रक्षाबंधन की यादें
रक्षाबंधन की यादें
रक्षाबंधन भाई बहन के स्नेह और विश्वास का अटूट बंधन होता है।
मैं अपने भाई बहनों में सबसे बड़ी हूँ । मेरे तीन भाई हैं बहन नहीं है । मैं घर में सबकी लाड़ली थी । हमारे घर में मेरा जन्मदिन और राखी इन्हीं को पर्वों के रूप में धूमधाम से मनाया जाता था ।
मैंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की थी तो सबको लगने लगा कि अब इसकी शादी करके ससुराल भेजने का समय आ गया है । रिश्ते ढूँढने लगे। और आन्ध्रप्रदेश में रहने वाले परिवार में मेरी हो हुई थी । मैं मध्यप्रदेश में पली बढ़ी थी । अपने तीन भाइयों की लाड़ली बहन थी । मैंने यहाँ आकर देखा कि साउथ में रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता है । उस दिन घर के पुरुष अपने पुरानी जनेऊ को बदल कर नया जनेऊ धारण करते थे । इसे पुरुषों का त्योहार माना जाता था । जब मेरी शादी हो गई थी तो मैं राखी के त्योहार पर मायके नहीं जा सकती थी इसलिए मैंने दो साल अपने भाइयों को राखी बुझे दिल से कोरियर कर दी थी । हम भाई बहन राखी में बहुत मस्ती करते थे । मैं उन दिनों को बहुत याद करती थी । ससुराल में भी अच्छा लगता था सिर्फ़ राखी के समय बुरा लगता था कि भाइयों को राखी नहीं बांध पा रही हूँ ।
उस दिन भी मैं रोज़ की तरह सुबह ही उठ गई थी । राखी का त्योहार है अंदर से दिल में दर्द महसूस हो रहा था घर में पति , ससुर , देवर सब अपने जनेऊ धारण कर रहे थे। उसी समय बाहर से आवाज़ें सुनाई दे रही थी कब आए ? कैसे हो? सासु माँ ने कहा कि देख बेटा बाहर कौन है? मैं भी उत्सुक थी जानने के लिए इसलिए भाग कर बाहर आई देखा तो मेरा मँझला भाई था जो नेवी में काम करता था। वह आया हुआ था । मैं हैरान परेशान सी उसे देख रही थी । मेरी आँखों से गंगा जमुना की नदियाँ बहने लगी थी ।
उसने मुझे गले लगाया और कहा दीदी सिर्फ़ रोती ही रहेगी क्या राखी नहीं बाँधेगी । उसने मेरी हथेली पर राखी रख कर कहा ••••आजा राखी बाँध दे !! तीन साल हो गए तुझसे राखी बँधवाए मैं तो तरस गया था।
उसकी बातों को सुनकर मेरे चेहरे पर हँसी आ गई थी क्योंकि घर में अगर पिताजी सिर्फ़ मेरा नाम जोर से पुकारते थे तो मेरी आँखें भर आतीं थीं इसलिए ये सब मुझे चिढ़ाते थे कि बाढ़ आ जाएगी बहना मत रो पिताजी सिर्फ़ पुकार रहे हैं डाँट नहीं रहे हैं । वह भी पुरानी बातों को याद कर हँस रहा था । मैंने अपने आँसू झट से पोंछे उसके हाथ से राखी लेकर अंदर गई । मैं थाल सजाकर लाई और उसकी कलाई पर प्यार से राखी बाँधने लगी यह एक खूबसूरत एहसास था कि तीन साल बाद भाई को राखी बाँध रही थी । हमारे घर में सबके लिए यह नया था सुना होगा राखी के बारे में देख पहली बार रहे थे इसलिए घर में सारे लोग अचंभित होकर देख रहे थे । राखी बँधवाने के बाद उसने बताया था कि मेरी पोस्टिंग यहाँ पर हुई है मैं कल यहाँ पहुँच गया था तो सोचा इस बार राखी तेरे साथ मनाऊँगा इसलिए भाग कर तेरे पास आ गया था । उसने कहा चल जल्दी से एक फ़ोटो खींच लेते हैं और उन दोनों को चिढ़ाते हैं । मेरे लिए बहुत ही प्यारे पल थे । आज चालीस साल बाद भी उन दिनों को याद करती हूँ तो मेरी आँखें ख़ुशी से उस पल को याद करके भर आतीं हैं ।