Kameshwari Karri

Classics

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Kameshwari Karri

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लोगों की परवाह क्यों?

लोगों की परवाह क्यों?

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अर्चना जैसे ही स्कूल से आकर घर में कदम रखती है तो देखती है कि माँ ग़ुस्से से भरी हुई बैठी है। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर बात क्या है। जैसे ही चप्पल उतार कर वह अंदर जाने लगी ज़ोर से वे गरजी रुको! मेरे पाँव थम गए पीछे मुड़कर देखा और कहा क्या है माँ क्या हुआ? अब तक कहाँ थी माँ ने पूछा माँ यह आप कैसा सवाल पूछ रही हैं मैंने आपको बताया था न कि मैं सुप्रिया के घर जा रही हूँ फिर क्या? वहाँ से तुम दोनों कहीं गई थी।

हाँ माँ मैं और सुप्रिया दोनों सिनेमा देखने चले गए यह प्रोग्राम अचानक बन गया था। वैसे भी मैं आपको आकर बता ही देती न। वैसे भी माँ आप इतना मुझ पर नज़र रखती हैं कि कभी कभी तो मेरा दम घुटने लगता है आपके सवालों से बस कीजिए न मुझ पर भरोसा कीजिए। मैं कभी भी ऐसे वैसे काम नहीं करूँगी जिससे आपको या पिताजी को सिर नीचे करना पड़े। अपने कमरे में जाकर अर्चना रोने लगी कि दीप्ति दीदी ने ग़लत काम किया है तो उसकी सज़ा मुझे क्यों मिल रही है। उसने किसी लड़के के साथ भागकर शादी कर ली है तो मुझे भी माँ शक की नज़र से देखती रहती हैं। मैं दीप्ति दीदी की छोटी बहन हूँ तो क्या मेरे ख़याल तो उनसे अलग हैं। मुझे तो पढ़ाई पूरी करनी है। वकील बनना है फिर मैं इन आलतू फ़ालतू बातों में अपना समय क्यों गँवाऊँगी। माँ को कितनी बार समझाने पर भी नहीं मानती हैं।

माँ अर्चना के पास कमरे में आती है और समझाती है कि देख बेटा तू मुझे ग़लत मत समझ जब तू देर से घर आती है तो मैं डर जाती हूँ। इसलिए तुम्हें टोकती रहती हूँ मुझे माफ कर देना। अब से ख़याल रखूँगी। अब मैं तुम्हें नहीं टोकूँगी।

अर्चना मेहनत करती है और वकील बन जाती है। उसके साथ ही काम करने वाले रंजीत ने उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो वह डर गई क्योंकि जब कुछ नहीं करती थी तब ही माँ सता देती थी। अब तो उसे भी शायद माँ के खिलाफ जाना पड़ सकता है। रंजीत दूसरे कुल का है इसलिए वह डर रही थी उसने हिम्मत करके माँ को बताया। माँ ने सुनकर कहा बेटा मुझे कोई एतराज़ नहीं है पर लोगों का डर है वे लोग क्या कहेंगे। अर्चना ने कहा माँ जब मैंने कोई गलती ही नहीं की है तो मैं लोगों को क्यों बर्दाश्त करूँ। आपको और पिताजी को कोई तकलीफ़ नहीं है हम लोगों के बारे में नहीं सोचेंगे क्योंकि रंजीत को चुनकर मैंने कोई गलती नहीं की है। लोग तो थोड़े दिन बातें कहते हैं पर बाद में भूल जाते हैं किसी के पास भी इतना समय नहीं कि वे बातें सुनाते रहे। बात आई गई हो गई आज अर्चना शहर में नामी वकील है और रंजन हाईकोर्ट में जज हो गए हैं। इसलिए अगर आप ग़लत नहीं हैं तो बर्दाश्त करने की ज़रूरत नहीं है।


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