क्वारांटाइन वाला इश्क
क्वारांटाइन वाला इश्क


"अरे यार हद हो गई बेडशीट तो बदल दो, मैं तो यहाँ पागल ही हो जाऊंगा, रूको तुम्हारी कम्पलेन ऊपर करूंगा ऊपर"राजीव भड़का।
"जाओ साब कर लेना आखिर हम भी इंसान है और थकते है, यहाँ कोई आना नहीं चाहता और हम गरीब पेट के लिए मौत से खेल रहें हैं", सफाई वाला तुनक के चला गया।
आखिर राजीव को खुद करना पड़ा बिस्तर।
सामने थोड़ी दूरी पर अधेड़ कुछ पके से बाल वाली औरत थी, वो सब देख रही थी, उसको देखकर राजीव को बेईज्जती लगी और वो बड़बड़ाने लगा, "इनके भी पर निकल आए हैं, देख लूंगा इन्हे"।
थोड़ी देर बाद सब खाने के टेबल पर थे, थोड़ी- थोड़ी दूरी पर थे। रूम में खाना नहीं ले जाना था।
अचानक किसी ने छींक दिया सब उसको ऐसे घूरने लगे जैसे उसने किसी का कत्ल कर दिया हो।
वो बंदा घबराकर एक रोटी खा कर अपने बेड पर चला गया।
खाने के टेबल पर एक बुजुर्ग ने कहा, "अजब फसें यार,आसमान से गिरे खजूर पर अटके "।
दूसरे ने कहा, "ये प्रलय है चाचा, आज तक ऐसा सुना ना था, अब भले चार पैसे कमाएंगे, वतन के मिट्टी की ही खाएंगे"।
सब खड़े हो कर अपना अपना मास्क चढा लिए, साबुन से हाथ धोया ओर बेड पर आ गये।
थोड़ी - थोड़ी देर में सब सैनिटाईजर से हाथ साफ कर रहे थे।
अचानक डाक्टरों की टीम आई कहने लगी, "कल सुबह सबको अपना सैंपल देना है और क्वारांटाइन के नियमों का ठीक से पालन करना है"। तभी एक जूनियर डॉक्टर सिनियर के कान में कुछ फुसफुसाया।
वो सिनियर बोला, "यहाँ करन कौन है, एक ने हाथ उठाया। उससे डाक्टर ने पूछा, "क्यों भाई जिंदा घर नहीं जाना तुमहे, वह कांपता हुआ बोला, "ज.. ज.. जाना है सर",
"तो तुम्हारी कम्प्लेन आ रही है बहुत, आगे से ध्यान रखना नियम अच्छे से मानो, पर्ची पड़ी है बेड के बगल में, उसमें सब लिखा है"।
एक डॉक्टर बोला, "आपलोगों को 14 दिन यहाँ रहना होगा, किसी दूसरे के बेड पर नहीं बैठना है, समूह में नहीं रहना है, इधर- उधर थूंकना नहीं है, वरना कड़ी कार्रवाई होगी और हा सबसे अहम बात कोई भी लक्षण, पिछले दिनों की बातें छिपानी नहीं है, नर्सो को पूरा सहयोग करना है,कोई परेशानी हो सबके फोन नंबर दिए है पर्ची पर काल कर ले और हाॅ, आप सर आप बुजुर्ग हैं, शुगर है आपको"?
"जी सर किडनी और दिल की भी शिकायत है", चाचा बोले।
"आपको अपना विशेष ध्यान रखना होगा, आज के लिए इतना ही, शुभ रात्रि"।
राजीव ने देखा बगल वाली औरत तैयार थी, "वो थोडा चिल्ला के पुछा, मैम क्या टाईलेट साफ है? उस औरत ने कहा, "यहा के हिसाब से ठीक है अब घर वाली बात तो नहीं मिलेगी ना"!
वो उस दिन वाला सफाईकर्मी वहीं था, वो बोला, " ऐसा करो आप अपने लिए मोदी जी से कह कर अलग क्वारांटाईन सेंटर बना लो"! सब हंसने लगे!
राजीव ने नाक सिकोड़ी पर मरता क्या ना करता, कैसे भी फ्रेश हुआ।
सब एक बडे से डायनिंग टेबल पर दूरी बना के खाने लगे।
तभी करन ने कहा, "पता है कल कितने संक्रमित हुए हैं, इससे पूरे हजार"।
सब के चेहरे पर हवाइयाँ थी, आंखों में हल्के आंसु और निस्तब्धता मे एक ही सवाल, क्या हम बच पाएंगे ?
फिर करन ने कहा "पर एक बात ठीक है, इससे ठीक होने वाले की संख्या अधिक है सो चिंता की बात नहीं है।"
अब नर्स आई, तो बुजुर्ग चाचा रुंधे गले से पूछने लगे, "मै बच तो जाऊंगा ना सिस्टर, मेरी दो पोतियां हैं,शादी को उनका अब्बु भी नहीं है दुनिया में, उनही के ब्याह के लिए तो कमाने गया था इतनी दूर जब मेरे बैठ के खाने के दिन थे "इतना कहते ही उनके आंखों से आंसू की दो बूंद टपक गयी। नर्स बोली क्यों नहीं चाचा "कितने ठीक हो के घर गये, बस हम लोगों की बातों को मानो", चाचा बोले जो बोलोगी सब करूंगा बेटी।
सबका सैंपल लिया गया सब मास्क पहन कर बेड पर लेट गये। अकेले दीवार को निहारते जैसे करन की आखें बंद हुई रूही का चेहरा घूम गया... "करन कौम की वजह से हमारा परिवार नहीं मानेगा, पर तुम विदेश से कमा के लाओ हम दोनों भाग के शादी कर लेंगे।"
"भाग के क्यों पगली, बकायदा तेरा हाथ मांगूगा, तेरे अब्बू से, आज कल जात पात कोइ नहीं देखता, मोहब्बत होनी चाहिए, और हम तो है भी पडोसी, सबको थोड़ी बहुत भनक तो है ही हमारे प्यार की और जब वो देखेंगे मैं विदेश में कमा रहा हूँ, जान जाऐंगे मेरी बेटी को खुश रखेगा तो पक्का मान जाऐंगे।"
"पर तू मेरा इंतजार करना, करेगी ना ?"
रूही के आंखों में आंसू थे,"वो बोली अपने आखिरी सांस तक।"
तभी बेल बजी दोपहर के खाने का वक्त हो गया था।
करन ने अपने आंसू पोछें, साबुन से हाथ धो खाने के टेबल की ओर बढ़ गया।
ऐसे ही अतीत, भविष्य और अपने जिंदगी के बीच कवारांटाईन के दिन बीत रहे थे।
इधर राजीव और वो औरत नीलम भी अच्छे दोस्त बन गये थे। जब नर्स चली जाती तो खूब गप्पे मारते और वाट्सएप पर चैट करते।दूसरो और लोगों में भी अच्छी दोस्ती हो गयी थी, पर संक्रमण के डर से सब अकेले रहना ही, पसंद करते थे। इसी वजह से कुछ लोग डिप्रेशन में जा रहे थे, पर उनके लिए भी मनोचिकित्सकों का एक पैनल था।
अगले दिन सबकी रिपोर्ट नार्मल आई, चाचा का कोलेस्ट्रॉल थोडा हाई था पर बुढ़ापे में ये आम बात थी।सब खुश हूऐ, पर नर्स बोली "3-4 और टेस्ट होंगे, सब निगेटिव आने पर ही छुट्टी होगी", पर अस्सी प्रतिशत जंग तो हम जीत चुके थे।
अब थोडा क्वारांटाइन और सोसल डिस्टेंसिग मे कोताही होने लगी थी, नर्से भी देख कर अनदेखा कर देती थी।
अब नीलम और अजय एकदूसरे के बेड पर बैठने लगे, पर काम काज की बातें ज्यादा होती पर्सनल बातों पर नीलम चुप हो जाती थी।
करन हरदम अपनी यादों में डूबा रहता ज्यादा किसी से घुलता मिलता नहीं था।
उधर चाचा बैठे -बैठे अतीत में डूब गये, नन्ही सी 2 परियां थी वो, बिना वालिद के।
मैं तो उसी वक्त मर गया था जब वसीम को मिट्टी दी थी, पर इन दोनों ने बचा लिया।
दो निकाह का जोड़े अभी भी बैग में पड़े हैं। मई में निकाह था पर लाकडाऊन के वजह से तारीख बढ गयी थी।
दूसरी रिपोर्ट भी सबकी निगेटिव आयी, तब चाचा ने सबसे अपनी पोतियों के शादी में आने का वादा लिया।
अचानक एक दिन फोन कि घंटी बजी, "अरे करन आज रूही की सगाई है और कल निकाह"।
"क्या बोल रहा है यार तूने पहले क्यों नहीं बताया", करन के पांव तले मानो जमीन ही खिसक गयी थी।
संजय बोला, "अरे यार सब अचानक हुआ "।
"ओह..तभी रूही का फोन भी 4-5 दिनों से बंद था",करण खुद में बड़बड़ाया, "काम इतना था, मौका ही नहीं मिला तुझसे पूछता"।
"शायद ये शादी जबरदस्ती हो रही है यार, क्यों की रूही कई दिन पहले हास्पिटल में थी, दबे मुह पता चला है उसने आत्महत्या की कोशिश कि थी"।
पर अब ठीक हैऔर घर पर है।
" मैं अब क्या करूँ यार,परदेस में महीनें दिन से इधर का टिकट भी नहीं मिलेगा" कहकर करन रोने लगा।
संजय बोला, "रूक मैं रुही से मिलने कि कोशिश करता हूँ ",इतना कहकर संजय ने फोन काट दिया।
थोडे़ देर बाद डाक्टर के आने से करन की आंखें खुल गयी, मुश्किल से अपने आंसूओ को रोक पाया।
आज तीसरी रिपोर्ट भी निगेटिव आयी। सब बहुत खुश थे।
इधर सब दबे मुंह राजीव और नीलम के बारे में बात करने लगें थे, दोनों की नजदिकीयाँ कुछ ज्यादा ही बढ गयी थी, सबसे कट कर लोगों की परवाह किये बगैर दोनो बस एक दूसरे से बातें करते थे।
कल क्वारांटाइन का आखिरी दिन था, दोनों बालकनी में खड़े थे, "तुम हरदम पूछा करते थे ना, आज बताती हूँ मैं एक विधवा हुॅ, कुछ साल पहले मेरे पति रोड एक्सीडेंट में नहीं रहे"।
"मेरी एक बेटी है रोशनी और बुढ्ढे सास ससुर है"। "अच्छी सैलरी के लिए विदेश में अकेले रहती हुॅ, पर मांग मे सिंदूर और मंगलसुत्र रहता है कि, कोई गलत ना सोचे", नीलम की पलकें नीचें थी और आंखो में आंसू।
बात बदलने के लिये राजीव बोला, "मेरा तो कुछ दिन का प्रोजेक्ट था, अब वापस ही आना था, कि ये सब हो गया"।
नीलम बोली कितने बच्चे हैं आपके, राजीव बोला, "एक लड़का और एक लड़की "फोन मे फोटो दिखाते हुए राजीव बोला। "अरे लडकी तो आपके जैसी है बिल्कुल", राजीव का चेहरा ये सुन कर खिल गया। "हाॅ पर मै अपने बेटे की शादी रौशनी से ही करूँगा क्योंकि मुझे आपके जैसी महिलाऐं पसंद है", दोनो हंस दिये।
"अरे काकरोच", राजीव चिल्लाया, नीलम ने जोर से राजीव को पकड़ लिया, काकरोच तो उड़ गया,पर ये दोनो मंत्ररमुग्ध हो गये। दोनों एक दूसरे को चूमने ही वाले थे कि, अचानक उनका ध्यान अंदर हुए हल्ले पर गया।
चाचा के सीने में दर्द उठा था और वो बेहोश हो गये थे, फटाफट डाक्टर की टीम आई और उनको इमरजेंसी में शिफ्ट किया।
रात भर सब जगे रहे, नर्स ने बताया दिल का दौरा आया था, अभी आइ. सी. यू. में हैं और स्थिर हैं।
अगले दिन राजीव नीलम के पास गया और बोला, "कभी-कभी हम चाहते कुछ और है मिलता कुछ और है",कल के लिए सारी"। नीलम एकटक राजीव को देखती रही, कोइ अपराध बोध नहीं, निश्चल, अंकुरित प्यार था जिन्हें दोनों ने समाज के डर से दबाना ही ठीक समझा।
उधर करन तो कभी का जीने कि आस ही छोड़ चुका था, पर मौत को हराकर अब वो जीना चाहता था। रूही का वो उसका डाक्टर बनने का सपना पूरा करना चाहता था।
जाते जाते राजीव उस सफाई वाले को हजार रूपये दे गया और बोला, "बच्चों के लिए कुछ खरीद लेना और कुछ बुरा लगा हो तो सारी", कर्मचारी की आंखे छलछला गयी, बस हाथ उठा के इतना बोल पाया" खुश रहो"।
सब मौत को हराकर घर पहुंचे ही थे कि खबर आयी, वो चाचा गुजर गये। सब अपने अपने घरों में रोने लगें, शायद चाचा के नसीब में पोतियों का निकाह देखना नहीं लिखा था।
इस तरह एक क्वारांटाइन सेंटर 3 अधूरे पर निश्चल प्यार का गवाह बना।