Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Pallavi Goel

Abstract

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Pallavi Goel

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क्षमा याचना

क्षमा याचना

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ओडिसी नृत्यशाला की ग्यारह गुरु माताओं और चार सौ छात्राओं ने आज एक सामूहिक प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी। पिछले दस दिनों से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर तैयारी चल रही थी। विषय था 'क्षमा याचना धन्यवाद ज्ञापन 'अपने हाव-भाव से ये नृत्यांगनाएँ प्रकृति से क्षमा माँगने के साथ उसको धन्यवाद देना चाहती थी कि मानव की सारी भूलों को माफ करके उसने मानव को अपने में समाहित करने की स्वीकृति दी। विषय को समझकर और विश्व के साथ देश की तमाम दुश्वारियों को देखते हुए सरकार ने भी इसे एक सही कदम समझा। और इस शर्त के साथ मंजूरी दी कि यदि सोशल डिस्टेंसिंग करके सभी नियमों का पालन किया जाएगा यह प्रदर्शन संभव है। परंतु इसको देखने के लिए दर्शक नहीं होंगे।

अठारह मई को आर्यपिल्लई बीच के सामने आठ बजे से ही नृत्यांगनाओं का आना शुरू हो गया था। सभी अनुशासित नृत्यांगनाओं ने मास्क पहना था। वह आतीं और निर्देशित एक मीटर की दूरी पर अपना स्थान ग्रहण करतीं।

साढ़े आठ बजे तक तट के सामने की पक्की जमीन चार सौ गयारह नर्तकियों से सुशोभित थी। हर तरफ रंगीन परिधानों में नर्तकियाँ, सूना तट,सागर की लहरों के साथ केवल घुंघरुओं के स्वरों का समां अद्भुत ही था सड़क पार बसे मकानों में रहने वाले अपनी अपनी बालकनी में तैनात थे। जो अपने मोबाइल में इस ऐतिहासिक क्षण को कैद करने के लिए उत्सुक थे।

नौ बजे एक संकेत पर कार्यक्रम शुरू हुआ। सधी हुई मुद्रा, अंग संचालन ,हाव -भाव द्वारा कृतज्ञता ज्ञापित की जाने लगी। घुंघरूओं की पुकार धरती से होते हुए आसमानों को छूने लगी। धीरे-धीरे सूरज बादलों में छिपने लगा और बादल घिरने लगे। विभिन्न प्रजाति के पक्षी आकाश में अचानक से दर्शक बनकर मंडराने लगे। सदा की उदार प्रकृति आज भी यही संदेश देरही थी में। 'हम एक थे, एक हैं और एक ही रहेंगे।'


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