भस्मासुर बनाम हम

भस्मासुर बनाम हम

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आज कोरोना वायरस का कहर पूरे विश्व पर टूट रहा है ।मानव बचने के लिए भागा -भागा फिर रहा है। कुछ स्वाद लोलुप मानवोंं ने प्रकृति के नियम को मानने से इनकार किया ।यह धरा का विधान है हर एक प्राणी को अपने किए का फल भुगतना ही होता है। इसे हम इस कथा द्वारा समझ सकते हैं।


पौराणिक कथाओं में वर्णित भस्मासुर नाम का राक्षस जब भगवान शिव से अमरता के वरदान की कामना लिए ,किसी के सिर पर हाथ रखने पर उसे भस्म करने की शक्ति मांगता है। उसे परखने के लिए स्वयं आराध्य को ही शिकार बनाता है ।भगवान विष्णु के रूप में मोहिनी ने उसके सिर पर उसका हाथ रखवा कर उसे भस्म कर दंड दिया ।


आज का मानव कुछ ऐसा ही भस्मासुर बना है जिसने प्रकृति से वरदान में हर एक वस्तु प्राप्त की है, पर वह वर्चस्व स्थापित कर प्रकृति के अन्य सभी उपादानों को निगलने को तैयार बैठा है ।प्रकृति का भी अपना नियम, संतुलन और न्याय है। उसके लिए हर एक आयाम महत्वपूर्ण है। वर्तमान में उसे अपने हाथों की ताकत के साथ प्रकृति की ताकत का भी अनुमान हो गया होगा। न्याय करने के लिए जब वह दंड उठाती है ,हमें अपनी तुच्छता का एहसास स्वतः ही हो जाता है ।


फिलहाल अपने हाथों से स्वयं को और अपने अपनों को बचाने के लिए हमें केवल इतना ध्यान रखना होगा -


इस बड़े से ब्रह्मांड के

एक छोटे से ग्रह के

एक छोटे से शरीर में बंद

जान को रखें सुरक्षित।


 हम सुरक्षित ,परिवार सुरक्षित,

देश सुरक्षित ,विश्व सुरक्षित

छुद्र इच्छाओं ,झूठे अहंकार

से ऊपर है धरा का अस्तित्व ।


कोरोना नाम के प्राकृतिक दंड से स्वयं को बचाने के लिए- -


*कुछ समय के लिए परिजनों के साथ घर में रहें ।

 *घर से ही काम करें ।

*अति आवश्यक होने पर ही घर से स्वच्छता व सुरक्षा नियमों का ध्यान रखकर ही निकलें।

*जागरूक रहें, सुरक्षित रहें।





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