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Nandita Srivastava

Tragedy Inspirational

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Nandita Srivastava

Tragedy Inspirational

लंगड़ा आदमी

लंगड़ा आदमी

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वह लंगड़ा आदमी खड़ा रहता है कि जब वह लड़की निकले, तो कम से कम जी भर कर देंख तो ले, तो कम से दिन तो बढ़िया बीतेगा लंगड़ा आदमी यानि असिफ अपने माँ वाप की बारहवीं औलाद है, बचपन से ही थोड़ा सा भचक कर चलता है, कई लोगो ने कहाँ सरकारी दवाखाने में इलाज करवा लें पर रहिमव बी बोली की हमारे रसूलेपाक ने कहाँ है कि सारे इलाज तो कलाम में लिखा है बाहर इलाज कराना हमारे लिये हराम हैअरे लगता है कि पड़ोसन ने टोना कर दिया है, अरे जल जल कर मर रही है हमारी बारह ठो औलाद है, कौन समझाये कि पहले पालने का टिकाना तो कर खैर आसिफ किसी तरह पढ़ाई लिखाई कर के नौकरी ना मिलने पर चाय की दुकान खोल ली और चलने भी लगी

घर में भी सब निकाह हो चुका था बस आसिफ का ही नहीं हुआ था काहे कि लंगड़ा था ना, पर दिल दे बैठा सकीना को कभी कुछ कह ना पाया पर निकाह या सुहागरात के सपने ज़रूर देखता वह रोज गुजरती वह रोज देखता और सोचता कि कल ज़रूर बात करेगा दिन बीत रहे थे साल भी बीत गया एक दिन बहुत रात को वापस जा रही थी तो उससे रहा नहीं गया बोल पड़ा कि इतनी रात ना किया करे,आदमी सोच भी नहीं सकता कई बार ऐसी बातें हो जाती है जो सोचा भी नहीं जा सकतासड़क पर ही ठंड की रात में कुछ लोगो ने सकीना की आबरू को तार तार कर दिया सकीना बेहोश पड़ी रही पर किसी को कुछ लेना देना नहींआसिफ को खबर मिली तुरत पहुँचा और जो बन सकता था किया अपने घर ले जाकर उसको ठीक कर के निकाह भी किया अब माशा अललाह दोनो खुश है अब हमारा सवाल आसिफ लंगड़ा है कि यह समाज लंगड़ा है? सवाल का जवाब आप लोगो के पास ही होगा ...


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