बाजी
बाजी
सीमा ने नई नवेली दुल्हन बन ससुराल में कदम रखा था । उसके पति ने उसे शादी के पहले ही बता दिया था कि वह परिवार में ही रहेगा उनसे अलग नहीं जाएगा । परिवार में कभी-कभी दिल दुखेगा या तुम्हारी कुछ ख़्वाहिश पूरी नहीं होंगी परंतु घर में शांति होनी चाहिए । सीमा ने सबके लिए सर हिलाया और सोचा कि देख लेंगे आगे क्या होगा?
एक दिन उसकी सहेली बिना बताए उसके घर अचानक पहुँच गई थी । उसकी ख़ातिरदारी की तैयारी में वह लगी थी और वह उसकी सास को बता रही थी सीमा क्या है वह कभी हारने वालों में से नहीं है हमेशा बाजी वही जीतती है लेकिन हम सब पोस्ट ग्रेजुएट कर रहे हैं और सीमा शादी करके बाजी हार गई है ।
सीमा दूसरे दिन सुबह खाना और नाश्ता बनाने में व्यस्त थी कि सास ने उसे बुलाया वह बैठक में पहुँच कर देखती है कि पूरा परिवार वहाँ जमा था । ससुर ने एक फ़ॉर्म दिया और कहा आज मेरी बहू पोस्ट ग्रेजुएशन में एडमिशन ले रही है वह कभी बाजी नहीं हार सकती है । बेटा आज फ़ॉर्म सबमिट कर दे हम सब तेरे साथ हैं ।
सीमा ने सोचा यह हुई न बात हारी हुई बाजी भी मैंने जीत लिया है । जल्दी से उसने सासु माँ और ससुर जी के पैर छू लिया ।