पानी पिलाने वाली दादी मां
पानी पिलाने वाली दादी मां
अरे रुको पानी पी कर चलते हैं..
वापस घुमाना पड़ेगा ...
तो क्या हुआ घुमा लो बाइक...
ठीक हैं भाईसाहब..
दादी पानी पिला दो..
लो बेटा पी लो...
अच्छा बेटा लगता है खग बाबा के जाकर आए हो..
हाँ दादी मां..
दादी ये मतीरा कितने का दे रहे हैं.. ?
पता नहीं बेटा ... मुझे तो ऐसे ही दिया है..
अच्छा..
हाँ.. ये लोग इधर पास वाली ढयानि के ही है... बोल रहे थे मां इस बार तो इनकी फसल खराब हो गई है जो बचे हैं उनको ही बेच रहे हैं ।
ओहो...(शोक जताते हुए मैंने ) हाँ दादी मां लग रहा है इसको(पास पड़े मतीरे को देखकर) देख कर ..
कहा से आए हो ?
दादी थोड़ी दूर से ही...
कल आते तो और भी अच्छा होता कल खग बाबा के यहा बहुत बड़ा मेला था ।
दादी हम नौकरी–पेशा वाले है तो जब भी टाइम मिलता है तब ही आ पाते हैं
लो दादी ये (दस रुपए का नोट देते हुए...)
बेटा तुझे इस बूढ़ी मां का आशीर्वाद लगे.. तू अच्छी नौकरी करे... तेरी घर में भगवान का आशीर्वाद बना रहे... तेरे बच्चे हमेशा खुश रहे...
(मैंने रोकते हुए...) दादी आपको यहां पानी पिलाते हुए कितना समय हो गया ..
बेटा .. मुझे यहां दस साल से ज्यादा हो गए ... यहां के आस पास के लोगों ने ब्राम्हणी मां को यहां रखा है पानी पिलाने के लिए...
चार पांच हजार रुपए और दो बोरी अनाज की दे देते हैं..
अच्छा दादी आप पानी कहाँ से लाते हो..?
उस नल से (हाथ से इशारा करते हुए...)
अच्छा...
ये घर डॉक्टर साहब का हैं... आप तो जानते होंगे रेनवाल में है दांतो के डॉक्टर...
हम्म... शायद दादी..
इसके परिवार में सब नौकरी वाले ही हैं..
अच्छा...
मेरे चार बच्चे हैं दो लड़कियां और दो लड़के.. सबकी शादी कर दी.. उनको पैंतालीस साल हो गए छोड़कर गए(भगवान ने अपने पास भुला लिया..) लेकिन मैं किसी और दूसरे के पास नहीं गई (दूसरी शादी नहीं की.....)
लो दादी बाबा का प्रसाद खा लो...
ला बेटा...
तुमने दादी को दस रुपए दिए और बाबा का प्रसाद भी दिया .. भगवान तुम्हें हमेशा खुश रखें...
और जहां आप जाकर आए हो ना वो गुर्जर बाबा है जो धरती में से प्रकट हुए हैं...
अच्छा दादी ... अब हम चलते हैं...
बेटा गाड़ी ध्यान से चलाना और धीरे धीरे जाना...
ठीक है दादी..
(शायद यहां थोड़ा ज्यादा समय लगा हो आपको पर ये बातें सिर्फ पांच मिनट की है... इतना ही रुके थे हम पानी पिलाने वाली दादी के पास...)