लोहबान
लोहबान
लोहबान की महक तो सबने ली होगी खाश करके हमारे इस्लाम को मानने वाले लोगों को यह बहुत ही पुरानी रिवायत हैं कि सवेरे शाम घर में जलाया जाये हमारे तो धूनो या धूप जलाया जाता है पर तासीर वही है कि खूशबू फैले और महौल को सुंगधित बनाये या फिर पाक साफ बनाये और बुरी शय या यो कहें कि Nagitivitee को दूर करता है।
यहाँ ऐसे लोहबान की बात करते हैं जो कि एक चौदह साल का लड़का है, कहाँ से मिला कैसे मिला नहीं मालूम पर चौधरी साहब का मुलाजिम है।
बस कुछ भी कहाँ जाये तो जी हजूर इस के अलावा कुछ नहीं पर पता नही जहाँ चला जाये तो लगता है ताजा हवा का झोंका। बेगम साहिबा का भी खाशम खाश हैं, नाम लोहबान किस ने दिया किसी को नही मालूम पर हाँ पाँचों वक्त का नमाजी भी हैं।
फिलहाल लोहबान तो लोहबान है, लोहबान जब सोता है अपने कमरे में तो रातों में जग कर कोई फोटो निकाल कर कलेजे से चिपका कर रोता है, सुबकता है पर किसी से नहीं बताता।
बहुत दिनों बाद हवेली जाना हुआ तो खुश होकर अपनी सारी बात बताने के बाद बोला कि मैम जी आपको कुछ दिखाना है, आप मेरे कमरे में चले पर हाँ एक वादा करना होगा कि किली से आप कुछ भी नहीं कहना है।
हमने भी हँसते हुये कहाँ कि जैसा आप कहे,अपनी संदूक से फोटो निकाल कर कहाँ यह देखें हमारे वालदेन जिन लोगों ने हमको पैदा करके लावारिस छोड दिया और दोनों अपनी जिंदगी में खुश है पर हमारा वजूद कहाँ बस नाम मिल गया लोहबान, मैं रोज जलता हूँ दूसरों के लिये पर मैं भी रहा हूँ ,हम अवाक से उसका मुँह देखते रह गये कि कितनी तकलीफ है इसके दिल में। सही बात है किसी के हवस का नतीजा है यह लोहबान उसको ठोकर खाने के लिये छोड़ दिया पर किसका कसूर यह तो आप लोगों पर छोड़ते हैं पर लोहबान तो वाकई लोहबान है आज हमारा बेटा सरीखा है।