Shyam Raj

Others

2.4  

Shyam Raj

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"इंतजार"

"इंतजार"

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उस रात मैं सोया ही नहीं नींद इतनी आ रही थी कि पलकों(आँखों) को एक क्षण के लिए खुलना पसंद नहीं आ रहा था। किसी ने मुझसे कहा था कि जिस जगह मैं जा रहा हूँ वहाँ कब क्या हो जाए कोई पता नहीं ? डरता तो मैं पहले भी नहीं था(अब भी नहीं) पर मैं जानना चाहता था कि जो बाते वो मुझसे कह रहा है वो सब सच है क्या ? उसने मुझसे ये भी कहा था कि जो नास्तिक हैं वो भी वहाँ रह कर हर क्षण के लिए जिसे भी वह मानता है धन्यवाद देता है कि मेरा ये क्षण अच्छा निकल गया आगे आने वाला भी अच्छे से निकले। पर मैं नास्तिक सा ही हूँ कम ही लगाव है मुझे भगवान से। सोचता हूँ कि जिसको मैंने देखा भी नहीं क्यों मानूं उसे। मेरे भगवान तो मैं अपने घर पर ही छोड़कर आया हूँ जिन्हें मैंने देखा हैं और जिन्हें मेरे साथ जो भी हो अच्छा या बुरा की चिन्ता होती है।

यहाँ मैं अपनी माँ और पापा के बारे में बात कर रहा हूँ। उस रात मैं अपने साथियों के साथ बस से जो जिला दर्रा पार कर रहा था और जिस सड़क से हम जा रहे थे उसका हाल ऐसा था कि कुछ बताया तो शायद आप भी डर जायेंगे फिर भी थोड़ा सा बताता हूँ। उस सड़क पर बर्फ इतनी थी कि बस कब फिसल कर खाई में चली जाये कोई पता नहीं यहाँ मैं जिसे खाई कह रहा हूँ तो ये मत समझना कि इसकी गहराई पचास या सौ फिट या मीटर होगी नहीं उसकी गहराई तो शायद अथाह थी शायद नीचे गिरते तो हमें वहाँ से निकालने कि बजाय सब ये ही सोचते कि इन सब की समाधि यही बना दी जाए। अभी तक ये बाते तो मैं सिर्फ नीचे कि ही कर रहा था ऊपर से भी कम नहीं था कब ऊपर से बर्फ गिर जाए और बस कवर हो जाए और हम अन्दर ही......। अरे ज्यादा मत सोचो बर्फ पिघलने का इंतजार करते रहते। चालक भी शायद अपने भगवान को याद कर रहा होगा कि हे भगवान ! तू ही मुझे और मेरे साथियों को सुरक्षित हमारे गन्तव्य तक पहुंचाना। अभी बात खत्म नहीं हुई एक तरफ बर्फ से ढकी सड़क जिससे कब नीचे चले जाए और कब बस कवर हो जाए |और दूसरी तरफ इतनी गाड़ियाँ कि शायद गिनती करना मुश्किल ही था और हम गिनती भी नहीं कर सकते थे क्योंकि शायद हमारी बस के आगे पांच से सात किलोमीटर तक गाड़ियाँ थी ऐसा इसलिए बोल रहा हूँ कि पहाड़ी इलाक़ा था और मोड़ होने के कारण कहीं कहीं बहुत दूर तक गाड़ियों की पीछे की लाईट दिखाई दे रही थी। कब हमारी बस सामने चल रही गाड़ी को या हमारी बस के पीछे चल रही गाड़ी कब हमारी बस टक्कर मार दे कोई पता नहीं। क्योंकि गाड़ियों के बीच मुश्किल से दो या तीन फिट का फासला होगा । हमारी बस के पीछे और कितनी गाड़ियाँ होंगी कोई पता नहीं और कितने किलोमीटर तक। शायद उस रात जो भी उस सड़क को पार कर रहा था उसे डर बहुत लग रहा होगा पर मुझे डर नहीं लग रहा था कि मैं मर जाऊँगा बस मैं इंतजार कर रहा था मौत कब कैसे कहाँ से किस तरह से आएगी। इसलिए मैं सोया नहीं उस रात...!!! उस जगह मैं अभी पहुंचा ही नहीं जिस जगह की वो बात कर रहा था...

सुबह हो गई और यात्रा अभी भी जारी थी...



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