STORYMIRROR

Shyam Raj

Tragedy Thriller

3  

Shyam Raj

Tragedy Thriller

लास्ट डेस्टिनेशन

लास्ट डेस्टिनेशन

5 mins
18


 

  कल का दिन व्यस्तम दिनों वाला दिन रहा क्योंकि रोज उठने के वक्त से लगभग आधे घंटे पहले ही उठ गया था क्योंकि हमें ट्रेनिंग के लिए जो टाइम दिया गया था वो हमेशा से कुछ ज्यादा ही पहले का था । भागदौड़ भरी कसमकश में कैसे न जैसे अपने दिए गए इवेंट पूरे कर अपने कमरे में पहुंच कर सोने का मन कर रहा था क्योंकि बहुत दिनों के बाद जो इतनी फिजिकल एक्सरसाइज की लेकिन सो कैसे सकते थे क्योंकि नाश्ता भी करना था और क्लास के लिए फिर से जाना था , नाश्ता किया और क्लास में गए । आईपी देने के लिए लिए क्लास पोस्ट पर बैठ गए और अपने टर्न का इंतजार करने लगे लेकिन यहां तो हम बोगी हो गए क्योंकि पूरे दिन इंतजार करने के बाद भी हमारा नम्बर ही नहीं आया हम क्या कर सकते थे नहीं आया तो नहीं आया । अगली क्लास के लिए (जोकि नाइट क्लास थी) हमें बताया गया कि इतनी बजे और इस स्थान पर पहुंचना हैं । मैस में पहुंचे दोपहर का लंच किया और वापस अपने रूम में आए हुए मुश्किल से एक घंटे का टाइम बिता होगा कि अगली क्लास ज्वॉइन करने का टाइम हो गया । जाने का मन बिल्कुल भी नहीं था लेकिन क्या करते जाना तो था हैं इसलिए निकल पड़े अपने सभी साजोसामान लिए । शरीर जोर जोर से चिल्ला कर कह रहा था कि मत जाओ मत जाओ रुक जाओ और आराम कर लो पर हम नहीं रुक सकते थे क्योंकि आज की नाइट क्लास हमारी आखरी क्लास थी और इसके बाद तो हमारा कोर्स खत्म सा ही हो गया समझो सिर्फ फाइनल एग्जाम ही बची थी । हम पांचों दोस्त बातों में मशगूल हुए हंसते खिलखिलाते रोड पर पहुंचे और आगे बढ़ते चले जा रहे थे कि थोड़ी सी दूर जाने के बाद मुझे सड़क पर पड़ा एक सिक्का दिखा मैंने उसे उठाया और खुशी से अपने दोस्तों को बोला टुडे आई एम सो लकी डेट आई गोट दिस कॉइन । और हंसने लगा (ऐसा क्यों बोला मैंने ये तो आप जानते ही होंगे जानते हो.... नहीं... ओह.. हम ऐसा मानते हैं ना कि अगर कहीं पर जाते समय पैसे मिलते है तो वो शुभ होते हैं... अब तो पता लग गया ना...) । अच्छा है एक दोस्त बोला । लेकिन ये क्या ..?? पांच छः कदम चलने के बाद फिर से एक कॉइन दिखा मैंने फिर उसे उठाया । फिर थोड़ा सा चले कि फिर से सिक्के दिखाने लगे एक नहीं बहुत सारे.. अब मैं ही नहीं मेरे दोस्त भी उनको उठाने लगे । हम उन सिक्कों को उठाते हंसते लेकिन हमारा ध्यान तब तक रोड पर पड़े फूलों की तरफ नहीं गया क्योंकि शायद फूलों से ज्यादा सिक्के पड़े हुए थे और फूल कही कही दिख रहे थे । अब हम सभी सोचने लगे कि शायद कोई पदयात्री अपने रैली जोकि चौरागढ़ महादेव की तरफ जा रही होगी उसमें ये सिक्के फेंके होंगे और हम उन्हें उठाते ही जा रहें हैं इसके अलावा हममें से एक दोस्त बोला शायद ये... लेकिन बाकी हम सब ने उसे रोक दिया ऐसा नहीं होगा शायद ये कहकर । चलते गए सिक्के उठाते गए । डेढ़ सो से दो सो मीटर तक हमें सिक्के मिलते गए और हम उठाते गए । दोस्त ने जो बात कही उस वजह से हम सब का ध्यान थोड़ा सा उस तरफ भी जाने लगा क्योंकि आगे थोड़ी दूर चलने के बाद मंदिर और कब्रिस्तान दोनों थे जितना हमें पता था उस रास्ते के बारे में । तो मैंने कहा हां हो सकता है ऐसा हो... तो हम ऐसा करते हैं हमें जितने सिक्के मिले हैं उन सब को मंदिर में चढ़ा देते हैं इस बात पर सबने हामी भरी और सबने अपने अपने हाथ में रखे सिक्के मुझे दे दिए तब तक मंदिर आ चुका था । हमने देखा कि मंदिर में कोई है जो पूजा कर रहा हैं लेकिन उसके हावभाव से वो पंडित नहीं लग रहा था । हम जैसे ही मंदिर के दरवाजे तक पहुंचे वो बाहर आता दिखा तो मैंने वो सारे सिक्के उसे देते हुए कहा आप इन्हें मंदिर की दानपेटी में डाला दीजिए । उन्होंने वो सब सिक्के मेरे हाथ से लिए और दानपेटी में डाल दिए । हमने हाथ जोड़े और आगे बढ़े । अब भी हम सब दोस्तों की नजरें सिर्फ और सिर्फ सड़क पर ही थी कि सिक्के और मिल जाए लेकिन अब नहीं मिल रहे थे तभी एक दोस्त ने बोला नजरे ही नहीं उठी रही सड़क से किसी की अब नहीं मिलने वाले कोई सिक्के और हंसने लगा हम भी उसके साथ हंसी में शामिल हो गए और आगे बढ़ने लगें ।

फिर हमें कुछ ऐसा दिखाई दिया कि हम सब अचंभे में पड़ गए क्योंकि हमें सड़क के दाहिनी तरफ से सड़क पर मिलते कच्चे रास्ते से भीड़ आती हुई दिखाई देने लगी । हमने सात आठ कदम और बढ़ाए होंगे कि हमें जलती हुई चिता दिखाई दी । अब हम समझ चुके है जो सिक्के हमें सड़क पर मिल रहे थे वो क्यों सड़क पर पड़े थे । लेकिन ये क्या हमें तो सिर्फ इतना ही पता था कि यहां कब्रिस्तान ही हैं लेकिन यहां तो हिंदूओं का कब्रिस्तान भी हैं जहां एक चिता जल रही है । जलती चिता को देखकर हम सब ने सिर झुकाया और आगे बढ़ गए । मेरे हिसाब से हम सब के मन में ख्याल तो आ रहा होगा कि कही हमने उन सिक्कों को मंदिर की दानपेटी में डाल कर कोई गलती तो नहीं कर दी । लेकिन कोई कुछ भी नहीं कह पाया किसी से और कुछ समय के लिए सन्नाटा सा छा गया पर हम रुके नहीं क्योंकि हमें वहां पहुंचना था जहां हमें पहुंचने के लिए बताया गया था । वहां पहुंचे नाइट क्लास ली और बहुत सारी यादें जो सिर्फ आज की थी अपने मन में संजोया और रात के दस बजे बाद अपने रूम में पहुंचे ।

मैं अब सोच रहा हूं आज के इस सफर में हम सब अपने अपने लास्ट डेस्टिनेशन पर पहुंच गए । मैं या हम सबलोग.. सिक्के... चिता में जलता हुआ शव...


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy