सम्मान
सम्मान
डायरी और पेन लेकर बैठी थी। कुछ नया लिखना चाहती थी मैंअपने ब्लॉग के लिए ! इतने में डोरबेल बजी। लक्ष्मी आंटी थीं। साफसुथरी ,सलीके से साड़ी पहने। मुझे देख कर नमस्ते की मुद्रा में हाथ जोड़ दिए। मैंने भी मुस्कुरा कर अभिवादन का उत्तर दिया।
वो आज ही आयी थी मेरे घर। पहला दिन था उनकी नौकरी का। काम था घर की ज़िम्मेदारी यानि बर्तन, झाड़ू पोंछा,खाना बनाना और पूरे घर का रख रखाव।
मैंने उन्हें रसोई में काम समझाया और वे मुस्कुरा कर चुपचाप काम मे लग गईं। अपने कमरे में लौटी तो फ़ोन पर एक कॉल थी । मैने वापिस नंबर मिलाया तो एक लड़की की अपरिचित आवाज़ थी।
" नमस्ते मैम, मैं सोनिया बोल रही हूं। आपके घर आज से मेरी माँ ने काम करना शुरू किया है "
"अच्छा अच्छा ,लक्ष्मी ऑन्टी की बेटी हो तुम ? बात करनी है माँ से ? कुछ ज़रूरी काम है?" मैंने पूछा।
"नहीं मैम, आप ही से बात करनी है। " ,सोनिया की आवाज़ आत्मविश्वास से भरपूर थी।
" मुझसे बात करनी है? तो कहो सोनिया,क्या कहना है ?"
" मैम ,मेरी माँ बहुत अच्छी हैं। उन्होंने बहुत मेहनत करके हमें पाला है वो भी एक सिंगल मदर होते हुए! हम दोनों बहनें पढ़ रही हैं। मैं पुलिस भर्ती के एग्जाम की तैयारी कर रही हूं"।
"वेरी गुड! ये तो बड़ी अच्छी बात है ! तुम लक्ष्मी की सैलरी के बारे में बात करना चाहती हो ?, मैंने सीधे मुद्दे पर आना बेहतर समझा।
"नहीँ नहीँ मैम। मैं बस इतना बताना चाहती थी कि मेरी माँ की नौकरी कोरोना की वजह से पिछले साल छूट गयी थी। धीरे धीरे हमारा बचाया हुआ सब पैसा खत्म हो गया। इस लिए माँ को यह काम करना पड़ा। मेरी बस इतनी रिक्वेस्ट है कि वे पहली बार किसी घर पर काम कर रही हैं। आप उन्हें बुरी तरह डाँटियेगा नहीं। कुछ गलती हो तो आराम से समझा दीजिएगा। धीरे धीरे वे सब समझ जाएंगी!", सोनिया की आवाज़ में अपनी माँ के लिए चिंता थी ।
" लेकिन मैं उन्हें क्यों डाँटूँगी?", मैंने हैरानी से पूछा।
" जी, वो मेरी मौसी एक कोठी में काम करती हैं। उनसे कुछ गलती हो जाये तो उनकी मैडम उन पर चिल्लाती हैं,बहुत अपशब्द कहती हैं। मौसी घर आकर पूरा समय रोती रहती हैं।
मैं नहीं चाहती कि मेरी माँ के साथ भी ऐसा ही हो"
" तुम निश्चिंत रहो सोनिया! लक्ष्मी आंटी मेरी माँ की उम्र की हैं। वे मेरे लिए खाना पकाएगी, घर बर्तन साफ करेंगी, मेरा ध्यान रखेंगी तो मेरा भी तो फ़र्ज़ है कि मैं उनका ध्यान रखूं।
मैं उन्हें अपने घर के सदस्य की तरह सम्मान दूंगी। तुम अपनी माँ के बारे में कितनी अच्छी सोच रखती हो! बहुत अच्छा लगा तुमसे बात करके ! आल द बेस्ट फ़ॉर योर एंट्रेंस एग्जाम !"
"शुक्रिया मैम! आपसे बात करके मेरी चिंता दूर हो गयी। और हाँ, एक रिक्वेस्ट और है!
"हाँ हाँ, बोलो सोनिया ", मैंने आत्मीयता से कहा।
"जी, वो आप माँ से नहीं कहिएगा, मेरे फ़ोन के बारे में। उनके स्वाभिमान को ठेस नहीं लगनी चाहिए। " सोनिया ने कुछ झिझकते हुए कहा।
" अरे बिल्कुल नहीं ! मैं समझ सकती हूं। तुम फिक्र न करो। "
फ़ोन रखकर मैंने आवाज़ लगाई" लक्ष्मी आंटी प्लीज दो कप बढ़िया सी चाय बना लीजिए, मसाले वाली! एक मेरी और एक आपकी "।
यूँ तो बचपन से मुझे घर मे काम करने वालों का आदर करना सिखाया गया है लेकिन सोनिया की चिंता ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया।
मैंने पैन उठाया और ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया। विषय चुना-"रिस्पेक्ट योर डोमेस्टिक हेल्पर्स"
"अपने घरेलू सहायकों का सम्मान कीजिये"- वे कम वेतन में आपके बहुत ज़्यादा काम करते हैं।