मुलाकातें अधूरी-सी
मुलाकातें अधूरी-सी
कुछ मुलाकातें अधूरी-सी ही लगती है
सुबह सुबह मैं दिल्ली आने के लिए एयरपोर्ट पर पहुंचा जैसे ही अपनी गाड़ी से उतर कर एयरपोर्ट पर एंट्री करने वाला ही था तो पीछे से किसी ने मेरा नाम पुकारा पीछे मूड़ कर देखा तो मेरा साथ ही पास आउट अभिषेक मिश्रा (02) (ऑलऑवर बेस्ट) की आवाज आ रही थी मैंने ब्रेकिट में जो लिखा है उसका अर्थ सिर्फ वो ही समझ पाएंगे जो फोर्स में है। लगभग तीन साल बाद हम मिले है आज भी वो वैसा ही देखता जैसा हमारे साथ ट्रेनिंग के समय था कोई बदलाव नहीं आया उसमें वैसा ही पतला-सा, गोरा-सा, हंसमुख चेहरा। इससे पहले एक बात ओर किसी ने मुझे बताया था कि अभिषेक अब यू पी एस सी क्लियर कर सी आई एस एफ अस्सिस्टेंट कमांडेंट बन गया है लेकिन मैंने देखा ये क्या ये तो अभिषेक ही है और हमारे ही साथ.. फिर भी उसे देखते ही मेरा भी चेहरा अचानक से खिल उठा.. हाथ मिलाया.. गले मिले.. और बस फिर क्या था बातें शुरू हो गई हमारी ट्रेनिंग शुरू हुई तब से लेकर आज तक की मुलाक़ात तक की। यार अभिषेक मैंने तो सुना था कि तुम्हारा तो चयन... हाँ यार हो गया है पर मैंने कुछ समय के लिए एक्सटेंसशन ले रखा है यू पी एस सी आई ए एस / आई पी एस एग्जाम के लिए.. वहाँ और ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है जिसमें मैं नहीं गया और अब तो अगस्त या सितम्बर में शुरू होगी तब तक मेरा एग्जाम भी हो जायेगा.. बहुत अच्छा दोस्त... मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि आप अपना लक्ष्य आसानी से प्राप्त कर लो.. लगभग दो घण्टे साथ रहे एयरपोर्ट पर और अपने दूसरे दोस्तों की बहुत बातें की.. मेरी टिकट बिजनेस क्लास की (मेरी यूनिट से कोई ऑफिसर नहीं होने के कारण ये टिकट मुझे अलॉट की गई ) और अभिषेक की इकोनॉमिक्स क्लास की.. तो हम एक ही फ्लाइट में होने बाद भी अलग अलग सफर किया। फिर से दिल्ली एयरपोर्ट आते ही मिले और फिर लेग्गेज का इंतजार करते हुए बेल्ट न. तीन के पास खड़े खड़े बातें करने लगे। हम दोनों का सामान आ गया पर उसका एक छोटा-सा सामान (स्लीपिंग बेग) नहीं आने के वजह से हमें और बीस मिनट इंतजार करना पड़ा.. उसका स्लीपिंग बेग आया और हम गले मिले हाथ मिलाया.. एक दूसरे को अलविदा कहकर एयरपोर्ट से बाहर निकलकर अपने अपने घर जाने के लिए टैक्सी पकड़ी ..
लेकिन सच कहूँ बहुत छोटी-सी पर बहुत श्री बातों वाली मुलाक़ात थी वो हमारी लेकिन शायद जी नहीं भरा अब भी मन कहता है कि मुलाक़ात अधूरी ही रह गई..