक डाउन

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मोहित बहुत खुश है कोरोना से।उसे पता है कि बहुत खतरनाक वायरस है , परंतु उसके लिए अच्छा है।जब से होश संभाला है ,ऐसे माहौल के सपने देखता था।काश ! ये लॉक डाउन कभी न खत्म हो! पापा बिल्कुल उसके दोस्त निखिल के पापा जैसे हो गए हैं।निखिल जब अपने पापा के बारे में बताता तो उसे बड़ी ईर्ष्या होती थी। अब तो उसके पापा पिछले महीने से घर पर ही हैं।उसके और गुड्डू के साथ खेलते भी हैं। जाने कितने खेल आते हैं उन्हें... पोषम पा, विष अमृत, पिट्ठू गरम ....! खूब प्यार भी करते हैं।सोते समय कहानी भी सुनाते हैं राजा रानी की, श्रवण कुमार की, ध्रुव, विक्रम बेताल और जाने कौन कौन सी! मां के साथ घर के काम में भी हाथ बंटा रहे हैं। माँ भी बहुत खुश है।आज कल बहुत सुंदर भी लगती है। माँ को पहली बार पापा के साथ ज़ोर ज़ोर से हंसते देखा है।वो हर रोज़ निखिल को फ़ोन कर के बताता है कि कितने हीरो हैं उसके पापा।बचपन में कैसे गहरी नदी में एक तरफ से डुबकी लगा कर दूसरी तरफ निकलते थे, कैसे एक बार हाथ से सांप उठा कर दूर फैंक दिया था, कैसे एक बार डूबते हुए बच्चे को बचाया था और न जाने उनके बचपन के बहादुरी के कितने ही किस्से !

आज सुबह पापा के चिल्लाने से नींद खुल गयी।आज पापा ने कई दिनों बाद माँ से झगड़ा किया। उन्हें मारा भी।उनके पर्स से पैसे छीन कर बाहर चले गए।माँ अपनी चोट सहलाते हुए कह रही थी," काश! ये शराब की दुकानें कभी न खुलती !"


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