करे कोई भरे कोई
करे कोई भरे कोई
अपराध कोई करे, दंड किसी और को मिले
पियूष कोर्ट के गलियारे में अकेले खड़ा था । आज उसके पिता के एक्सिडेंट केस का फ़ैसला होने वाला था । उसकी आँखों में आँसू आ गए थे कि हँसता खेलता परिवार आज बिखर गया है ।
पियूष की दो बड़ी बहनें थी । दोनों की शादी हो गई थी । पिता प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे । पिछले महीने ही रिटायर हुए थे और अपने दोस्त की कंपनी में नौकरी की बात करने के लिए गए थे । आते समय एक्सिडेंट हो गया था वहीं पर उनकी मृत्यु हो गई थी ।
उनकी गलती भी नहीं थी वे बहुत ही धीमी गति से आ रहे थे परंतु आजकल के लड़कों में सब्र ही नहीं है । वह लड़का पीछे से अपनी गर्लफ़्रेंड को बिठाकर आ रहा था धीमी गति से चल रहे विजय जी की बैक को पैर से जोर से यह कहते हुए मारा कि क्या अंकल इतने धीरे गाड़ी चला रहे हो । विजय नीचे गिर गए और उनका सिर फ़्लाइओवर से टकराने के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी ।
अभी वह सोच रहा था कि पीछे से किसी ने उसके कँधे पर हाथ रखा उसने पलटकर देखा तो एक वृद्ध पुरुष खड़े होकर उससे कह रहे थे कि बेटा मुझे माफ कर दो । पियूष को मालूम था यह उस लड़की के पिता थे जो एक्सिडेंट कर ने वाले लड़के की बैक के पीछे बैठी थी । पियूष ने बिना कुछ बोले अपना सिर घुमा लिया था ।
उस वृद्ध पुरुष ने कहा मैं तुम्हारा गुनहगार हूँ मुझे मालूम है । मेरी छह लड़कियाँ हैं तीन की शादी हो गई यह चौथी लड़की है मुझे नहीं मालूम था कि यह किसी लड़के के साथ घूमती है । तुम्हारे पिता के साथ हादसा होने के बाद ये दोनों भी गिर गए थे तब तक मोटर साइकिल पर इसे बिठाकर फीट्स करने वाला गिरते ही पुलिस के डरते से भाग गया था । तुम्हारे पिता की मौत के बाद उसे पता चल गया था कि उसे सजा मिलेगी । उनके घर के लोग मेरे घर आए और कहने लगे कि अगर आपकी बेटी पुलिस को यह बयान दे कि हमारे बच्चे की गलती नहीं है वे खुद बैलेंस आउट हो कर गिर गए हैं तो हम आपकी बेटी को अपनी बहू बना लेंगे । बेटी की शादी के लालच में मैंने बेटी से झूठी गवाही दिलवाई है आज उनका बेटा रिहा हो रहा है तो वे हमारा मुँह भी नहीं देख रहे हैं । मैं तुम्हारी मदद कर दूँगा मुझे थोड़े से पैसे दे दो ।
पियूष को लगा कि दुनिया में कैसे कैसे लोग होते हैं । हमेशा अपने फ़ायदे के लिए ही सोचते हैं । उस नफ़रत हो गई उस वृद्ध पुरुष से कहा अब मेरे पापा वापस तो आने वाले नहीं हैं इसलिए आपको कोई तकलीफ़ उठाने की ज़रूरत नहीं है जब सत्य कहना था तब तो आपने झूठी गवाही दिलवाई आज आपको धोखा मिला तो इस तरह की बातें कर रहे हैं । आप जाइए जो भी फ़ैसला होगा वह मुझे मंज़ूर है ।
उसी समय अंदर से बुलावा आया जज साहब ने कहा कि विजय जी की मृत्यु गाड़ी के बैलेंस आउट हो जाने से हो गई थी इसलिए मोहम्मद को बाइज़्ज़त बरी किया जाता है । वे लोग हँसते खेलते चले गए और पियूष वहीं बैठ कर फफकफफक कर रोने लगा । ग़लत करने वाला आज़ाद हो गया और सजा मिली पियूष के परिवार को…….