फ्रेनड्स फरेवर
फ्रेनड्स फरेवर
दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसे जब भी हम याद करते हैं तो मन में गुदगुदी होती है । मुझे तो मेरी सहेली हेमलता की याद आ जाती है । आज से चालीस साल पहले की बात है मैंने ग्याहरवीं की परीक्षा पास की थी और घर में शादी की बात चलाने लगे । मुझे लगता था कि कम से कम डिग्री कर लूँ तो अच्छा रहेगा परंतु वहाँ हमारी बात कौन सुनने के लिए बैठा है ।
हमारे घर में मेरी बुआ ने डिग्री तक की पढ़ाई की थी । डिग्री तक पढ़ने के कारण उनकी शादी के लिए देरी हो गई थी। हँसी आती है परंतु बहुत से रिश्ते इसलिए वापस चले गए थे कि लड़की बी ए पास है । उसका असर मुझ पर पड़ा और ग्याहरवीं के बाद मेरी पढ़ाई रोक दी गई थी ।
माँ ने कहा कि लड़की जात तो कल को काम आएगा इसलिए सिलाई कढ़ाई सिखा देते हैं । सबने उनकी बात मानकर मुझे सिलाई क्लास में दाख़िला दिला दिया था । मैं रोज सिलाई सीखने जाने लगी वहीं पर मेरी मुलाक़ात हेमलता से हुई ।
वह मारनिंग कॉलेज में एम ए पढ़ रही थी दोपहर को कढ़ाई सीखने आती थी । माँ नहीं थी पिता जी इरीगेशन डिपार्टमेंट में इंजनीयर थे । अकेली लड़की थी । हम दोनों की दोस्ती बढती गई हम एक-दूसरे के घर आने जाने लगे । उसे मैंने बातों बातों में मेरी पढ़ाई के बारे में बताया तो वह मेरे पिताजी के पास गई और कहने लगी चाचा जी मेरे कॉलेज में दाख़िला दिला दीजिए मेरे साथ कॉलेज आती जाती रहेगी । हाँ अगर शादी फिक्स हो जाती है तो पढ़ाई छोड़ देगी । हेमलता की बात से मेरे घर में सब सहमत हो गए और मुझे कॉलेज में दाख़िला दिला दिया । ईश्वर की कृपा समझिये या मेरी क़िस्मत समझिये मेरी डिग्री ख़त्म हुई और मेरी शादी फ़िक्स हुई । आज भी मैं उसे याद करती हूँ कि उसके कारण मेरी इच्छा पूर्ण हुई थी । हम दोनों शादी के बाद अलग अलग शहरों में बस गए थे । चार साल पहले जब मैं विशाखापटटनम जा रही थी तो उससे मेरी मुलाक़ात स्टेशन पर हुई थी । हम दोनों ट्रेन में रात भर नहीं सोए थे । एक दूसरे का फ़ोन नंबर और पता लेकर बिदा हुए और आज हम पैंसठ से ऊपर हो गए हैं लेकिन फ़ोन पर कम से कम बात हो जाती है ।
दोस्तों मैंने बी एड किया एम ए किया और स्कूल में विभागाध्यक्ष के पद पर तीस साल काम किया यह सब मेरी दोस्त हेमलता की वजह से हुआ । बहुत बहुत आभार हेमलता का जिसे मैं कभी नहीं भूल सकती हूँ ।