ससुराल में पहला दिन
ससुराल में पहला दिन
" अरे 10 बज गए।नींद ही नही खुली।राजा ने भी उठाया ही नहीं। कितनी बुरी बात है! मम्मी पापा जी क्या सोचते होंगे मेरे बारे में!" सिया नाईट सूट में ही धड़धड़ाती सीढियां उत्तर गयी।
राजा के पापा डाइनिंग टेबल पर बैठे अखबार पढ़ रहे थे।मम्मी सब्जी काट रही थीं।सिया को देख सामने घड़ी की तरफ निगाहें डालीं।सिया खिसियाते हुए बोली," गुड मॉर्निंग पापा,सॉरी मम्मा,नींद ही नहीं खुली। जल्दी जल्दी में चेंज भी नहीं किया।"
"सॉरी क्यों? मैं तो बहुत खुश हूं कि तुम निश्चिंत होकर सोईं।बिल्कुल वैसे ही जैसे अपने घर में सोती थीं।"
"ये तुम्हारा अपना घर है सिया।अपने मन पर किसी तरह का बोझ मत रखना बेटा।और हाँ! तुम हमारी बेटी हो बहू नहीं, इसलिए वो पहनो जो तुम्हें पसंद हो, जो आरामदायक हो।पहले नाश्ता कर लो, बाकी सब बाद में" मम्मा ने प्यार से सिया की तरफ देखते हुए कहा।सिया की आंखों में खुशी के आंसू झिलमिलाने लगे।