मेरे जीवन साथी
मेरे जीवन साथी
तालियों की गड़गड़ाहट के बीच अपने प्रियतम नेता सुरेश जी और उनकी पत्नी को को लेकर लोग स्टेज तक पहुँचे। आज उनका रिटायरमेंट फ़ंक्शन था। वे अपने ऑफिस में ऑल इंडिया लीडर थे।
उन्हें लोग बहुत मानते थे। भारत के हर जगह से लोग आए थे उन्हें बधाई देने के लिए पूरा फ़ंक्शन हॉल लोगों से खचाखच भरा हुआ था। लोग बीच बीच में ज़िंदाबाद के नारे लगा रहे थे।
प्रोग्राम शुरू किया गया। सबने उनके तारीफ़ों के पुल बाँध दिया था। दूसरे ऑफिस के प्रतिनिधियों ने भी अपने भाषण में इनकी तारीफ़ की थी कि वे किस तरह से अपने बजाज स्कूटर पर ही घूमते थे। अपने नेता होने का उन्हें जरा भी घमंड नहीं है। अपने साथी कर्मचारियों को बहुत इज़्ज़त देते थे और तो और उन्हें ऑलमोस्ट सबके नाम याद रहते थे जिसके कारण सब इन्हें अपना मानते थे।
सबके दिए भाषण के बाद सुरेश जी की बारी थी जैसे ही वे अपनी कुर्सी से उठे नारों से पूरा हॉल गूँज उठा।
उन्होंने अपना भाषण शुरू किया। वहाँ उपस्थित सभी को अभिवादन किया और कहा आप सब का बड़प्पन है कि आप लोगों ने मुझे इतना प्यार दिया है। आगे कहा सबसे पहले मैं अपनी पत्नी को धन्यवाद कहना चाहता हूँ जिनके कारण मैं आप लोगों के लिए कुछ कर सका। मेरी अनुपस्थिति में उसने बिना किसी मलाल के घर और बच्चों को सँभाला , मेरे परिवार के लिए किया, रिश्ते दारी निभाई, बच्चों की पूरी ज़िम्मेदारी ली हाँ मैं बीच बीच में उनकी मदद ज़रूर कर देता था। आज दोनों बच्चों की शादी हो गई है और वे दोनों अपने अपने परिवार में खुश हैं। बेटा जब छोटा था तब जरूर पूछता था कि माँ पिता जी अकेले ही अपने सामान पैक करके जाते हैं हम कब जाएँगे ?
उसने कभी भी बच्चों को गलत सीख नहीं दी। मेरे लिए बच्चों के मन में इज़्ज़त हमेशा बरकरार रखा है।
आज पूरे समाज के सामने मैं कहता हूँ कि तुमने मेरे लिए बहुत कुछ किया है मैं बहुत खुश नसीब हूँ जो तुम मेरी ज़िंदगी में आई। मुझसे बहुत सारी ग़लतियाँ भी हुई होंगी उनकी माफी भी माँग रहा हूँ। इतना कहकर उन्होंने अपने भाषण को आगे बढ़ाया।
पत्नी ने सोचा जितना भी मैंने किया उसके लिए तकलीफ़ें झेलीं वे सब उनके इतना कहते ही दूर हो गए। यह मेरे जीवन साथी हैं जिन पर मुझे गर्व है कि वे मेरे हैं।
मन ही मन में गुनगुना रही थी कि” मेरे जीवन साथी प्यार किए जा “।